Rajasthan: बागियों के चलते,जीत का दावा नहीं कर पा रही कांग्रेस या बीजेपी
सर्वे बीजेपी के पक्ष में लेकिन नेता संशय में ...
राजस्थान: प्रदेश की राजनीति इस समय एक तरीके से चल रही है. बता दें कि राजस्थान में पिछले 25 वर्षों में जब भी विधानसभा चुनाव हुए, खामोशी के साथ हुए. वहीं इस बार बदली परिस्थिति के बीच प्रचार- प्रसार के साथ विधानसभा चुनाव की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर है. इससे पहले यहां के चुनावों की कभी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तक नहीं हुई. आपको बता दें कि ऐसा इसलिए कि नतीजे के लिए लोगों को न तो ओपिनियन पोल का इंतजार रहता था और न ही उसे लेकर अटकलें लगाई जाती थीं. प्रदेश में दो पार्टियों के बीच पंचवर्षीय योजना लागू थी. इनमें एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस को मौका मिलता था. इस हिसाब से देखें तो इस बार BJP की बारी है. लेकिन ऐसा होगा ही, यह कोई भी यकीन के साथ नहीं कह पा रहा. भले ही ज्यादातर सर्वे BJP की आसान जीत का दावा कर रहे हों, लेकिन खुद BJP भी इन पर यकीन नहीं कर रही है.
सवाल है कि इस बार ऐसा क्या हुआ कि चुनाव कांटे का हो गया ?…
गौरतलब है कि सर्वे और ओपिनियन पोल के मुताबिक इस बार प्रदेश मंर BJP को करीब 70 तो कांग्रेस की 50 सीटें पक्की हैं. बाकी 79 सीटें में पेंच फंसी हैं. BJP को 22 तो कांग्रेस को 17 बागियों से निपटना पड़ रहा है. सबसे खास बात यह है कि इन बागी सीटों में अभी तक कोई भी बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं गया है चाहे वो प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत हो या बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे. माना यह जा रहा है कि दोनों चाहते हैं, उनकी पार्टी 95-96 सीटों पर अटक जाए, ताकि बागियों के समर्थन से सीएम बनने का रास्ता तैयार किया जा सके.
लैंगिक विषयों पर भेदभाव हटाने के लिए चित्रों से किया ध्यान आकर्षित
सत्ता की चाबी महिलाओं और युवाओं के पास…
राज्य में 18 से 21 साल के लगभग 60 लाख वोटर हैं जो पहली बार मतदान करेंगे. राज्य में 21 से 29 साल के बीच का आंकड़ा सवा करोड़ वोटर है. गौरतलब है कि ये दोनों वोटर समूह पेपर लीक और बेरोजगारी की मार से तंग हैं.
असमंजस में BJP और CONGRESS के नेता …..
खास बात यह है कि प्रदेश में महिला वोटर पुरुषों के मुकाबले लगभग 20 लाख कम हैं, लेकिन इनका वोट प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा है. ग्रामीणों क्षेत्रों में महिलाएं अशोक गहलोत का गुणगान करती हैं, लेकिन इनमें से कितनों का वोट इस बार कांग्रेस को मिलेगा ही यह तय नहीं है. इसी तरह युवा वोटर पर्चे लीक होने से गहलोत सरकार के खिलाफ गुस्से का भाव जरूर रखता है, लेकिन वोट के मामले में इनका नजरिया अलग है .
BJP पर भारी पड़ती है बगावत…
आपको बता दें कि हर बार के चुनाव में यहां भाजपा को बागियों की बगावत भारी पड़ती है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 70 विधायकों के टिकट काटे थे. इसके बाद बड़ी संख्या में बागी कांग्रेस के खिलाफ उतरे और उन्हें हराने में अहम योगदान दिया.
उदाहरण के तौर पर धन सिंह रावत बांसवाड़ा सीट पर तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन 32 हजार से ज्यादा वोट काटने की वजह से बीजेपी के हरकु माइडा चुनाव हार गए थे. जैतारण सीट से सुरेंद्र गोयल, रतनगढ़ से राजकुमार रिणवा, महुआ सीट से ओमप्रकाश हुड़ला, सागवाड़ा से अनिता कटारा, डूंगरपुर से देवेंद्र कटारा, श्री डूंगरगढ़ से किसनाराम नाई और सिकराय सीट से गीता वर्मा न खुद जीते और न ही बीजेपी उम्मीदवार को जीतने दिया.
BJP के बागी ही बढ़ा रहे टेंशन….
गौरतलब है कि इस बार भी 2018 की तरह कई विधायक पार्टी खेमे से नाराज हो गए होकर निर्दलीय मैदान में चुनाव लड़ने को लेकर तैयार हो गए हैं. यदि मौजूदा समय में बागियों की बात करें तो कांग्रेस की अपेक्षा BJP में बागियों की संख्या ज्यादा है. BJP बागी नेताओं में इस बार पांच पूर्व मंत्री भी हैं. बीजेपी के बागी चित्तौड़गढ़ से मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, शाहपुरा (भीलवाड़ा) से विधायक कैलाश मेघवाल, झोटवाड़ा सीट से राजपाल सिंह शेखावत, डीडवाना से यूनुस खान, कामां से मदन मोहन सिंघल, खंडेला से बंशीधर बाजिया चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं.
मायावती की सक्रियता ने बढ़ाई दोनों दलों की टेंशन…
कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. बता दें कि BSP प्रदेश की 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसके चलते कांग्रेस और भाजपा खेमे में निराशा दिखने लगी है.
RLP और रावण का गठबंधन …
दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन करके चुनावी महासमर में खलबली मचा दी है. यानी यह तय हो गया है कि अब ये दोनों दल साथ मिलकर हुंकार भरेंगे और प्रमुख राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ेंगे. गठबंधन का असर कई विधानसभा सीटों पर पड़ना निश्चित माना जा रहा है. दरअसल, कुछ ऐसी चुनिंदा सीटें हैं जहां बेनीवाल और चंद्रशेखर की पकड़ मजबूत दिखाई देती है. ऐसे में इन सीटों पर ये गठबंधन कांग्रेस-भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है.