राजस्थानी सरसों के मूल्य में उछाल, काला बाजारी की आशंका
मांग अधिक, आपूर्ति प्रभावित होने से बढ़ सकते हैं सरसो तेल के दाम
वाराणसी की केराना मंडी में राजस्थानी सरसों के मूल्य में उछाल देखने को मिल रहा है. यह एक या दो रुपये नहीं बल्कि 9 से 10 रुपये प्रतिकिलो देखी जा रही है. सरसों के दाम में इस वक्त हुई भारी वृद्धि ने कारोबारियों के माथे पर बल ला दिया है. उन्हें कालाबाजारी की आशंका सता रही है. यही हाल कुछ दिनों तक बना रहा तो सरसों तेल के दाम में भी भारी उछाल देखने को मिल सकता है.
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बता दें कि गेहूं की तरह ही सरसों रबी की फसल मानी जाती है. अभी गेहूं खेत से खलिहान में पहुंचा है. क्रय केंद्र पर इसकी सरकारी खरीद भी शुरू है लेकिन किसान बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इसकी वजह वैवाहिक कार्यक्रम हैं. हिन्दू पंचांगों के अनुसार मई व जून में कोई लग्न नहीं है. जुलाई में कुछ लग्न जरूर बन रहे हैं लेकिन मानसून के डर से वैवाहिक आयोजनों की तैयारी कम हो रही है. इन्हीं आयोजनों पर किसानों के घरों से सरसों की बिक्री भी निर्धारित होती है. रबी की इन दोनों फसल को वक्त बिताने के लिए डंप किया जा रहा है. किसानों के साथ ही तेल के कारोबार के मजबूत कारोबारी भी काला बाजारी की फिराक में हैं. उन्होंने किसानों से सरसों ले लिया है लेकिन भुगतान नहीं किया है. किसानों के घरों से सरसों का उठान शर्तों पर किया गया है. इसके अनुसार कुछ दिनों बाद कारोबारी बढ़े दामों के अनुसार डंप सरसों का भुगतान किसानों को करेंगे.
600-700 रुपये मंडी में बिक रहा सरसों
वाराणसी में सरसों तेल के कारोबारी कैलाश गुप्ता कहते हैं कि राजस्थान की कृषि उपज मंडी में सरसों के दाम में एकदम से बड़ा उछाल आया है, जिससे बड़े किसान एवं फसलों के स्टॉक करने वालों के चेहरों पर रौनक आ गई है. बीते एक सप्ताह से लगातार सरसों के दामों में हो रही बढ़ोतरी ने सबको चौंका दिया है और कृषि उपज मंडी में सरसों के दामों में 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेजी आ गई है.
प्रतिदिन एक हजार कट्टे सरसों की आवक
कृषि उपज मंडी में करीब एक सप्ताह पूर्व 42 प्रतिशत तेल के कंडीशन वाली सरसों के दाम 5300 से 5400 रुपए प्रति क्विंटल थे. गुरुवार को सरसों के दाम एमएसपी यानि समर्थन मूल्य खरीद के भाव 5650 रुपये की लक्ष्मण रेखा को भी पार करते हुए 6100 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए. जबकि 44 प्रतिशत तेल कंडीशन वाली सरसों के दाम 5820 रुपये प्रति क्विंटल रहे हैं. हर एक मंडी में प्रतिदिन एक हजार कट्टे सरसों की आवक हुई है. किसानों का अनुमान है कि यह तेजी आगामी दिनों में भी बनी रहेगी. ऐसे में उन्हें मंडी में एमएसपी से अधिक दाम मिल सकते हैं. मंडी में सरसों के दामों में एक साथ आई उछाल से आढ़तिये भी खुश हैं. आढ़तियों का मानना है कि मंडी में 6100 रुपए दाम मिलने के चलते किसान समर्थन मूल्य के बजाए सीधे मंडी में फसल बिक्री कर रहे हैं. उनको नकद भुगतान भी मिल रहा है. दूसरी ओर सरसों के दाम में आई इस तेजी से बाजार में सरसों तेल के दाम भी बढ़ोत्तरी शुरू हो गई है. मंडी में सहकारी क्रय-विक्रय पर फिर एक सप्ताह से सन्नाटा पसरा हुआ है. मंडी में एमएसपी से अधिक दाम मिलने से किसानों पंजीकरण कराने के बाद भी क्रय-विक्रय केन्द्र पर नहीं पहुंचे हैं.
डिमांड पूरी नहीं होने से आई तेजी
मंडी के आढ़तियों का कहना है कि बीते कुछ दिनों में सरसों के दाम 10 प्रतिशत तक बढ़े हैं. इसके पीछे बड़ा कारण सोयाबीन के उत्पादक देश ब्राजील में बाढ़ आना है, जिससे विदेशों में भी भाव बढ़े हैं. वहां से भारत में भी तेल का आयात होता है. आयात प्रभावित होने से लोकल तेल की भी डिमांड बढ़ी है. इसके अलावा इस बार सरसों की बंपर पैदावार की बात कही जा रही थी, लेकिन अब लग रहा है कि पैदावार अनुमान से 20 प्रतिशत कम हुई है. आढ़तियों के अनुसार यह तेजी आगे भी जारी रहने का अनुमान है.
एमपी की सरसों पर टिकी कारोबारियों की उम्मीद
पूर्वांचल की बात करें तो इस बेल्ट में सरसों की खेती कम होती है. खेत का कम रकबा होने से पारम्परिक खेती जरूरत के हिसाब से करने के बाद वे व्यवसायिक खेती के लिए सब्जियां अधिक उगाते हैं. यहां सरसों की आपूर्ति राजस्थान व एमपी से होती है. राजस्थान की पीली सरसों तेल उत्पादन में अच्छी मानी जाती है जबकि एमपी की काली सरसों से कम तेल निकलता है. राजस्थान में सरसों का दाम बढ़ाने से एमपी की काली सरसों की ओर तेल कारोबारियों की नजर गड़ गई है. दलाल एमपी के गांवों में सक्रिय हो गए हैं.