…तो इस वजह से कैलाश पर्वत पर चढ़ना है असंभव, जानें क्या हैं रहस्य !
हजारों पर्वतारोही ने आज तक कई सारी पर्वत श्रंखलाओं को फतह किया है। यहां तक की 29,000 फ़ीट ऊंची माउंट एवरेस्ट को भी पर्वतारोहियों ने फतह किया है, लेकिन भगवान शिव का स्थान मानी जाने वाली कैलाश पर्वत को आज तक कोई भी पर्वतारोही फतह नहीं कर सका है।
जबकि माउंट एवरेस्ट की 29,000 फ़ीट ऊँचा है और माउंट कैलाश 22,000 फ़ीट है, इसके बाद भी कोई भी पर्वतारोही इस पर्वत पर नहीं चढ सका है। यह बात अपने आप में हैरान कर देंने वाली है आखिर क्या वजह है जो आज तक कोई कैलाश पर्वत पर नहीं चढ पाया । क्या सच में कैलाश पर विराजते है भगवान शिव या इसके पीछे छिपा है कोई गहरा रहस्य ?
आइए जानते है क्या है कैलाश पर्वत न चढने के पीछे की वजह ….
क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य
कैलाश पर्वत को लेकर जितने मुंह उतनी बातें …इसको लेकर कुछ लोगो का कहना है कि, ये पहाड़ यहाँ था ही नहीं, इसे बनाया गया है। वही कुछ अन्य लोगो का कहना है कि, ये पहाड़ खोखला है, इसके अंदर दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता निकलता है। इन तमाम बातों की तह तक जाने के लिए साल 1999 में रूस के वैज्ञानिकों की टीम एक महीने के लिए कैलाश पर्वत के नीचे रही और इसके आकार के बारे में शोध करती रही।
शोध के पश्चात वैज्ञानिकों ने अपने निष्कर्ष में बताया कि, इस पहाड़ की तिकोने आकार की चोटी प्राकृतिक नहीं, बल्कि एक पिरामिड है जो बर्फ से ढका रहता है। माउंट कैलाश को “शिव पिरामिड” के नाम से भी जाना जाता है।जो भी इस पहाड़ को चढ़ने निकला, या तो मारा गया, या बिना चढ़े वापिस लौट आया।
रहस्यमयी पिरामिडों से हुआ है निर्मित
रूस के ऑप्थालमोलोजिस्ट अर्नेस्ट मुलादाशेव ने कहा था कि, कैलाश पर्वत कोई प्राकृतिक ढांचा नहीं है बल्कि एक पिरामिड है जो सुपरनैचुरल ताकतों की वजह से बना है। उनका कहना था कि कैलाश पर्वत 100 रहस्यमयी पिरामिडो से मिलकर बना है। कुछ लोग इस थ्योरी को सच मानते हैं क्योंकि इस तरह का ढांचा दुनिया में कहीं भी नहीं है। यह पर्वत दुनिया के बाकी पर्वतों से बहुत अलग है।
17 साल पहले लगी कैलाश चढने पर रोक
सन् 1980 में चीनी सरकार ने इटली के पर्वतारोही रेनहोल्ड मेस्नर से कैलाश पर्वत फ़तेह करने की गुज़ारिश की। रेनहोल्ड ने कैलाश पर कदम भी रखने से मना कर दिया। सन 2007 में रूसी पर्वतारोही सर्गे सिस्टिकोव ने अपनी टीम के साथ माउंट कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की।
सर्गे ने अपना खुद का अनुभव बताते हुए कहा , ‘कुछ दूर चढ़ने पर मेरी और पूरी टीम के सिर में भयंकर दर्द होने लगा। फिर हमारे पैरों ने जवाब दे दिया। मेरे जबड़े की मांसपेशियाँ खिंचने लगी, और जीभ जम गयी। मुँह से आवाज़ निकलना बंद हो गयी। चढ़ते हुए मुझे महसूस हुआ कि मैं इस पर्वत पर चढ़ने लायक नहीं हूँ। मैं फ़ौरन मुड़ कर उतरने लगा, तब जाकर मुझे आराम मिला। ”
कर्नल विल्सन ने भी कैलाश चढ़ने की कोशिश की थी। वे बताते है कि “जैसे ही मुझे शिखर तक पहुँचने का थोड़ा-बहुत रास्ता दिखता, कि बर्फ़बारी शुरू हो जाती। और हर बार मुझे बेस कैम्प लौटना पड़ता। “चीनी सरकार ने फिर कुछ पर्वतारोहियों को कैलाश पर चढ़ने को कहा। मगर इस बार पूरी दुनिया ने चीन की इन हरकतों का इतना विरोध किया कि हार कर चीनी सरकार को इस पहाड़ पर चढ़ने से रोक लगानी पड़ी।
कहते हैं जो भी इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है, वो आगे नहीं चढ़ पाता, उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है।यहाँ की हवा में कुछ अलग बात है। आपके बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहिए। शरीर मुरझाने लगता है। चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है।
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एक बार असफल होने के बाद भी चीन सरकार ने फिर कुछ पर्वतारोहियों को कैलाश पर चढने के लिए कहा था। लेकिन इस बात की जानकारी जब विश्व भर को हुई तो, इसका चौतरफा विरोध किया गया। जिसकी वजह से मजबूर होकर चीन सरकार ने कैलाश पर्वत की चढाई पर 17 वर्ष पूर्व यानी 2001 में रोक लगा दी गयी थी।
बताया जाता है कि, जो भी इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है, वो आगे नहीं चढ़ पाता, उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है। यहाँ की हवा में कुछ अलग बात है। आपके बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहिए। शरीर मुरझाने लगता है। चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है।
आसान नहीं है कैलाश फतह करना
29,000 फ़ीट ऊँचा होने के बाद भी माउट एवरेस्ट को आसानी से तकनीकी मदद से फतह किया जा सकता है। लेकिन माउट एवरेस्ट से कम होने के बाद भी कैलाश पर्वत पर कोई चढ नहीं सकता है। चारों ओर खड़ी चट्टानों और हिमखंडों से बने कैलाश पर्वत तक पहुँचने का कोई रास्ता ही नहीं है।
ऐसी मुश्किल चट्टानें चढ़ने में बड़े-से-बड़ा पर्वतारोही भी घुटने तक दे ।हर साल लाखों लोग कैलाश पर्वत के चारों ओर परिक्रमा लगाने आते हैं। रास्ते में मानसरोवर झील के दर्शन भी करते हैं।लेकिन एक बात आज तक रहस्य बनी हुई है। अगर ये पहाड़ इतना जाना जाता है तो आज तक इस पर कोई चढ़ाई क्यों नहीं कर पाया।