वाराणसी। काशी औऱ कुश्ती के नाता बेहद पुराना है. काशी के अखाड़ों में एक से एक पुरुष पहलवानों को अभी तक आपने दांव लगाते हुए देखा होगा। बड़े-बड़े खिलाड़ियों के बीच अब इस अखाड़े में एक महिला पहलवान अपना दम दिखाने के लिए तैयार है। नाम है कशिश यादव। बनारस की इस दंगल गर्ल के चर्चे इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे हैं। इसकी प्रतिभा को अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने भी पहचाना है।
तीन पीढ़ियों का है कुश्ती से नाता
काशी में गीत-संगीत और कला के साथ कुश्ती लड़ने की रवायत रही है। यहां कई ऐसे अखाड़े हैं, जहां राष्ट्रीय स्तर के पहलवान अपना दमखम दिखाते रहे हैं।हालांकि गुजरते वक्त के साथ इन अखाड़ों की रौनक जरुर कम हुई लेकिन अभी भी कई ऐसे अखाड़े हैं, जहां सुबह-शाम वर्जिस करते पहलवानों की टोली दिख जाती है। बनारस के संकट मोचन की रहने वाली कशिश यादव भी इसी टोली का एक हिस्सा हैं। कुश्ती में कशिश की कामयाबी जितनी रोचक है, उससे कहीं अधिक उसका संघर्ष। जिन अखाड़ों में कभी महिलाओं के कदम कभी नहीं पड़ते थे, वहां कशिश ने कामयाबी के झंड़े गाड़े। कशिश बताती हैं कि “कुश्ती का उनका सफर चुनौतीपूर्ण जरुर था लेकिन परिवार ने हर कदम पर उनका साथ दिया”। तीन पीढ़ियों से कुश्ती मेरे परिवार का हिस्सा है मेरे दादा कल्लू पहलवान बनारस के जाने माने खिलाड़ी रहे हैं और वो मेरे रोल मॉडल रहे।बनारस की गलियों से निकलकर कशिश ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। कशिश ने अभी तक नेशनल स्तर पर तीन ब्रांज मेडल, यूपी लेबल एक गोल्ड और चार बार बनारस केसरी रहीं। कशिश बतातीं है कि उनकी कड़ी मेहनत है परिवार में कशिश की तरह उसकी छोटी बहन भी पहलवान है बड़ी बात यहा है कि पहलवान बेटियों को उनके परिवार का पूरा साथ मिलता है कशिश के मुताबिक डाइट पर खास फोकस रहता है उनके दादा ने बाकायदा 4 भैंस घर के दरवाजे पर इस वजह से बांध रखे हैं ताकि बेटियों को कभी दूध दही की कमी ना हों।
पूर्वांचल के मशहूर कल्लू पहलवान की तीसरी पीढ़ी पहलवानी में
वाराणसी के कल्लू पहलवान पूर्वांचल के दारा सिंह कहे जाते थे आज भी गावों में कल्लू पहलवान की कुश्ती में मिसाल दी जाती है। कल्लू पहलवान ने वाराणसी के अखाड़े से कई नेशनल और इंटरनेशनल पहलवानों को पैदा किया। कल्लू पहलवान की नातिन हैं कशिश यादव। कुश्ती में कशिश अपने दादा कल्लू पहलवान और पिता विनोद यादव को रोल माडल मानती हैं। कशिश को कुश्ती की ट्रेनिंग बचपन से ही पिता विनोद यादव ने दिया। कशिश ने बताया कि आज भी पिता कोच की तरह मुझे कुश्ती का दांव पेंच सिखाते हैं। पहलवान पिता विनोद यादव की दोनों बेटियां कशिश और काजल पहलवानी में नए किर्तिमान गढ़ने के लिए पूरी तरीके से तैयार हो रही हैं। कशिश यादव की कुश्ती में शुरुआत वाराणसी से हुई। 4 बार बनारस केसरी, 2 बार यूपी केसरी, नेशनल में 3 पदक जीत चुकीं हैं। कशिश की छोटी बहन काजल यादव और भाई कृष्णा यादव भी स्टेट लेवल के पहलवान हैं।
WFI से महिला पहलवानों को है उम्मीदें
महिला पहलवानों को वाराणसी कुश्ती एसोशिएसन के अध्यक्ष संजय सिंह से बड़ी उम्मीदें है। कशिश यादव ने कहा कि संजय सिंह जी एक अच्छे कोच हैं उनसे हम महिला पहलवानों की बड़ी उम्मीदे हैं संजय सिंह जी वाराणसी के रहने वाले हैं और वे यहां के हालातों से अच्छी तरीके से वाकिफ हैं।संजय सिंह के अध्यक्ष पद पर के नामांकन से पूर्वांचल के बेटियों को बड़ी उम्मीदें हैं।कुश्ती के और खिलाड़ियों से बात करने पर कोच गोरख यादव ने कहा कि पूर्वांचल के वाराणसी से अगर कोई WFI का अध्यक्ष बनेगा तो किस्मत बदल जाएगी। कुश्ती एकबार फिर अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगी। कुश्ती के पुरुष खिलाड़ियों ने संजय सिंह के नामांकन पर खुशी जताई है।
सुविधा मिली तो पहलवानी में आएगा सोना
बनारस में महिला पहलवानों को अगर सुविधा मिली तो ओलंपिक से भी सोना लाने का काम करेंगी। वर्तमान समय की बात करें तो सिगरा और बरेका ग्राउंड छोड़कर कहीं भी महिला पहलवानों के लिए कोई सुविधा नहीं है। नेशनल खिलाड़ी कशिश यादव ने बताया कि महिला खिलाड़ियों को किखाने के लिए महिला कोच होनी चाहिए लेकिन वाराणसी में एक भी महिला कोच नहीं हैं। महिला कोच ना होने की वजह से भी लड़कियां कुश्ती में आने से कतराती हैं। 2020 में पूर्वांचल केसरीप्रतियोगित में 50 महिला खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया था लेकिन 2023 में 2 से 4 खिलाड़ी ही रह गयीं।
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