Sex Addiction : सेक्सुअल जरूरतों के आगें कहीं आप भी तो नहीं है मजबूर, जानें उपाय ?
Sex Addiction : सेक्स एडिक्शन एक खतरनाक डिसऑर्डर की तरह ही है, जिसमें आदमी अपनी सेक्शुअल जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चला जाता है. उसका अपने ऊपर किसी तरह को कोई कंट्रोल नहीं रहता है, इस डिसऑर्डर से ग्रसित आदमी कई बार रेप तक को अंजाम दे देता है. जिससे आदमी की जिन्दगी तक खराब हो जाती है. इसके लिए जरूरी है कि, आप इस डिसऑर्डर की पहचान कर समय से इस समय से निजात पाएं. आइए जानते है इस डिसऑर्डर से जुडे लक्षण और उपाय…
क्या होता है Sex Addiction : ?
सेक्स ऐडिक्शन गैर-नियंत्रित सेक्शुअल गतिविधि है. सेक्स से जुड़ी हर बात इस स्थिति में आती है, चाहे वह पॉर्न देखना हो, मास्टरबेशन हो या फिर प्रॉस्टिट्यूट जाना हो, बस यह एक ऐसी गतिविधि है जिस पर इंसान का नियंत्रण नहीं रहता है.
क्या हैं लक्षण?
सेक्स थेरेपिस्ट के साथ रेग्युलर मीटिंग्स के बिना यह बताना बहुत मुश्किल है कि किसे यह डिसऑर्डर है लेकिन कुछ लक्षण है जिनसे आप अंदाजा लगा सकती हैं और फिर डॉक्टर से कंसल्ट कर सकती हैं. जैसे, बहुत सारे लोगों के साथ अफेयर होना, मल्टिपल वन नाइट स्टैंड, मल्टिपल सेक्शुअल पार्टनर्स, हद से ज्यादा पॉर्न देखना, अनसेफ सेक्स करना, साइबर सेक्स, प्रॉस्टिट्यूट्स के पास जाना, शर्मिंदगी महसूस होना, सेक्शुअल नीड्स पर से नियंत्रण खो देना, ज्यादातर समय सेक्स के बारे में ही सोचना या सेक्स करना, सेक्स न कर पाने की स्थिति में तनाव में चले जाना.
सेक्स एडिक्शन ऐसे पाएं छुटकारा
सेक्स एडिक्शन के शिकार लोगों को फौरन साइकॉलजिस्ट या साइकायट्रिस्ट के पास जाना चाहिए. साइकॉलजिस्ट काउंसिलिंग और बिहेवियर मॉडिफिकेशन के आधार पर इस ऐडिक्शन का इलाज करते है और मरीज के विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश करते है.
ऐसे लोगों को दूसरें कामों में व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है, उन्हें समझाया जाता है कि वे संगीत, लॉग वॉक आदि का सहारा लें और अपने परिवारवालों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. साइकायट्रिस्ट दवाओं के माध्यम से इलाज करता है.
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सेक्स ऐडिक्शन एनोनिमस (एसएए) यौन हिंसा का शिकार होने वाले लोगों का समूह है. यहां दवा नहीं दी जाती और कोई शुल्क नहीं लिया जाता. मीटिंग में इसके सदस्यों ने अपने जीवन के कठिन अनुभवों, नुकसानों और उन पर काबू पाने की कहानी शेयर करते है. मीटिंग में आने वाले नए सदस्यों को भी इससे बचाने में मदद करते हैं, पीड़ितों का आत्मविश्वास बढ़ता है और इस बुरी आदत को छोड़ने का साहस मिलता है.