पैसे लेकर पास कर दो गुरू जी!

0

बस्ती। उत्तर प्रदेश बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन जोरशोर से शुरू है, लेकिन जांच में शिक्षा व्यवस्था की पोल भी खुल रही है। कॉपियों को देखकर लग रहा है कि पठन-पाठन का स्तर और गिरता ही जा रहा है। शिक्षा के स्तर में किस हद तक गिरावट आ चुकी है उसकी एक बानगी कॉपियों के मूल्यांकन में दिख रही है। कॉपियों में छात्र और छात्राएं अच्छे नंबर देने के लिए शिक्षकों को रिझाने की तमाम कोशिश की हैं।

युवाओं की हालत अब ऐसी हो गई है कि अब वे नोटो के बदले नंबर खरीदने के जुगाड़ में जी जान से लगे हुए है। कई कॉपियों में 100 से 500 तक के नोट निकल रहे हैं तो कई कॉपियों में शेर-ओ-शायरी लिख कर छात्र और छात्राएं पास करने की मिन्नत की हैं। इतना ही नहीं कई छात्र अपनी गरीबी का रोना रो रहे हैं, तो कोई अपनी शादी का बहाना बना रहा है। कईयों ने तो अपने पिता को शराबी तक बना दिया है।

जीजीआईसी इंटर कॉलेज में दसवीं और बारहवीं की कॉपियों के मूल्यांकन का कार्य चल रहा है। गुरूवार को कॉपियों की जांच के दौरान कन्नौज के बांकेलाल बिहारी इंटर कॉलेज के दसवीं के छात्रों की कापियां जांचते समय शिक्षकों के सामने अजीबो-गरीब स्थिति पैदा हो गई। जब एक परीक्षक विवेकानंद को दसवीं की कापियों में 50-100-500 के नोट मिलने लगे तो वह भी हैरान रह गये।bastiiiनोटों के साथ छात्रों ने कॉपी चेक करने वाले गुरू जी को अपने सम्बोधन में लिखा है कि उन्हें वे पास कर दें क्योंकि उनके सामने मजबूरी है। वे बहुत गरीब हैं, किसी छात्र ने लिखा है कि वह भीख मांगकर नकल कराने के लिये तीन हजार रूपये दिया है, फिर भी उसे नकल नहीं करने दिया गया।

जबकि एक छात्र ने तो यहां तक लिखा कि गुरू जी आपकी उम्र सौ साल हो जाए और आप मुझे पास कर दीजिये। एक छात्र ने लिखा है कि गुरू जी आपके चरण को मैं सादर स्पर्श करता हूं, प्लीज आप मुझे पास कर देना।

यूपी के युवाओं के कारनामों की यह स्थिति देखकर कॉपियां मूल्यांकन वाले परीक्षक भी खूब चटखारे लिये। कॉपियों के अंदर नोट रखकर कई छात्रों ने परीक्षकों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी कि इन बच्चों का आखिर भविष्य क्या होगा। कोई छात्र नंबर पाने के लिये गुरू जी की उम्र बढ़ा रहा है, तो कोई छात्रा अपनी शादी न होने का हवाला देकर गुरू जी को रिझाने की कोशिश कर रही है।

वहीं परीक्षकों ने भी माना कि उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में इस तरह की बातें बढ़ गई हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस साल कॉपियों में नोट रखने या फिर गाना व सहानुभूति वाले जुमले लिखने का प्रचलन काफी बढ़ गया है। जो सीधे तौर पर छात्र और छात्राएं खुद अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और अपने मां-बाप को धोखे में रखकर बोर्ड की परीक्षा में पढ़ाई करने के बजाये नोट का सहारा ले रहे हैं।

फिलहाल, गुरू जी ने कहा कि नोट तो उनकी जेब में जा रहा है। लेकिन नंबर वे ईमानदारी से ही दे रहे हैं। छात्रों ने जितने सही उत्तर लिखे हैं उसे उतना ही नंबर दिया जा रहा है। उन पर नोटों का कोई असर नहीं है। लेकिन ऐसे छात्रों का भविष्य कैसा होगा यह बहुत गंभीर मामला है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More