शिंदे गुट ही है असली शिवसेना

0

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर व अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना से अलग हुए विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को बड़ी राहत देते हुए उनकी सदस्यता बरकरार रखी.

Also Read : 10 हजार से अधिक लोगों ने तत्काल खुलवाए इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक खाते

‘शिंदे ही विधायक दल के नेता’

स्‍पीकर ने कहा कि शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से नहीं हटाया जा सकता. उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग के रिकार्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखते हुए उन्‍होंने ये फैसला सुनाया. शिवसेना का 1999 का संविधान मान्य है. उनका संशोधित संविधान का रिकार्ड चुनाव आयोग के पास नहीं है. साल 2018 में शिवसेना ने संविधान संशोधन किया था.

उद्धव गुट को बड़ा झटका

बुधवार को महाराष्‍ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को महाराष्‍ट्र विधानसभा स्‍पीकर राहुल नार्वेकर ने तगड़ा झटका दिया. स्‍पीकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं था. आगे कहा कि उद्धव ठाकरे के पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है. उनका नेतृत्व संवैधानिक नहीं है. स्‍पीकर के फैसले से यह साफ हो गया कि एकनाथ शिंदे की मौजूदा सरकार को महाराष्‍ट्र में कोई खतरा नहीं है. वह आगे भी सीएम बने रहेंगे.

फैसले में इन बातों पर बोले स्पीकर

– उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों, शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है. दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान यह निर्धारित करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है.
– उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो उस मामले में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो संविधान प्रतिद्वंद्वी गुटों के उभरने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था. आगे निष्कर्ष दर्ज करने से पहले यह दोहराना जरूरी है कि इस अयोग्यता की शुरुआत के अनुसार, महाराष्ट्र विधान सचिवालय ने 7 जून 2023 को एक पत्र लिखा था, जिसमें चुनाव आयोग कार्यालय से पार्टी संविधान/ज्ञापन/नियमों की एक प्रति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था.
– उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर नहीं जा सकता जिसके आधार पर संविधान मान्य है. रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं.
– अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व संरचना पर दोनों दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा.
– शिवसेना के असली गुट पर क्या बोले: राहुल नार्वेकर ने यह भी कहा कि मेरे सामने मौजूद साक्ष्यों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि 2013 के साथ-साथ 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था. हालांकि, 10वीं अनुसूची के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाले अध्यक्ष के रूप में मेरा क्षेत्राधिकार सीमित है और मैं इससे आगे नहीं जा सकता. चुनाव आयोग का रिकॉर्ड जैसा कि वेबसाइट पर उपलब्ध है और इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है. इस प्रकार, उपरोक्त निष्कर्षों को देखते हुए, मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध 27 फरवरी 2018 के पत्र में प्रतिबिंबित शिवसेना की नेतृत्व संरचना प्रासंगिक नेतृत्व संरचना है. जिसे यह निर्धारित करने के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कौन सा गुट है असली राजनीतिक दल है.
– नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. रिकॉर्ड के अनुसार मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है.

कोर्ट के कहने पर लिया फैसला

मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कहा. अदालत ने स्पीकर से कहा कि उन्हें अपने निर्णय को इस बात पर नहीं करना चाहिए कि विधानसभा में किस समूह के पास बहुमत है. स्पीकर को चुनाव आयोग के आदेश से प्रभावित हुए बिना, कौन सा गुट एक राजनीतिक दल है, इस पर फैसला लेना चाहिए.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More