वाराणसी कचहरी बम-ब्लास्ट की 16 वीं बरसी पर अधिवक्ताओं की आंखें नम
वाराणसी कचहरी बम ब्लास्ट की 16वीं बरसी पर गुरुवार को अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य नहीं किया. 23 नवंबर का वह दिन जिसे आज भी याद कर लोग सिहर जाते हैं. उन दिनों को याद कर अधिवकताओं की आंखें नम हो गईं. आपको बता दें कि इस धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे.
अधिवक्ता उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि दीवानी कचहरी परिसर का माहौल अन्य दिनों की भांति ही सामान्य था. पूर्व विधायक अजय राय अपने बड़े भाई अवधेश सिंह की हत्या के मामले में गवाही देने के लिए कचहरी पहुंचे थे. इसी दौरान दोपहर में लगातार दो धमाके हुए तो लोगों को लगा कि अजय राय पर हमला किया गया है. हालांकि थोड़ी ही देर में पता लगा कि कचहरी में आतंकी हमला हुआ है और नौ लोगों की जान चली गई है.
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एटीएस की जांच में सामने आया सच
एटीएस ने तफ्तीश शुरू की तो सामने आया कि दीवानी कचहरी में मुख्तार उर्फ राजू और सज्जाद ने साइकिल में टिफिन बम प्लांट किया था. इसके लिए आतंकी कश्मीर से जौनपुर आए थे. आतंकियों को शरण देने के आरोप में जौनपुर निवासी अब्दुल खालिद गिरफ्तार किया गया था. वहीं, आजमगढ़ निवासी हकीम उर्फ तारिक उर्फ कासिम को आतंकी घटना की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कचहरी में सीरियल ब्लास्ट की घटना में 10 आतंकियों के नाम सामने आए थे. इनमें से आतंकी संगठन हूजी के कमांडर हम्मास को एटीएस और कश्मीर पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था.
कचहरी बम-ब्लास्ट: याद कर जख्म हो जाते हैं हरे
इस ब्लास्ट में तीन अधिवक्ताओं समेत नौ लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में अधिवक्ता भोला नाथ सिंह, ब्रह्मदेव शर्मा, बुधिराम वर्मा के अलावा एक दुकादार, मुंशी व पालिश करने वाला बच्चा भी शामिल था. इस आतंकी घटना को लेकर कैंट थाने में विस्फोटक अधिनियमम, हत्या समेत विभिन्ना आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया गया था. उसी दिन फैजाबाद व लखनऊ कचहरी में भी क्रमबद्ध बम धमाके किए गए थे. घायलों का कहना है कि उस पल को याद करने पर जख्म हरे हो जाते हैं.
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