सावन की कांवड़ यात्रा से बढ़ता है रेलवे बजट, कांवड़ियों के लिए बने हैं ये नियम

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हिंदू धर्म में सावन मास को पावन दिनों में गिना जाता है। सावन महीने में श्रद्धालु कांवड़ यात्रा निकालते हैं। भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए श्रद्धालु कांधे पर कांवड़ धरकर मीलों पैदल चलकर शिव के धाम पहुंचते हैं। सभी कांवड़िये गंगा जल लेकर एक शहर से दूसरे शहर तक का सफर करते हैं। इस दौरान मार्गों में कांवड़ियों की सुरक्षा की दृष्टि से कई दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। साथ ही कुछ निर्देश कांवड़ियों के लिए भी जारी होते हैं। फिर भी रेलवे के लिए कांवड़ यात्रा कई मायनों में काफी प्रभावी साबित होती है।

कांवड़ से रेलवे प्रभावित 

कावंड़ यात्रा से सबसे ज्यादा प्रभावित रेल विभाग होता है। सावन महीने में आम रेल यात्रियों को काफी मुश्किलें होती हैं। रेल के डिब्बों में कांवड़ यात्रियों का जत्था सफर करता है। जिससे आम यात्रियों को जगह नहीं मिल पाती हैं। इसके अलावा कांवड़ यात्रा के चलते कई अप्रिय हादसें भी सुनाई देते हैं, जिनमें कई हादसे कांवड़ यात्रियों के साथ होते हैं तो कई कांवड़ की वजह से होते हैं।

कांवड़ यात्रा का महत्व 

हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा के महत्व का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं, मार्गों में सैंकड़ों कांवड़ 4 जुलाई से ही दिखने लगी थी। धीरे-धीरे कांवड़ियों के जत्थों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। मान्यता के अनुसार, कांवड़ यात्रा की उत्पत्ति हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में पाई गई है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान जहर पी लिया था, जो देवताओं और राक्षसों के बीच का युद्ध था। जहर के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने शिव पर गंगा का पानी डाला था। तभी से सावन मास में भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। इसी धारणा से लाखों श्रद्धालु कांवड़ लेकर भगवान शिव के धाम तक की यात्रा करते हैं।

कांवड़ यात्रा से रेलवे का नुकसान

कांवड़ यात्रा शुरू होते ही रेलवे भी अपनी तैयारियां तेज कर देता है। कांवड़ यात्रियों के लिए कई  प्रकार की सुविधा देने के लिए रेलवे हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है। हर साल सावन मास में निकलने वाली कांवड़ यात्रा के लिए रेलवे सबसे अहम रोल निभाता है। ट्रेनों में कांवड़ यात्रियों की भारी संख्या देखते हुए रेलवे लगभग हर साल स्पेशल ट्रेने चलाता है। इसके साथ ही कई बार ट्रेनों में कांवड़ियों की संख्या को देखते हुए रेलवे की बोगियों को भी बढ़ाना पड़ता है। इससे  रेलवे का बजट तो गड़बड़ाता ही है। साथ ही रेलवे यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। कई बार कांवड़िये रेल हादसों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में रेलवे का यात्री खर्च भी बढ़ जाता है।

कांवड़ियों से भर जाते हैं रेल डिब्बे

सावन मास में ट्रेनों के जनरल डिब्बों को कांवड़ यात्रा की सबसे ज्यादा मार झेलनी  पड़ती है। ट्रेनों के डिब्बों का हाल कुछ यूं होता है कि कांवड़ यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में साधारण यात्रियों को जगह तक नहीं मिलती है। कई बार तो कांवड़िये ट्रेन के डिब्बों के बाहर तक लटके दिखाई देते हैं। कई बार इसका खामियाजा भी कांवड़ियों को भुगतना पड़ता है। वहीं, कई बार कांवड़ियों की वजह से दूसरों को काफी परेशानी हो जाती है। रेलवे द्वारा अतिरिक्त डिब्बों का इंतजाम करने के बाद भी कांवड़ियों से ट्रेन भरी रहती है।

मार्गों में कांवड़ से दुर्घटनाएं

कांवड़ यात्रियों के लिए मार्गों में चलने के लिए भी प्रशासन अलग से दिशा-निर्देश जारी करती है। कांवड़ियों को चलने के लिए अलग से रोड लेन बनाई गई है। मगर फिर भी कांवड़ यात्रियों की भीड़ के चलते यह व्यवस्था भी ध्वस्त होती दिखती है। मार्गों में कांवड़िये या तो खुद आकर्षण का केंद्र बनते हैं या फिर रील बनाने के चक्कर में वाहन चालकों और यात्रियों को आकर्षित कर लेते हैं। जिसका परिणाम दुर्घटनाओं के रूप में देखने को मिलता है। इसके बावजूद कई बार कांवड़ियों को मार्गों में रील बनाते हुए देखा गया है। बीच मार्ग पर रील बनाते समय कांवड़ियों के साथ कई दुर्घटनाओं की खबरें सामने आ चुकी हैं। कई बार तो कांवड़ यात्रा के चलते अन्य वाहन भी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

कांवड़ यात्रा पर जारी दिशा निर्देश

कांवड़ यात्रा के लिए हर  साल सरकार दिशा-निर्देश जारी करती है। इनमें श्रद्धालुओं के लिए कांवड़ की ऊंचाई से लेकर कांवड़ के साथ ले जाने वाली वस्तुओं तक के लिए गाइडलाइन्स निर्धारित की गई है।

  1. कांवड़ यात्रा  के दौरान 12 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले कांवड़, भाला, त्रिशूल और ऐसे किसी भी तरह का सामान रखने की अनुमति नहीं होगी।
  2. इसके साथ ही डीजे कंसोल पर अश्लील गाने बजाने की भी अनुमति नहीं होगी।
  3. साथ ही कांवड़ मार्गों पर वाहनों की आवाजाही नहीं होगी।
  4. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने पर कार्रवाई की जाएगी।
  5. यात्रा मार्ग के दोनों तरफ साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  6. कांवड़ यात्रियों को मार्गों में सेल्फी लेने व रील बनाने पर भी पाबंदी है।
  7. ट्रेनों में कांवड़ यात्री  रेलवे द्वारा सुनिश्चित बोगियों में ही यात्रा कर सकेंगे।

 

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