Mukhtar Ansari: फर्जी शस्‍त्र लाइसेंस मामले में मुख्‍तार को आजीवन कारावास

वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने 37 साल पुराने मामले में सुनायी सजा, दोलाख दो हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया

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Mukhtar Ansari: फर्जीगिरी कर दो नाली बंदूक का लाइसेंस प्राप्‍त करने के 37 साल पुराने मामले में पूर्व विधायक मुख्‍तार अंसारी को अदालत ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इस मामले में मुख्‍तार को विशेष न्‍यायाधीश (एमपीएमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम ने मंगलवार को दोषी करार दिया था. मुख्‍तार को धारा 420, 467, 468, 120बीऔर 30 आर्म्‍स एक्‍ट के तहत सजा सुनायी गयी. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्‍त पर दो लाख दो हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड नहीं भरने पर अतिरिक्‍त कारावास की सजा भुगतनी होगी. वहीं भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) में उसे दोषमुक्‍त किया गया है. मुख्‍तार की बांदा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई. इस दौरान मुख्‍तार हाथ जोडकर जज की बातें सुनता रहा.

यह था पूरा मामला

मुख्‍तार ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया था. जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्‍ताक्षर से संस्‍तुति प्राप्‍त कर शस्‍त्र लाइसेंस हासिल कर लिया. इस संबंध में सीबीसीआईडी ने चार दिसंबर 1990 को मुहम्‍मदाबाद थाने में मुख्‍तार, तत्‍कालीन डिप्‍टी कलेक्‍टर समेत पांच नामजद व अन्‍य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.

जांच के बाद तत्‍कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्‍तव और मुख्‍तार के खिलाफ 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया. सुनवाई के दौरान गौरीशंकर की मौत हो गई. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के पूर्व मुख्‍य सचिव आलोक रंजन, पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों का बयान दर्ज किया गया. अदालत ने मुख्‍तार के वकील के दलील को अस्‍वीकार कर दो नाली बंदूक का लाइसेंस प्राप्‍त करने का दोषी करार दिया था.

आठ मामलों में मिल चुकी है सजा

अंतरराज्‍यीय गिरोह का सरगना कहा जाने वाला पूर्व विधायक मुख्‍तार अंसारी 28 अक्‍टूबर 2008 से यानी 18 साल से जेल में बंद है. बीते17 माह से अब तक उसे आठ मामलों में उसे सजा मिल चुकी है. उसके खिलाफ लंबित 65 मुकदमों मेंं से 20 में कोर्ट में सुनवाई चल रही है. उसके विरुद्ध दिल्‍ली में भी मुकदमे दर्ज हैं.

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21 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने धमकी देने के मामले में सात वर्ष कठोर कारावास की सजासुनाई गई थी. जेलर को धमकी देने का मामला लखनऊ के आलमबाग थाने में साल 2008 में दर्ज हुआ था. इसके अलावा गाजीपुर में दर्ज गैंगस्‍टर मामले में 10 वर्ष और गैंगस्‍टर एक्‍ट के दूसरे मामले में भी 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी थी. वाराणसी के अवधेश राय हत्‍याकांड, रूंगटा प्रकरण में भी सजा हो चुकी है.

 

 

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