गद्दारी की भेंट चढ़े सेना के चार जवान, अनंतनाग हमले में हुआ बड़ा खुलासा …

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बीते बुधवार को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में हुए आतंकी हमले में सेना के चार अफसरों शहीद हुए थे, आतंकियों के जारी मुठभेंड के दौरान कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए । इस हमले में शहीद हुए चारों अफसरों की शहादत पर पूरे देश की आंखे नम है।

ऊंची-ऊंची पहाड़ियां और ये पहाड़ भी घने पेड़ों की चादर से ढके जम्मू कश्मीर के कोकेरनाग का जंगल में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देना बहुत मुश्किल है। इसी स्थान पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिलने पर सेना ने इसी दुर्गम इलाके में ऑपरेशन शुरू कर दिया, इस ऑपरेशन के दौरान देश के चार अफसर शहीद हो गए । हिंदुस्तान अपने तीन सपूतों को खोने की खबर सुनकर सन्न रह गया। ऐसे में बड़ा सवाल ये भी है इसका जिम्मेदार कौन है, कौन जो बना इस हमले में दूसरों का साथी आइए जानते है….

मुखबिर ने दिया धोखा

बताया जा रहा है कि, 12 सितंबर की सुबह के समय जब कश्मीर में सूरज ने भी आंखे नहीं खोली थी, उससे पहले खुफिया एजेंसी के कानों तक जंगल में आतंकियों के होने की बात पहुंची, लेकिन वो मुखबिर देश के लिए नहीं बल्कि आतंकियों के लिए काम कर रहा था। वो मुखबिर की शक्ल में डबल एजेंट था, उस मुखबिर ने जम्मू-कश्मीर पुलिस तक खबर पहुंचाई कि कोकेरनाग के जंगल में एकदम सटीक लोकेशन पर आतंकवादी संगठन लश्कर के दो दहशतगर्द छिपे हुए हैं।

यह जानकारी जैसे ही 29 साल के जांबाज अफसर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट पहुंची वे तुरंत एक्शन में आ गए, लेकिन नियम के अनुसार, डीएसपी हुमायूं भट्ट ने 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल मनप्रीत सिंह को तुरंत एक ज्वाइंट ऑपरेशन लॉन्च करने की बात कही ताकि आतंकवादी अपना ठिकाना न बदल लें। कर्नल मनप्रीत सिंह ने मेजर आशीष से बात की और फौरन जवानों की एक टुकड़ी के साथ ऑपरेशन पर साथ चलने का आदेश दिया। जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना दोनों की टुकड़ियां मुखबिर की दी हुई उस लोकेशन पर पहुंची। वो लोकेशन जो अनंतनाग जिले के इसी कोकरनाग जंगल में थी, ये ऑपरेशन मुश्किल काफी मुश्किल था। यहां मक्के के खेत हैं, सेब के बगीचे हैं, पहाड़ी पर घने जंगल हैं, इन्हीं जंगलों के बीच में ऑपरेशन चलाया गया।

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घात लगाकर बैठे थे आतंकी

मुखबिर द्वारा दी गयी खबर पर भरोसा करते हुए सेना ने सोचा की लश्कर के आतंकी आसपास में ही मौजूद होंगे। ऐसे में तत्काल प्रभाव से फौरन ज्वाइंट सर्च ऑपरेशन तैयार किया गया, पुलिस और सेना की टुकड़ियां मोर्चे के लिए तैयार होने के साथ ही कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और डीएसपी भट्ट सर्च ऑपरेशन का प्लान बना रहे थे। तभी अचानक से हमला हो गया, दोनों आतंकवादी जंगल में मौजूद उसी हाइडआउट के बगल वाले पहाड़ के ऊपर छिपे हुए थे और घात लगाकर हमला करने के लिए आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम आने का इंतजार कर रहे थे ।

हमले में जख्मी होने के बाद तीनों अफसर गिर गए, लेकिन आतंकियो पर फायरिंग जारी रखी। आतंकवादी पहले ही सुरक्षित जगह पर मौजूद थे और सेकंडों में पहाड़ी के ऊपर से भाग निकले, कर्नल और मेजर इस मुठभेड़ में गोली लगने के बाद पहाड़ी की एक छोटी खाई में गिर गए थे । इन पहाड़ियों पर आतंकवादियों को ढूंढने के साथ-साथ बॉडी के लिए भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया। डीएसपी हुमायूं भट्ट के शव को लाने में 6 घंटे का वक्त लगा था। हमले के बाद आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने आतंकवादियों का पीछा भी किया लेकिन आतंकी उजैर खान कोकरनाग इलाके का ही रहने वाला है और इन जगंलों के चप्पे-चप्पे को बखूबी जानता है।

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