Uttarkashi Tunnel Accident : एडीआरएफ टीम टनल में पहुंची, मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया शुरू

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Uttarkashi Tunnel Accident : उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में बीते 17 दिनों से चल रही खुदाई पूरी होने के बाद मंगलवार की दोपहर 3.03 बजे मजदूरों को निकालने के लिए एनडीआरएफ टीम टनल के अंदर पहुंच गई है. मजदूरों को टनल से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. रेस्क्यू आपरेशन बड़ी सावधानी से चलाया जा रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी मौके पर मौजूद हैं. स्ट्रेचर से श्रमिकों को निकाला जा रहा था. मजदूरों को अस्पताल ले जाने के लिए मौके पर 40 एम्बुलेंस और जरूरत पर एयरलिफ्ट करने के लिए वायुसेना का हेलीकाप्टर भी पहुंच गया है. मजदूरों को अस्पताल तक ले जाने के लिए ग्रीन कारीडोर बनकर तैयार कर लिया गया है.

टनल के बाहर तमाम मीडिया के लोगों के अलावा आसपास के लोगों का जमावड़ा लगा था। कर्मवीर मजदूरों को पहनाने के लिए मालाएं मंगा ली गई थीं। बता दें कि 12 नवंबर को भी रोजाना की तरह मजदूर यहां काम कर रहे थे. सुबह 5.30 बजे अचानक भूस्खलन होने लगा. इस दौरान कई मजदूर बाहर निकल गए. फिर अचानक निर्माणाधीन टनल का 60 मीटर हिस्सा धंस गया और 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे रह गए.

50 मीटर चौड़े रोड व दो किमी लम्बाई में थे मजदूर

मजदूर सिलक्यारा छोर से अंदर गए थे. जिस सुरंग में ये फंसे थे उसका 2340 मीटर का हिस्सा तैयार हो चुका था. इसी हिस्से में भूस्खलन के बाद पहाड़ का मलबा 200 मीटर की दूरी पर गिरा, जिसके कारण मजदूर फंस गये. यह मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में है. मजदूर 260 मीटर के ऊपर फंसे हैं. इन मजदूरों को पीछे घूमने के लिए दो किलोमीटर का इलाका है. 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में ये लोग मूव कर सकते थे.

मजदूरों ने इस तरह खुद को तनावमुक्त रखा

अंदर फंसे मजदूरों को तनावमुक्त रखने के लिए बाहर से प्रशासन ने कई तरीके अपनाए. मजदूरों को टाइम पास करने और उन्हें व्यस्त रखने के लिए लूडो, ताश और शतरंज सुरंग के अंदर भेजे गए थे. मजदूरों को तनाव मुक्त रखने के लिए उन्हें योग करने की सलाह दी गई. सरकार ने मजदूरों तक फोन भी भिजवाया ताकि वह अपने घरवालों से बात करते रहें. शनिवार (26 नवंबर) को मजदूरों के पास गेम खेलने के लिए मोबाइल फोन भी भेजे गए थे, ताकि वह खुद को तनावमुक्त रख सकें.

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टनल में फंसे सबसे अधिक  झारखंड के मजूदर

सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों में उत्तराखंड के दो, हिमाचल प्रदेश के एक, उत्तर प्रदेश के आठ, बिहार के पांच, पश्चिम बंगाल के तीन, असम के दो, झारखंड के 15 तथा ओडिशा के पांच श्रमिक हैं।

ये मजदूर फंसे हैं सुरंग में
गब्बर सिह नेगी, उत्तराखंड
सबाह अहमद, बिहार
सोनु शाह, बिहार
मनिर तालुकदार, पश्चिम बंगाल
सेविक पखेरा, पश्चिम बंगाल
अखिलेष कुमार, यूपी
जयदेव परमानिक, पश्चिम बंगाल
वीरेन्द्र किसकू, बिहार
सपन मंडल, ओडिशा
सुशील कुमार, बिहार
विश्वजीत कुमार, झारखंड
सुबोध कुमार, झारखंड
भगवान बत्रा, ओडिशा
अंकित, यूपी
राम मिलन, यूपी
सत्यदेव, यूपी
सन्तोष, यूपी
जय प्रकाश, यूपी
राम सुन्दर, उत्तराखंड
मंजीत, यूपी
अनिल बेदिया, झारखंड
श्राजेद्र बेदिया, झारखंड
सुकराम, झारखंड
टिकू सरदार, झारखंड
गुनोधर, झारखंड
रनजीत, झारखंड
रविन्द्र, झारखंड
समीर, झारखंड
विशेषर नायक, ओडिशा
राजू नायक, ओडिशा
महादेव, झारखंड
मुदतू मुर्म, झारखडं
धीरेन, ओडिशा
चमरा उरॉव, झारखंड
विजय होरो, झारखंड
गणपति, झारखंड
संजय, असम
राम प्रसाद, असम
विशाल, हिमाचल प्रदेश
पु्ष्कर, उत्तराखंड
दीपक कुमार, बिहार

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