नहीं रहे उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना …..

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रविवार की रात देश के लिए एक मनहूस पैगाम लेकर आयी और देश की एक मकबूल आवाज को खामोश कर गयी. जी हां, मां पर कई सारी रचनाएं लिखने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना दुनिया को अलविदा कर गए. रायबरेली के मूल निवासी 71 वर्षीय मुनव्वर राना ने लखनऊ के एसजीपीजीआई में अपनी अंतिम सांस ली. जानकारी के मुताबिक, वह काफी समय से बीमार चल रहे थे, बीते दिनों किडनी संबंधित परेशानियों के बाद तबियत बिगड़ने पर उन्हें एसजीपीजीआई के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होने अंतिम सांस ली.

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किडनी की बीमारी से थे ग्रसित

बता दें कि, बीते साल किडनी खराब होने के कारण मुनव्वर राना की डायलिसिस पर चल रही थे. इसके साथ ही फेफड़ो की गंभीर बीमारी सीओपीडी से परेशान चल रहे थे, 9 जनवरी को हालत खराब होने पर पीजीआई में एडमिट किया गया था. जहां रविवार को अंतिम सांस ली. पीजीआई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर नारायण प्रसाद ने बताया कि, लंबे समय से उन्हे किडनी की बीमारी थी, 9 जनवरी को जब एडमिट किया गया तो उन्हें सीओपीडी के साथ हार्ट की भी दिक्कत थी, जिसके चलते वेंटिलेटर पर रखा गया. सेहत में सुधार होने के बाद वेंटिलेटर से हटाया गया था, लेकिन ज्यादा समय तक बिना वेंटिलेटर रह नहीं सके. दोबार उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा, जहां उनका निधन हो गया. इससे पहले वह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। मुनव्वर राना देश के जाने-माने शायरों में गिने जाते हैं.

विवादों से घिरा रहा जीवन

मुनव्वर राना का विवादों से गहरा नाता रहा है, साल 2022 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव से पहले मुनव्वर राना ने कहा था कि, ”योगी आदित्यनाथ अगर दोबारा सीएम बने तो यूपी छोड़ दूंगा. दिल्ली – कोलकाता चला जाऊंगा. मेरे पिता ने पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं किया लेकिन अब बड़े दुख के साथ मुझे यह शहर, यह प्रदेश और अपनी मिट्टी को छोडना पड़ेगा.”

पीएम मोदी को लेकर राना ने कहा था कि, ”प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री के कंधे पर हाथ रखकर ही बुरा कर दिया, जिसकी वजह से उन्होंने उत्तर प्रदेश में भेदभाव फैला दिया. इस सरकार ने सिर्फ नारा दिया सबका साथ सबका विकास का, हुआ कुछ नहीं. इनका बस चले तो प्रदेश से मुसलमानों को छुड़वा दें. उनके लिए दिल्ली कोलकाता गुजरात ज्यादा सुरक्षित है.”

साल 2021 में मुनव्वर राना ने बेटे तबरेज पर हुई फायरिंग के बाद खुद की जान खतरा बताते हुए गंभीर सवाल उठाए थे. जबकि, साल 2020 में कार्टून विवाद को लेकर फ्रांस में स्कूल टीचर की गला रेतकर हत्या करने की घटना को मुनव्वर ने जायज ठहराय़ा था. उन्होने तर्क देते हुए कहा था कि, ”अगर मजहब मां के जैसा है, अगर कोई आपकी मां का, या मजहब का बुरा कार्टून बनाता है या गाली देता है तो वो गुस्से में ऐसा करने को मजबूर हैं.”

मुनव्वर ने किसान आंदोलन पर ट्विटर पर एक शेर लिखा था, जिस पर विवाद हो गया. अपने इस शेर में राना ने संसद को गिरा कर खेत बनाने की बात कही और सेठों के गोदामों को जला देने की बा कही थी. हालांकि, विवाद होने पर उन्होने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था.

अगस्त 2020 में मुनव्वर राणा ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अयोध्या फैसला देने के लिए कथित तौर पर ‘खुद को बेचने’ का आरोप लगाया था. उन्होंने आगे कहा कि, यह न्याय नहीं, आदेश है, अत्यधिक अपमानजनक होने के कारण उनकी टिप्पणी प्रकाशित भी नहीं की जा सकी.

कौन थे मुनव्वर राना ?

मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर 1952 में रायबरेली में हुआ था. लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता, पश्चिम बंगाल में बिताया था. वे उर्दू के मशहूर शायर थे. उनकी लिखी कविताएं शाहदाबा के लिए उन्हें साल 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.राना ने हिन्दी और अवधी शब्दों का प्रयोग किया और फारसी और अरबी से परहेज किया. यह उनकी कविता को भारतीय दर्शकों के लिए सुलभ बनाता है और गैर-उर्दू क्षेत्रों में आयोजित कवि सम्मेलनों में उनकी लोकप्रियता को बताता है.

इन पुरस्कारों से किया गया सम्मानित

मुनव्वर राना को साल 2012 में उन्हें उर्दू साहित्य में उनकी सेवाओं के लिए शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसके बाद साल 2014 में उन्हें उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्होंने लगभग एक साल बाद यह पुरस्कार लौटा दिया. उन्होंने देश में बढ़ती असहिष्णुता के कारण राज्य प्रायोजित सांप्रदायिकता को देखते हुए कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई ली थी.

बनारस से था जुडाव

हरदिल अजीज शायर मुनव्वर राना के निधन की खबर बनारस के उनके चाहने वालों के दिलों को ठेस पहुंचा गई. बनारस पान के आशि‍क और अपने बेबाक कलम से उर्दू अदब को संवारने वाले वह मुशायरों के डायस थे. उनका इस शहर के लोगों को हमेशा बेसब्री से इंतजार रहता था. बेनियाबाग मुशायरे की वह शान थे. उनको बनारस का पान और खाने पीने की चीज बहुत पसंद थी. इसी के इश्क में उन्होंने एक बार लिखा था “ मोहब्बत में तुम्हें आंसू बहाना नहीं आया, बनारस में रहे और पान खाने नहीं आया”.

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