गोरखपुर में बंद होने की कगार पर पराग प्लांट, मात्र 100 लीटर दूध हो रहा इकट्ठा

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उत्‍तर प्रदेश में दूध उत्‍पादन के क्षेत्र में पराग डेयरी के नाम का डंका बजा करता था। आज स्थिति कुछ और हो गई है. गोरखपुर के गीडा में 1964 से स्थापित सहकारी पराग डेयरी अब बंद होने के कगार पर है. पर्याप्त मात्रा में दूध न मिल पाने के कारण सप्लाई प्रभावित हो रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से डेयरी की उत्पादन क्षमता को 1 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाया गया है. पराग डेयरी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप गुणवत्ता और शुद्धता के लिए जानी जाती है।

पराग डेयरी के अस्तित्व पर खतरा…

दरअसल 1964 में स्थापित सहकारी पराग डेयरी अपने शुरुआती दिनों से ही गोरखपुर मंडल में दूध सप्लाई करती आ रही है. उच्च गुणवत्ता और शुद्धता के कारण पराग के उत्पाद लोगों के बीच अपनी पहचान बना चुके थे. लेकिन प्रबंधन के गैर जिम्मेदाराना रवैया और साजिश के कारण आज डेयरी बंद होने के कगार पर है. 59 दुग्ध समितियों और 20,000 लीटर उत्पादन की क्षमता के साथ डेयरी की शुरुआत हुई थी. 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने के बाद आशा थी. कि पराग डेयरी अब अन्य प्राइवेट कंपनियों से जमकर लोहा लेगी. लेकिन ऐसा न हो सका धीरे-धीरे प्राइवेट कंपनियों ने गोरखपुर और आसपास के बाजार पर अपना प्रभुत्व जमा लिया।

डेयरी संचालकों ने दूध देना बंद कर दिया…

बता दे कि पराग डेयरी की तरफ से गोंडा, फैजाबाद और बस्ती मंडल के दुग्ध संघ से संपर्क कर 20 से 25000 लीटर दूध की प्रतिदिन डिमांड की गई थी. इसमें सिर्फ बस्ती मंडल से प्रतिदिन 15000 लीटर दूध सप्लाई किया जा रहा था. किसी तरह 20 से 25 हजार लीटर दूध से डेयारी का संचालन हो रहा था. दिसंबर 2022 में डेयरी का एक बॉयलर जल गया. अतिरिक्त बॉयलर पहले से ही खराब पड़ा था. खराब बॉयलर को बनने में 20 दिन का समय लगा. बॉयलर जलने के बाद से बस्ती मंडल की तरफ से दूध अयोध्या को भेजा जाने लगा. बॉयलर सही होने के बाद भी प्रबंधन ने बस्ती मंडल से कोई संपर्क नहीं किया. संकट के इस समय में गोरखपुर के डेयरी संचालकों ने भी अपना लाखों रुपए  बकाया होने के कारण दूध देना बंद कर दिया. इधर डेयरी में काम करने वाले कर्मचारी भी नाराज हैं. उनका कहना है कि पिछले 6 माह से हमारी सैलरी नहीं मिली है। यही वजह वजह है कि फिलहाल प्लांट बंद हो गया है।

जिले में पराग डेयरी के 115 कलेक्शन सेंटर…

गोरखपुर जिले में पराग डेयरी के 115 कलेक्शन सेंटर बनाए गए हैं. इन सेंटरों पर पहले सात से आठ हजार लीटर दूध इकट्ठा होता था, लेकिन अब यह सेंटर केवल नाममात्र के रह गए हैं. इस सेंटर की स्थिति ऐसी है कि 100 लीटर दूध भी इकट्ठे नहीं हो पा रहे हैं।

प्लांट बंद होने की चर्चाओं के बीच राजनीति तेज…

प्लांट बंद होने की चर्चाओं के बीच राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस की जिला अध्यक्ष निर्मल पासवान और प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वजीत सिंह का कहना है कि प्लांट के बंद होने की सूचना हम सभी के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह इकाई गोरखपुर अंचल के लिए शान की बात थी कांग्रेस के शासन काल में शुरू हुई डेयरी का बंद होना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. सरकारी डेयरी को प्राइवेट हाथों में देने का प्लान चल रहा है. जो वर्तमान की बीजेपी सरकार लगातार कर रही है. हम किसानों और डेयरी में कार्यरत कर्मचारियों के हक की लड़ाई लड़ेंगे, यदि जरूरत पड़ी तो सड़कों पर आंदोलन भी करेंगे. लेकिन गोरखपुर की शान पराग डेयरी को बंद होने नहीं देंगे।

दुग्ध उत्पादक भविष्य को लेकर चिंतित

गोरखपुर के जानीपुर के प्रदीप उर्फ सोनू पाठक ने बताया. कि मेरा परिवार चार दशक से पराग डेयरी को दूध की आपूर्ति कर रहा है। कारखाना बंद हो जाने से भविष्य को लेकर चिंतित हूं। भूपगढ़ गगहा के पशुपालक करुणेश कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि वर्षों से पराग डेयरी को दूध की आपूर्ति कर रहे हैं। डेयरी बंद होने से परेशान हूं। दूध का मेरा 55 हजार रुपये बकाया है। मेरे 25 लीटर दूध को मानक के विपरीत बताकर 20 जून को फेंक दिया गया था।

जनप्रतिनिधियों का प्रयास भी नहीं आया काम

पराग डेयरी गोरखपुर को लीज पर देने से बचाने के लिए सहजनवां के पूर्व विधायक शीतल पांडेय और देवरिया सदर के पूर्व विधायक जनमेजय सिंह व डेयरी के चेयरमैन रणजीत सिंह 31 अगस्त 2019 को सीएम योगी से मिलकर अनुरोध पत्र दिया. इसके बाद लीज का मामला ठंडे हो गया. लेकिन, साल 2022 में लीज वाला फिर से उठा. एक बार फिर प्लांट को घाटे में ले जाने की साजिश तेज हो गई. प्लांट में तमाम गड़बड़ियां होने लगीं. दूध का कलेक्शन कर दिया गया. पशुपालकों की उधारी बढ़ती गई. कर्मचारियों का वेतन भी रुक गया. अब 10 मई को लखनऊ के एक अखबार में विज्ञापन देकर गोरखपुर (पराग डेयरी), मुरादाबाद, आजमगढ़, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज के डेयरी को लीज पर लेने का आमंत्रण मांगा गया है. तीस जून तक इस प्रक्रिया को पूरा करना है. इसमें पराग डेयरी गोरखपुर को प्राथमिकता पर रखा गया है।

डेयरी बन गया था लूटखसोट का अड्डा

डेयरी के बॉयलर को चलाने के लिए प्रतिमाह 18,000 लीटर दोयम दर्जे के डीजल (एलडीओ) की जरूरत पड़ती थी. जिसे टैंकर से मंगाया जाता था. इसमें घटतौली कराकर प्रतिमाह ढाई से तीन लाख रुपये की चोरी की जाने लगी. इसकी शिकायत मिलने पर विभाग ने 20 अक्तूबर 2021 को टैंकर का तौल कराया. जिसमें डीजल सहित टैंकर का वजन 22,740 किलोग्राम आया. जबकि, खाली टैंकर का वजन 9580 किग्रा और डीजल का वजन 18,000 किलोलीटर की जगह 13,160 किलोलीटर मिला. चोरी पकड़े जाने पर प्रधान प्रबंधक दुग्ध संघ गोरखपुर ने मामले में प्रभारी अभियंत्रण/क्रय दुग्ध संघ से जवाब मांगा. बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।

50 लाख रुपये का हुआ था घोटाला…

सूत्रों के अनुसार, इसमें 50 लाख रुपये का घोटाला हुआ था. इसी तरह पुराने प्लांट का लाखों का स्क्रैप चोरी से बेच दिया गया. बीते वर्ष तत्कालीन पुलिस चौकी प्रभारी नौसड़ सूरज सिंह ने डेयरी का स्क्रैप चोरी से ले जाते एक युवक को पकड़ा था. डेयरी से तहरीर मांगने पर नहीं दी गई, जिससे कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बकाया रुपये न मिलने पर किसानों को परेशानी…

पराग डेयरी में उत्पादन बंद होने के पीछे सबसे बड़ा कारण किसानों का बकाया है. भुगतान नहीं मिलने से किसान पशुओं के चारे के लिए बाजार की तरफ रुख कर लिए हैं. दूध कम आने से बंदी की नौबत आ गई. गगहा ब्लाक के बासुडीहा निवासी किसान गोपाल यादव ने बताया कि सितंबर 2022 से भुगतान नहीं मिला है. डेयरी पर कुल तीन लाख रुपये से ज्यादा बकाया है. प्रतिदिन 40 लीटर दूध लाता था, लेकिन अब आधा दूध पराग डेयरी पर देता हूं. आधा बाजार में बेचता हूं. दुग्ध उत्पादक कुशहार यादव ने बताया कि साढ़े तीन लाख से अधिक बकाया है. रोजाना 40 से 50 लीटर दूध पराग डेयरी पर देना होता है।

डेयरी पर सात करोड़ से अधिक कर्ज…

पराग डेयरी में किसानों के दूध को खरीदकर दूध, दही, घी, मक्खन व छांछ तैयार कर मंडल के बाजार में बेचा जाता है. इसके बाद भी डेयरी पर कर्ज बढ़ता गया. वर्तमान में सात करोड़ से अधिक की देनदारी है. इसमें किसानों का एक करोड़, कर्मचारियों के वेतन का 1.50 करोड़, ट्रांसपोर्ट का 60 लाख, स्टेट मिल्क एसएमजी के डेढ़ करोड़ रुपये शामिल हैं।

क्या कहते हैं डेयरी के जनरल मैनेजर…

जनरल मैनेजर इंद्रभूषण दुबे का कहना है कि डेयरी बंद नहीं हुई है. अभी भी अयोध्या से 6000 लीटर और गोरखपुर से 4000 लीटर दूध मंगा कर सप्लाई जारी है. चूंकि किसानों की तरफ से डेयरी को दूध कम दिया जा रहा है. इसकी वजह से गुणवत्ता और प्लांट का खर्चा दोनों प्रभावित हो रहे हैं. इसी कारण 1 जून से प्लांट में काम नहीं हो रहा. यह स्थिति स्थाई नहीं है. प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द ही सारी समस्याओं का निस्तारण कर प्लांट को फिर से चालू कर दिया जाएगा।

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