विजयदशमी पर क्यों ट्रेड हुए चक्रवर्ती सम्राट अशोक?
आज पूरे भारत देश में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी मनाया जा रहा है. विजयादशमी का पर्व पूरे देश में अलग – अलग तरह से मनाया जाता है. इसके चलते उत्तर भारत में नवरात्रि के पहले दिन से रामलीला का आयोजन किया जाता है, इसके बाद नवरात्र के अंतिम दिन यानी दशमी को रावण के पुतले को आग लगाकर विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे कुछ स्थानों पर कुंभकरण, मेघनाथ और रावण तीनों के पुतले का दहन किया जाता है तो, कुछ स्थानों पर सिर्फ रावण का ही पुतला जलाया जाता है। वही पश्चिम भारत में इस दिन को दुर्गा पूजा के रूप में काफी आकर्षक तरीके से मनाया जाता है।
ऐसे में कोई पर्व हो और लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट न करें ऐसा भला हो सकता है. शायद यही वजह है कि, हर त्यौहार पर उस त्यौहार का टैग ट्रेड करता ही है। लेकिन विजयादशमी के मौके पर अशोक विजयादशमी या सम्राटअशोक ट्रेड करना जिज्ञासा पैदा करती है, आखिर क्यों ? ट्रेंड पर जाएंगे तो महाराष्ट्र के नागपुर में चक्रवर्ती सम्राट अशोक की प्रतिमा स्थापित किए जाने के कार्यक्रम की जानकारी मिलती है। दरअसल, विजयादशमी के दिन ही धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया था इसलिए अशोक विजयादशमी भी कहते हैं।
सम्राट अशोक और विजयादशमी का क्या है कनेक्शन ?
“अशोक विजयदशमी” सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध में विजयी होने के दसवें दिन तक मनाये जाने के कारण इसे अशोक विजयदशमी कहते हैं. इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी. ऐतिहासिक सत्यता है कि महाराजा अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाने की घोषणा कर दी थी. बौद्ध बन जाने पर वह बौद्ध स्थलों की यात्राओं पर गए. तथागत गौतम बुद्ध के जीवन को चरितार्थ करने तथा अपने जीवन को कृतार्थ करने के निमित्त हजारों स्तूपों ,शिलालेखों व धम्म स्तम्भों का निर्माण कराया.
सम्राट अशोक के इस धार्मिक परिवर्तन से खुश होकर देश की जनता ने उन सभी स्मारकों को सजाया संवारा तथा उस पर दीपोत्सव किया. यह आयोजन हर्षोलास के साथ १० दिनों तक चलता रहा, दसवें दिन महाराजा ने राजपरिवार के साथ पूज्य भंते मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म दीक्षा ग्रहण की. धम्म दीक्षा के उपरांत महाराजा ने प्रतिज्ञा की, कि आज के बाद मैं शास्त्रों से नहीं बल्कि शांति और अहिंसा से प्राणी मात्र के दिलों पर विजय प्राप्त करूँगा. इसीलिए सम्पूर्ण बौद्ध जगत इसे अशोक विजय दशमी के रूप में मनाता है.
सर्वांना अशोक विजयादशमी तथा धम्मचक्र प्रवर्तन दिनाच्या मंगलमय सदिच्छा.
जय भीम💙 नमो बुद्धाय.. pic.twitter.com/4H9gh34yLo— Pooja_1010 (@Dabbu_1010) October 24, 2023
फाइनली सम्राट अशोक नागपुर पहुंच ही गए 💙 pic.twitter.com/GKnvEHfyHP
— Anjul Bamhrolia (@AnjulBamhrolia) October 21, 2023
आप सभी देशवासियों को सम्राट अशोक धम्म विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज के ही दिन सम्राट अशोक जी ने कलिंग युद्ध जीत कर बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण की थी, जिसने करोड़ों भारतवासियों को सही मार्ग की ओर प्रशस्त और प्रेरित किया। #अशोक_धम्म_विजय_दिवस pic.twitter.com/dfPqzkTuHJ
— Tribal Army (@TribalArmy) October 24, 2023
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साल 1956 की विजयादशमी
साल 1956 की 14 अक्टूबर को अशोक विजयादशमी के अवसर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व नागपुर की दीक्षाभूमि पर अपने 500,000(5 लाख) समर्थको के साथ तथागत भगवान गौतम बुद्ध की शरण में आये और बौद्ध धर्म ग्रहण किया ,इस कारण इस दिन को” धम्म चक्र परिवर्तन” दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वह दलित आंदोलन का एक महत्वपूर्ण पल था इसलिए हर साल विजयादशमी के मौके पर उस दिन को याद करते हैं. हर साल अशोक विजयादशमी के दिन हजारों लोग बौद्ध धर्म स्वीकार करते हैं.