Varanasi : वो दिन दूर नहीं जब 1 बार चार्जिंग में 1500KM चलेगी कार
BHU में चल रही कांफ्रेस, वैज्ञानिकों ने कहा - कम खर्च और छोटी जगह में होगी बैटरी इंस्टाल
Varanasi : ऊर्जा के क्षेत्र में भारत तेजी से प्रगति कर रहा है. इसी दिशा में लिथियम सल्फर की बैटरी देश में तैयार हो रही है. इसकी खासियत यह है कि एक बार चार्ज होने के बाद कार 1500 किलोमीटर चलेगी. इस वक्त की बैटरी एक बार चार्जिंग में अधिकतम 500 किलोमीटर तक ही जा सकती है। उसके बाद चार्जिंग स्टेशन खोजने पड़ते हैं। लिथियम सल्फर की बैटरी का आकार और वजन इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी से 3 गुना कम होगा। डीजल-पेट्रोल कार की तरह से स्पीड में कोई अंतर नहीं होगा.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में 2 दिन से चल रहे कॉन्फ्रेंस में IIT मुंबई से आए वैज्ञानिक प्रो सागर मित्रा ने ऐसी जनकारी दी है. दरअसल, BHU में सॉलिड स्टेट आयॅनिक्स पर 15वीं कॉन्फ्रेंस चल रही है. इसकी थीम ‘ऊर्जा’ है. कॉन्फ्रेंस के संयोजक BHU के फिजिक्स डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रो राजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इसमें कुल 150 से ज्यादा वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.
लिथियम-सल्फर बैटरी से नहीं होगा प्रदूषण
IIT मुंबई के वैज्ञानिक प्रो. मित्रा का कहना है कि लिथियम सल्फर बैटरी की कार में आप डीजल-पेट्रोल कार वाला आनंद उठा सकते हैं, वो भी बिना किसी तरह का प्रदूषण फैलाए. स्पीड के साथ ही यह बैटरी काफी किफायती भी होगी, क्योंकि भारत में लिथियम और सल्फर संसाधनों की कोई कमी नहीं है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वर्तमान बैटरी वाली कार है, वो 10 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान पर नहीं चल सकती। उसको गर्म करना पड़ता है, जबकि इस बैटरी से आप 0 डिग्री या माइनस डिग्री तापमान में भी कार चला सकते हैं.
लैब स्केल पर हो चुका है टेस्ट
प्रो. मित्रा ने कहा, “अगर सभी चीजें ठीक रहीं और इसके लिए फंड मिले, तो अगले 2 साल में भारत के पास इस बैटरी की कार होगी. हम लोगों ने लैब स्केल पर इसका टेस्ट कर लिया है. इसमें सफलता मिली है. ग्रेफाइट मेटल ऑक्साइड बैटरी को लिथियम सल्फर बैटरी से रिप्लेस कर दिया जाएगा. इसका पावर भी 3 गुना ज्यादा होगा और कम जगह में इंस्टॉल किया जा सकेगा. अभी अमेरिकी मिलिट्री में इस तकनीक पर रिसर्च और ट्रायल चल रहा है. भारत भी उसी स्पीड से इस दिशा में काम कर रहा है. सरकार की ओर से फंड जारी होते ही लैब के इस काम को इंडस्ट्री लेवल पर उतारा जा सकेगा.
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बीएचयू में भी हो रहा रिसर्च
फ्रांस की राजधानी पेरिस से आए प्रोफेसर रॉबर्ट स्लेड ने बताया कि जल्दी वो समय आएगा कि जब आप अपनी कार को 5 बार चार्ज करके बनारस से लंदन तक पहुंच सकते हैं. मगर बीच में 5 जगह चार्जिंग स्टेशन भी बनाने पड़ेंगे. लॉन्ग रेंज की बैटरी ट्रांसपोर्ट से भी आगे कई काम में आ सकती है. BHU सहित दुनिया के 6 विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस बैटरी पर रिसर्च कर रहे हैं. लैब स्केल पर स्मॉल डिवाइस लेवल पर टेस्टिंग चल रही है। प्रोटोटाइप भी बने हैं. ज्यादा से ज्यादा फंडिंग और इंडस्ट्रीज इनवॉल्वमेंट चाहिए.