मंदिरों की चौखट पर सियासत के रहनुमा, मांग रहे जीत का आशीर्वाद

अंतिम चरण के मतदान के लिए चार दिन ही बाकी

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देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन सभी दलों के सियासत के रहनुमा इस बार मंदिरों की चौखट पर भगवान से अपनी जीत के लिए आशीर्वाद मांगते दिखाई दे रहे हैं. काशी में आनेवाला भाजपा का हर बड़ा नेता श्रीकाशी विश्वनाथ और काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के दरबार में मत्था टेकना नही भूलता. हालांकि भाजपा के प्रधानमंत्री और सीएम योगी आदित्यनाथ से लगायत पार्टी के अन्य नेता इन मंदिरों में पहले से हाजिरी लगाते रहे हैं. सीएम योगी तो बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने का 100 से ज्यादा का आंकड़ा पार कर चुके हैं. अब इंडी गठबंधन भी उसी राह पर है.

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बता दें कि पिछले दिनों बनारस में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा सांसद डिम्पल यादव ने बाबा कालभैरव मंदिर में दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया और इसके बाद रोड शो शुरू किया. गंगा प्रदूषण दूर करने के दशकों से दावे करनेवाले राजनीतिक दलों को मां गंगा की याद आने लगी है. सब उनका भी आशीर्वाद लेना, गंगा आरती में शामिल होना नही भूलते.

सबसे अधिक धार्मिक बताने और दिखाने की मची होड़

दरअसल हिंदू-मुस्लिम की राजनीति के दौर में नेताओं को अपने को सबसे अधिक धार्मिक बताने और दिखाने का मकसद पूरा होता दिखाई दे रहा है. दूसरे इन स्थानों की आबोहवा सोशल मीडिया में इन्हें सूट भी कर रही है. श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तो काफी पुराना है. सत्ताएं आती-जाती रहीं लेकिन बाबा विश्वनाथ और कालभैरव वहीं हैं. बस श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को भव्यता मिली है, जिसका श्रेय लेने में सत्ता पीछे नही रहती. लेकिन खास बात यह कि जो नेता या अभिनेता कभी इस मंदिर में नही आए वह भी आशीर्वाद लेने आ ही जा रहे हैं. अब जबकि सातवें चरण के चुनाव में चार दिन ही शेष रह गये हैं, नेताओं ने जमीन-आसमान और एंड़ी-चोटी एक कर दिया है. हेलीकाप्टर, विशेष विमान में सवार नेता हवा में उड़कर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. मंचों से देवी, देवताओं के जयकारे लगाये जा रहे हैं. ऐसे में चुनावी मौसम में स्थानीय मंदिरों की भी महिमा बढ़ती दिखाई दे रही है. मंदिर भी चुनाव प्रचार का जरिया बन गये हैं. नेता क्षेत्रीय महत्व के मंदिरों के जरिए वोट बैंकों को साधने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं. कोई पार्टी की जीत के लिए रूद्राभिषेक करा रहा है तो कोई बाबा विश्वनाथ से बहुमत दिलाने की उम्मीदें लगाए बैठा है.

कोई कर रहा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन, कोई करा रहा रूद्राभिषेक

सियासत का एक वह भी दौर था जब साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की लहर के बीच नेता ऐसे स्थानों पर जाने से बचते थे. धार्मिक नेताओं के आशीर्वाद लेने की होड़ मची रहती थी. अब इस धारा में थोड़ा परिवर्तन दिखाई दे रहा है. नेताओं के मंदिर-मंदिर, नगरी-नगरी, द्वारे-द्वारे का दौर अंतिम स्टेज में है. सियासत की आंधी चल रही है, ऐसे में जनता के वोटों के अलावा देवी-देवताओं के आशीर्वाद बटोरने की होड़ मची हुई है. जातिगत और धर्म की राजनीति के बीच सोमवार को एक ओर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने श्रीकाशी विश्वनाथ का अभिषक कर आशीर्वाद लिया. वहीं दूसरी ओर इंडी गठबंधन प्रत्याशियों की जीत के लिए अस्सी-नगवा स्थित मछलीबंदर मठ में रूद्राभिषेक किया गया. उधर, पीएम मोदी की जीत के लिए अस्सी घाट पर अनुष्ठान हुआ. इसके साथ ही पूजन-अर्चन का सिलसिला जारी है. अब किसे जनता और देवी-देवताओं का कितना आशीर्वाद मिला इसका असर तो चार जून को ही पता चलेगा…

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