संत कबीर दास भारतीय समाज के प्रमुख संतों में से एक थे. वे 15वीं और 16वीं सदी में जन्मे थे. कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) के लहरतारा गांव में हुआ था. उन्होंने अपने जीवन में समाज को जागरूक करने और मानवता की सेवा करने का काम किया. कबीर दास के विचारों में अहिंसा, प्रेम, सद्भावना, समरसता और एकता का महत्व था. कबीर दास के काव्य संगीत और दोहे अत्यंत प्रसिद्ध हैं. इसे उन्होंने हिंदी और अवधि भाषा में लिखा गया है ताकि आम लोग उनकी विचारधारा को समझ सकें. उनकी रचनाओं में जीवन के मूल तत्वों का अनुभव होता हैं और उसी माध्यम से समाज को सुधारने का संदेश मिलता हैं.
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कबीरमठ का इतिहास
काशी के कबीरचौरा स्थित कबीर मठ का गौरवशाली इतिहास है. यह स्थान संत कबीर दास के महत्वपूर्ण साधना स्थलों में से एक है. कबीरचौरा मठ उनके शिष्यों द्वारा संचालित किया जाता है. यहां संत कबीर दास के उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया जाता है. उनके अनुयायियों को संत कबीर के आदर्शों को जीवन में लागू करने की प्रेरणा दी जाती है. कबीर मठ वाराणसी के पर्यटन स्थलों में से भी एक है और यहां भक्त और पर्यटक आते रहते हैं. संत कबीर की इस साधनास्थली में वर्ष 1934 में महात्मा गांधी आए थे.
कबीरमठ की विशेषता
कबीरमठ की विशेषता, उसका ऐतिहासिक महत्व उनके सांगठनिक अनुशासन में है. यह स्थान संत कबीर दास के आध्यात्मिक उपदेशों का प्रसार करने और उनकी धार्मिक विरासत को जीवित रखने का काम करता है. इस मठ में आध्यात्मिक गतिविधियों का अनुष्ठान होता है, जिसमें भजन-कीर्तन, प्रवचन के लिए साधु-संत शामिल होते हैं. यहां पर कई धार्मिक उत्सव और मेले भी आयोजित होते हैं जो संत कबीर दास की जयंती, उत्तरायणी और अन्य धार्मिक अवसरों पर मनाए जाते हैं. कबीरमठ धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक केंद्र है जो संत कबीर दास के आदर्शों को जीवन में उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
क्या कहते हैं मंहत अमोद शरण शास्त्री
कबीरमठ के महंत अमोद शरण शास्त्री ने बताया कि यह मठ मान्यता प्राप्त स्थल है.यहां पर कबीर दर्शन के प्रेमी प्रतिदिन आते रहते हैं और कबीर से सीख लेते हैं. कबीर के प्रेमी एक बार इस स्थल पर दर्शन करने अवश्य आते हैं और यहां पर प्राचीन समय के अनुसार अत्तराधिकारी नियुक्त किए जाते हैं.
कैसे पहुंचे कबीर मठ
कबीर मठ वाराणसी में पिपलानी कटरा के पास कबीरचौरा रोड पर स्थित है. जो व्यक्ति इस स्थान पर जाना चाहता है, उसे वाराणसी स्थित नगरी नाटक मंडली के पास पहुंचना होगा. उसके पास की गली में कबीर मठ स्थित है. इसी मार्ग और आसपास के देश के जानेमाने शास्त्रीय संगीत के साधकों के अभी आवास और साधनास्थली है. पंडित किशन महाराज, गोदई महाराज, गिरजा देवी से लगायत तमाम संगीत साधक इसी मोहल्ले की गलियों से निकले हैं. अब उनके कुल के दीपक दुनिया में अपनी साधना की सुगंध फैला रहे हैं.
written by Tanisha Srivastava