जो बाइडेन ने दिया विवादस्पद बयान, इन देशों को बताया जेनोफोबिक
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन, रूस और भारत के खिलाफ विवादित बयान दिया है. राष्ट्रपति बाइडेन ने भारत, चीन, रूस और जापान को जेनोफोबिक (Xenophobic) देश कहा है. बता दें कि जेनोफोबिक उनको कहा जाता है जो बाहरी लोगों या विदेश से आए लोगों के साथ मिलना जुलना पसंद नहीं करते. बाइडेन के मुताबिक भारत समेत यह ऐसे देश हैं जो दूसरे देशों के लोगों से नफरत करते हैं. जो बाइडेन के इस बयान की दुनिया भर में काफी निंदा की जा रही है. वहीं बाइडेन इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने दावा किया कि चीन, जापान, रूस और भारत में जेनोफोबिया की वजह से ही विकास धीमा है. दावा किया कि माइग्रेशन नीति और समावेशी नीयत के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रही है. वहीं इन देशों में जेनोफोबिया की भावना की वजह से माइग्रेशन के नाम से डरते हैं.
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क्या सच में इन देशों के लोगों में है जेनोफोबिया की भावना
अगर भारत की बात करें तो राष्ट्रपति बाइडेन का बयान असलियत से कोसों दूर दिखाई देता है. भारत में सदियों से अलग-अलग देशों और धर्मों के लोगों का प्रवास हुआ है. वहीं वर्तमान में भी हर तरह के लोग भारत में स्वतंत्र रूप से रह रहे हैं.
सोशल मीडिया के इस युग में अगर कोई विदेशी सोशल मीडिया पर भारतीय व्यंजनों, म्यूजिक, फिल्मों और भारत में अपने अनुभव जैसे विषयों पर वीडियो डालता है तो उसके उस वीडियो के व्यूज मिलियन्स में होते हैं. वहीं उसके अधिकांश व्यूज भारत के लोगों द्वारा ही देखे जाते हैं. जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतियों में जेनोफोबिया नहीं है. हालांकि अग्रेजी हूकुमत के भारत में राज किये जाने और उनके अत्याचारों की टीस भारतियों में देखी जा सकती है लेकिन नस्लभेदी जैसे मामले भारत में यूरोप की तुलना में काफी कम है.
वहीं पूरी दुनिया में नस्लभेद का शिकार हुए यहूदी लोगों का भी कहना है कि भारत में उन्हें कभी भी यह समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. वहीं यह बात चीन के लिये भी कही जाती है. हालांकि पिछले कुछ दशकों से कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से कई फैसले लिये गये हैं, जिसमें चीन के जेनोफोबिक होने की संभावना दिखती है. उधर, मुस्लिमों को चाइनीज तरीके से जीने के लिये मजबूर करना इसका एक उदाहरण है. वहीं रूस की बात करें तो हो सकता है कि अमेरिका से दुश्मनी के कारण उसका नाम राष्ट्रपति बाइडेन ने लिया हो. वहीं चारों देशों में अगर किसी भी देश में जेनोफोबिया के सबसे अधिक मामले देखे गये हैं तो वह जापान है. मेहनती लोगों के इस देश में जाने पर कई पर्यटकों ने यह महसूह किया है कि जापान की एक बड़ी आबादी मिलनसार होने में असहज महसूस करती है.
बाइडेन ने क्यों दिया ऐसा बयान
राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा दिये गये इस बयान के पीछे कई कारण हैं. अमेरिका में इसी वर्ष के अंत में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव इसका मुख्य कारण है. बता दें कि बाइडेन व उनकी डेमोक्रेट पार्टी कुछ फिलिस्तीनियों को अपने देश में शरण दे सकती है. इसके कारण उन्होंने ऐसा बयान दिया है. बता दें कि राष्ट्रपति बाइडेन के कोर वोटर माने जाने वाले लिबरल छात्रों द्वारा अमेरिका के कई विद्यालयों एवं कॉलेज परिसरों में प्रदर्शन किये जा रहे हैं. यह प्रदर्शन फिलिस्तीनियों के हक में और इजराइल के खिलाफ हो रहे हैं. वहीं इसको लेकर दबाव में बाइडेन सरकार फिलिस्तीनियों के लिये कुछ बड़ा कदम उठा सकती है. इसीलिये बाइडेन प्रवासी वोटरों के साथ मूल अमेरिकी लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि प्रवासियों के आने से अमेरिका को भी आर्थिक विकास में मदद मिलेगी. बता दें कि अमेरिकी चुनाव में उनका मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से होना है.