हिंदू धर्म में मर्यादा पुरूषोत्तम राम का नाम तारक मंत्र के नाम से जाना जाता है, जो किसी भी सनातनी व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक जुड़ा रहता है. सनातन परंपरा में भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाने वाले भगवान राम को जीवन से जुड़े सभी कष्टों को दूर कर सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है। भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम राम कहा जाता है. अर्थात ऐसा परम पुरुष जिसने अपने अंदर सभी प्रकार की शक्तियां और दैवीय गुण होते हुए भी कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। जिनके राज्य में कभी कोई दुखी नहीं था.
राम का नाम, जिसका जप और जाप जन्म और मृत्यु से मुक्ति या कहें मोक्ष से जुड़ा है, का उपयोग अक्सर वैष्णव परंपरा सहित सभी हिंदू एक-दूसरे को बधाई देने के लिए करते हैं. जैसे काशी नगरी में शिव भक्त एक-दूसरे को ‘महादेव’ और उज्जैन में ‘जय महाकाल’ और कृष्ण भक्त ‘हरे कृष्ण’ कहकर एक-दूसरे को संबोधित करते हैं. राम नाम का पुण्य कमाने के लिए लोग नमस्ते या गुड मॉर्निंग की जगह ‘जय सिया राम’ या ‘राम-राम’ कहते रहे हैं.
फिर चारों ओर ‘जय श्री राम’ गूंजने लगा…
‘जय सिया राम’ संबोधन का इस्तेमाल लंबे समय से मुख्य रूप से अवध प्रांत के लोगों द्वारा एक-दूसरे को बधाई देने के लिए किया जाता रहा है, लेकिन नब्बे के दशक में रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक में इस्तेमाल होने के बाद यह शब्द अधिक लोकप्रिय हो गया. यह तब चर्चा में आया जब मंदिर आंदोलन के दौरान सभी कार सेवकों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और फिर बाद में यह धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी की सार्वजनिक बैठकों में भी गूंजने लगा. जब ‘जय श्री राम’ शब्द एक खास पार्टी की पहचान बनने लगा तो कुछ लोगों ने इसका विरोध करने के लिए खासतौर पर ‘जय सियाराम’ शब्द का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
क्या सिया बिना अधूरा है जय श्री राम…
भगवान राम के उद्घोष और संबोधन को लेकर सवाल उठा कि ‘जय श्री राम’ और ‘जय सिया राम’, इनमें से क्या सही है या गलत. कौन सा पता अधूरा है और कौन सा पूरा है. ‘जय श्री राम’ के नारे को घटिया और जय सियाराम को बेहतर बताने वालों का तर्क है कि उनके नारे में भगवान राम के साथ माता सीता भी शामिल हैं, जबकि ‘जय श्री राम’ में भगवान राम अकेले हैं. उनका तर्क था कि ‘जय सियाराम’ में भगवान राम के साथ माता सीता की विजय की कामना भी शामिल है.
श्रीमान शब्द का अर्थ क्या है?
अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर के पुजारी महंत सत्येन्द्र दास का कहना है कि भगवान के जयकारे का कोई भी दल अपने तरीके से कोई भी मतलब निकाल सकता है, लेकिन ‘जय श्री राम’ में ‘जय’ का मतलब जीत है, ‘श्री’ का मतलब प्रसिद्धि है. और माता सीता. और ‘राम’ का अर्थ है अनंत. इसमें ‘श्री’ का अर्थ है ‘श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च’ यानी भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी या कहें भगवान राम की पत्नी सीता. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवती लक्ष्मी और माता सीता में कोई अंतर नहीं है, बल्कि वे उन्हीं का स्वरूप हैं.
नाम के साथ श्री क्यों जोड़ा जाता है?
श्री शब्द का अर्थ प्रसिद्धि, लक्ष्मी, कांति, शक्ति है. सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता या व्यक्ति विशेष के नाम के आगे ‘श्री’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, जिसके पीछे आदर, सम्मान, महिमा गान की भावना निहित होती है. ‘श्री’ शब्द स्त्रीलिंग है और सनातन परंपरा में महिलाओं को पुरुषों से पहले स्थान दिया गया है. यही कारण है कि ‘जय सिया राम’, ‘जय श्री राम’, ‘सियावर राम चंद्र की जय’, ‘पार्वतीपतये नम:’, ‘उमामहेश्वराभ्यां नम:’ कहा जाता है। श्री के साथ भगवान विष्णु का वास होने के कारण उन्हें श्रीमान या श्रीपति कहा जाता है.
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