I.N.D.I.A. में पड़ गई दरार, आमने – सामने आयी सपा और कांग्रेस, अखिलेश ने खेला ये दांव…

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‘ना खेलब ना खेले देब…खेलवे बिगाड़ब’ यह कहावत सपा और कांग्रेस के बीच छिड़ी सियासी जंग पर यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। दरअसल, इस कहावत का मतलब होता है- न खुद खेलेंगे न किसी को खेलने देंगे बस खेल खराब करेंगे। इन दिनों यह कहावत एमपी चुनाव के बीच खूब चर्चा में बनी हुई है, उसकी वजह है कांग्रेस पर पड़ने वाला अखिलेश का सियासी दांव। आपको बता दें कि, कांग्रेस और सपा का गठबंधन टूटने सपा कुछ इस तरह का सियासी दांव खेलने को तैयार है।

क्योंकि, गठबंधन टूटने के बाद सपा उन सभी सीटो पर प्रत्याशी उतारने वाली है, जहां साल 2018 चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की कड़ी टक्कर थी। वही, बात करें सपा प्रत्याशियों के नामंकन की तो अभी तक सपा ने 29 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है। समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश की 243 में से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। 2018 में सपा को बिजावर सीट पर जीत मिली थी, जबकि 5 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। इंडिया गठबंधन बनने के बाद सपा को कांग्रेस से समझौते की उम्मीद थी।

वही राजनैतिज्ञों की माने तो, जिस तरह से सपा सियासी दांव फेंकने के जैसे प्रत्याशी उतार रही है, उससे कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान होता नजर आ रहा है। इसकी वजह से कम से कम 10 सीटों पर नुकसान होता नजर आ रहा है और सपा का ऐसा करने के पीछे एक और वजह है। हाल ही में एबीपी- सी वोटर के सर्वे में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश का मुकाबला काफी करीबी रहने वाला है। सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को 113-125, बीजेपी को 104-116 और अन्य को 0-5 सीटें मिल सकती हैं।

कांग्रेस और सपा में क्यों नहीं बनी बात ?

वही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडियाकर्मीयों से बात करते हुए कहा है कि, ‘रात एक बजे तक सीट बंटवारे को लेकर मीटिंग हुई, लेकिन बात नहीं बनी। गठबंधन पर बात क्यों नहीं बन पाई? इस सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस से पूछिए. कांग्रेस को इसका जवाब देना चाहिए.सपा मध्य प्रदेश के 7-9 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी। इंडिया गठबंधन के कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक में सपा के जावेद अली खान ने सीट को लेकर दावा भी ठोका था। खान का कहना था कि सपा मध्य प्रदेश में पिछले चुनाव में 1 सीटों पर जीती थी, जबकि 5 पर दूसरे नंबर पर रही थी।

सपा के दावे के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत भी शुरू हुई, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने सपा के दावे वाली सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा कर दी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सपा गठबंधन पर वीटो कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व ने लगा दिया। स्थानीय नेतृत्व का तर्क था कि मध्य प्रदेश में सपा के पास मजबूत संगठन नहीं है। सपा दूसरी पार्टी से आए नेताओं के सहारे सीटों पर दावेदारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व का यह भी कहना था कि अगर सपा को सीटें दी गई, तो दूसरे और दल समझौते को लेकर दबाव बनाएंगे।

सपा इन सीटों पर बढाएगी कांग्रेस की मुश्किलें

पिछले चुनाव में सपा को छत्तरपुर के बिजावर सीट पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, विधायक राजेश शुक्ला पार्टी छोड़ चुके हैं। इसलिए इस सीट से सपा ने मनोज यादव को उम्मीदवार बनाया है। वही कांग्रेस ने चरण सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है। वही वोट की बात करें तो, इस सीट पर यादव मतदाता जीत दर्ज करते है। इसके साथ ही कांग्रेस ने निवाड़ी से मीरा यादव को उम्मीदवार बनाया है, मीरा 2008 चुनाव में सपा से चुनाव जीत चुकी है। करीबी मुकाबले में अगर यह वोट प्रतिशत कांग्रेस में जुड़ता तो पार्टी को कम से कम 15 सीटों का फायदा हो सकता है।

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यूपी में गठबंधन की हिली जड़े

कांग्रेस और सपा के बीच में एमपी चुनाव को लेकर न हुए समझौते पर अखिलेश यादव ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि, हमारे लोगों से कांग्रेस की बात चल रही थी, लेकिन बीच में ही यह फैसला लिया गया। इंडिया की बैठक में हमें यह समझ में आया था कि पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ लड़ा जाएगा, लेकिन कांग्रेस प्रदेश के हिसाब से फैसला ले रही है। उत्तर प्रदेश को लेकर भी अब हम बाद में फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि जो जैसा व्यवहार करेगा, उसके साथ समाजवादी लोग वैसा ही रवैया अपनाएंगे।

वही सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा है कि, ‘जो हैसियत हमारी मध्य प्रदेश में है. वही हैसियत कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में है. सपा की तल्ख रवैया देखने के बाद माना जा रहा है कि गठबंधन का पेंच आने वाले वक्त में उलझ सकता है।’

चाचा शिवपाल ने दी ये प्रतिक्रिया

सपा और कांग्रेस के बीच मचे घमासान से भला चाचा शिवपाल कैसे अनभिज्ञ रह सकते थे। इसलिए बलिया दौरे पर पहुंचे सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव मीडिया से बातचीत के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि, “हम तो भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए मजबूती से गठबंधन के साथ है. यूपी में सपा बीजेपी को हटाने का काम करेगी. हम तो चाहते हैं कि कांग्रेस भी साथ रहें, अन्य पार्टियां भी साथ रहें, जितनी भी सेक्यूलर पार्टियां हैं सब साथ रहें और बीजेपी को 2024 में हटाने का काम करेंगे.”

 

 

 

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