Mahamrityunjaya Mantra: अकाल मृत्यु पर कैसे पाएं विजय, करें इस मंत्र का जाप
इस मंत्र की रचना के पीछे की पौराणिक कथा और लाभ
Mahamrityunjaya Mantra : हर कोई अकाल मृत्यु से खुद को और अपनों को सुरक्षित रखना चाहता है, ऐसे में हिंदू धार्मिक ग्रंथों में एक मंत्र का वर्णन किया गया है, जिसके लेकर मान्यता है कि, इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति के ऊपर से बड़ा से बड़ा संकट टल जाता है. दरअसल, हिन्दू धर्म में भगवान शिव को मृत्यु को जीतने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने समुद्र मंथन से विष पिया था. यही कारण है कि इन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है.
सनातन धर्म में भगवान शिव को महादेव या देवाधिदेव की उपाधि दी गयी है, ऐसे में माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने उनके भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते है.इसके साथ ही महादेव की आराधना करने के लिए उन्हें यह महामृत्युंजय मंत्र बताया जाता है, यह मंत्र महादेव को अर्पित किया जाता है, इसी वजह से यह मंत्र बहुत प्रभावशाली है. लेकिन क्या आप जानते है महामृत्युंजय मंत्र की रचना किसने और क्यों की थी और इसके जाप की क्या विधि होती है? आइए जानते हैं …..
महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ- हे तीन आंखों वाले जगत पिता शिव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी कष्ट के डाल से अलग हो जाता है, कृपया कर हमें उसी तरह इस दुनिया के मोह एवं माया के बंधनों एवं जन्म मरण के चक्र से मुक्ति दीजिए.
ऐसे हुई थी महामृत्युंजय मंत्र की रचना
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकण्डु भगवान शिव के अनंत भक्त थे, उनके कोई भी संतान नहीं थी. इसलिए संतान प्राप्त करने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की, जिससे भगवान शंकर ने प्रसन्न हो गए और ऋषि मृकण्डु को संतान का आशीर्वाद तो दिया, लेकिन इसके साथ ही यह भी बताया कि, उनकी संतान अल्पायु तक ही जीवित रह पाएंगी. इसके कुछ ही समय बाद ऋषि मृकण्डु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम मार्कण्डेय रखा गया. अपने पिता की तरह ही मार्कण्डेय जी भी भगवान शिव के परम भक्त थे. वह भी महादेव की भक्ति में लीन रहा करते थे.
लेकिन मार्कण्डेय की अल्प आयु होने की वजह से उनके माता पिता हमेशा दुखी रहा करते थे.धीमे – धीमे मार्कण्डेय की मृत्यु का समय निकट आ रहा था. ऐसे में मार्कण्डेय ने अपने माता – पिता के इस दुख को दूर करने के लिए महामृत्युजय मंत्र की रचना और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करते रहे. इसके बाद जब उनकी मृत्यु का समय निकट आने पर यमदूर उनके प्राण लेने के लिए आए.
उधर यमदूत ने जब ऋषि मार्कण्डेय को शिव भक्ति में लीन पाया तो वे वापस लौट गए और यह पूरी बात यमराज को बताई. इसके बाद यमराज खुद मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए धरती पर पहुंचे और मार्कण्डेय पर पाश चला दिया. इस दौरान मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए, जिसकी वजह से वह पाश शिवलिंग को जा लगा. ऐसे में यमराज की आक्रमकता को देख शिव भगवान क्रोधित होकर वहां प्रकट हुए. इसके बाद यमराज ने अपनी गलती पर क्षमा मांगते हुए भगवान शिव को इस हमले की वजह बताते हुए कहा कि, इस बालक की मृत्यु तय है और यही विधि का विधान है. तब शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान दिया, जिससे विधि का विधान ही बदल गया.
महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
मान्यता है कि, इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु नहीं होती, बल्कि भगवान शिव दुर्घटनाओं से भी बचाते हैं। इसलिए, स्वस्थ रहना और लंबी उम्र जीना चाहते हैं तो इस महामृत्युंजय मंत्र को जाप करना चाहिए, महामृत्युंजय का अर्थ त्र्यंबकेश्वर होता है. श्री त्र्यंबकेश्वर को दुःख और दानव को मिटाने वाला कहा जाता है, यजुर्वेद का महामृत्युंजय मंत्र उनकी सभी शक्ति सिद्धियों को बताता है. शिव भक्त हर समय इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, जो उनके सभी दुखों को दूर करता है.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मन प्रसन्न हो जाता है. इस मंत्र का जाप भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। हिन्दू धर्म में श्रावण, ताश्चन, महाशिवरात्रि आदि मास में इस मंत्र का जाप लगातार मंदिर में किया जाता है. मान्यता अनुसार हमें इस महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करना चाहिए जो हमारे सभी दुखों को दूर करता है और हमारे जीवन में सुख, शांति और अच्छे स्वास्थ्य लाभ लाता है.
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महामृत्युंजय मंत्र के जाप के नियम
महामृत्युंजय मंत्र का जाप नियमित रूप से सुबह के समय घर से निकलते समय और काम पर जाते समय 9 बार और रात को सोने से पहले 9 बार करना चाहिए. धन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करना चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त (प्रात: 4:00 बजे) पर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ और लाभकारी माना गया है.
महामृत्युंजय मंत्र जाप करने के लिए कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं, जिसके पालन से इस मंत्र का फल प्राप्त किया जा सकता है. महामृत्युंजय मंत्र करने के लिए सुबह के समय घर से निकलते समय और काम पर जाते समय 9 बार और रात को सोने से पहले 9 बार करने चाहिए. इसका जाप करने से धन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महामृत्युंजय मंत्र प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए. माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त (प्रात: 4:00 बजे) पर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप लाभकारी होता है.