Farmers Protest 2.0: किसान आंदोलन से फिर बदहाल हुई दिल्ली…
जानें अब किन मांगों को लेकर सड़क पर उतरे किसान ?
Farmers Protest 2.0: लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए जहां किसानों को खुश करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने किसान नेता चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया, वहीं अब वही किसान सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नजर आ रहे है. अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर उत्तर भारत का किसान सड़को पर उतरा है. किसान राजधानी दिल्ली की ओर तरफ कूच कर चुका है.
आपको बता दें कि किसानों का आंदोलन नवंबर 2021 में समाप्त हो गया था. सरकार राहत की सांस ले रही थी कि तभी दो साल बाद वे फिर सड़कों पर हैं. 13 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली कूच का तो किसान संघ ने दिल्ली चलो का आह्वान किया है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लाखों किसान मंगलवार को दिल्ली की ओर चलेंगे. साथ ही, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को ग्रामीण भारत में एक दिवसीय बंद का आह्वान किया है.
एक बार फिर क्यों सड़को पर उतरने पर मजबूर है किसान ?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब देश का भरणकर्ता यानी देश का किसान सड़को पर उतरने पर मजबूर हुआ है. दो साल पहले भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया था. ऐसे में किसानों के आंदोलन से हारकर मोदी सरकार को अंततः घुटने टेकने ही पड़े थे और संसद से पारित किए गए तीनों कानूनों को रद्द करना पड़ा था.
किसानों का भय था कि सरकार कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म और कृषि को कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंप सकती है. कृषि कानूनों को लेकर किसानों को बहुत कुछ करना पड़ा. किसान करीब एक वर्ष तक निरंतर धरना देते रहे. किसानों का दावा था कि, आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई, लेकिन सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा इन दावों को नहीं माना जा रहा है. दो साल पहले, सरकार ने एमएसपी को गारंटी देने के साथ-साथ कानूनों को भी रद्द कर दिया, इससे किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था. लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी पर अपने वादे को पूरा नहीं किया है.
क्या है किसानों की मांग?
साल 2021 की तर्ज पर ही किसान इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया गया है. उनकी सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि, वह केंद्र सरकार से दो साल पहले किए गए वादे को याद दिलाना चाहते हैं, जिसमें सरकार ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी. उस वादे को अब तक पूरा नहीं किया गया है. सरकार ने एमएसपी की गारंटी दी थी, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की भी बात कही जा रही है.
इसके साथ ही साल 2021 में उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर चार किसानों राज्य मंत्री टेनी के पुत्र ने कुचल दिया था. ऐसे में किसान दुर्घटना में मारे गए किसानों के परिवार को नौकरी और दोषियों को सजा की मांग कर रहे है. इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने इस प्रदर्शन को लेकर कहा है कि, “सरकार ने सबसे बड़ा वादा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक किसानों को फसल के दाम देने का वादा किया था. सरकार ने एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित कर दिया लेकिन उनकी रिपोर्ट को लागू नहीं कर रही. इसके अलावा किसानों को प्रदूषण कानून से मुक्त रखने का वादा किया था. लेकिन कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया.”
जाम से जूझ रहे दिल्ली वासी
किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को देखते हुए राजधानी दिल्ली की सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. दिल्ली, यूपी और हरियाणा पुलिस अलर्ट पर है, मार्च को रोकने के लिए सिंघु और गाजीपुर सहित सभी सीमा बंद कर दी गई है. अंबाला के पास शंभू में पंजाब की सीमा सील कर दी गई, विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सभी सीमा पर पुलिस और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई हैं. करीब पांच हजार सुरक्षा कर्मचारी तैनात हैं, जबकि किसानों को लगातार कटीले और नुकीले तार से रोका जाएगा. लाउडस्पीकर और सीसीटीवी भी लगाए गए हैं. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर आठ लेयर की दीवारें बनाई गई हैं, कुछ सड़कों पर पत्थर के बड़े-बड़े बेरिकेड और लोहे के कंटेनर लगा दिए है.
कानून तोड़ने वाले होंगे गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टरों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है. बंदूक, ज्वलनशील पदार्थ, ईंट या पत्थर जैसे अस्थायी हथियार रखना मना है. पेट्रोल और सोडा की बोतल को एक साथ मिलाने पर भी प्रतिबंध है. अगले महीने तक लाउड स्पीकर का इस्तेमाल करना भी वर्जित है, 12 मार्च तक राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए धारा-144 लागू है. किसी भी तरह की भीड़ जुटने पर प्रतिबंध है.
धारा-144 का उल्लंघन करने वालों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है. किसी को भी कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. वहीं सिरसा के चौधरी दलबीर सिंह इंडोर में हरियाणा सरकार ने वहीं सिरसा के गुरु गोविंद सिंह स्टेडियम और चौधरी दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम को हरियाणा सरकार ने अस्थायी जेल बनाया है, किसानों को हिंसा करने पर गिरफ्तार कर अस्थायी जेल में डाला जा सकता है.
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हरियाणा में इंटरनेट सेवा हुई ठप
दिल्ली पुलिस ने राजधानी की सभी सीमा पर ट्रैफिक निर्देश जारी किए हैं, दिल्ली में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है. मुख्य बॉर्डर की बजाय आसपास स्थानीय बॉर्डर से दिल्ली आने-जाने के लिए हल्के वाहनों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है. किसानों की दिल्ली यात्रा से दो दिन पहले हरियाणा के सात जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गईं. हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में इंटरनेट सेवा को तीन दिन तक बंद करने का निर्णय लिया गया है.