पीएम मोदी के अमेरिकी मीडिया को दिए जवाब पर सियासत, भारत में क्या छिन गई अभिव्यक्ति की आज़ादी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी राजकीय दौरे ने चौतरफा वाहवाही बटोरीं। इस बीच अमेरिका में पीएम मोदी के साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरे भारत में सियासी हलचल मच गई है। दरअसल, गुरुवार को अमेरिकी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारतीय मुद्दों पर कुछ सवाल पूछ लिए थे। जिनमें अल्पसंख्यकों की रक्षा और अभिव्यक्ति की आज़ादी के मुद्दे शामिल थे। इसपर जैसे ही पीएम मोदी अमेरिकी मीडिया को जवाब दिया तो भारत में सवालों की झड़ी लग गई। इसपर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी पीएम मोदी से 5 सवाल पूछ लिए। जिससे सियासी माहौल अब और गरम हो गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीएम मोदी से पूछे सवाल
बता दें, सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने कड़क बयानों के सोशल मीडिया पर काफी प्रसिद्ध हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अमेरिका में पीएम मोदी के दिए गए बयान को आधार बनाकर उनपर निशाना साधा। उन्होंने पीएम मोदी से पांच सवाल पूछे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मा. प्रधानमंत्री द्वारा अमेरिका में दिया गया बयान कि भारत में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होता है, सरासर बेबुनियाद एवं हास्यास्पद है। भाजपा शासित राज्यों में भेदभाव क्यों? क्या मा. प्रधानमंत्री जी बतायेगें?
स्वामी प्रसाद मौर्य के पांच सवाल-
- आखिर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग का संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवहार में न्यून व शून्य करने का आधार क्या है?
- लिटरल इंट्री के नाम पर चयनित आईएएस, अपर सचिव, सचिव आदि सभी उच्च वर्ग के ही क्यों? एक भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग का चेहरा क्यों नहीं?
- दलित, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों पर साजिश के तहत झूठे एफआईआर दर्ज कराना, पुश्तैनी घरों पर बुलडोजर चलवाने का आधार धर्म और जाति नहीं तो आखिर क्या है?
- एक जाति वर्ग विशेष के कुख्यात अपराधियों को संरक्षण और एक वर्ग विशेष के अपराधियों को पर्याप्त पुलिस अभिरक्षण में आयातित अपराधियों द्वारा गोलियों से छलनी करवा देने का आधार धर्म और जाति नहीं तो आखिर क्या है?
- पिछले 50 दिनों से मणिपुर प्रदेश हिंसा की आग में जल रहा है इसका भी आधार जाति और धर्म नहीं तो क्या?
अमेरिकी मीडिया का सवाल
दरअसल, बीते कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत में लोकतंत्र के गिरता हुआ स्तर सुर्खियों का विषय बना हुआ है। इस बीच जब अमेरिका के राजकीय दौरे पर पीएम मोदी से अमेरिकी मीडिया मुखातिब हुई तो सवालों की झड़ी लगी दी। अमेरिकी मीडिया ने सीधे तौर पर पीएम मोदी से भारत में संप्रदायिक मुद्दों पर हो रही सियासत पर सवाल पूछा।
अमेरिकी मीडिया ने पूछा, ‘आपकी सरकार मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए और अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा के लिए क्या क़दम उठाएगी? साथ ही ये भी पूछा गया कि मानवाधिकार संगठन कहते हैं कि भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया है।
पीएम मोदी का जवाब
अमेरिकी मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए पीएम मोदी कुछ ऐसा बोल गए, जिससे भारत में सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में पक्षपात का को कोई सवाल ही नही उठता। इसी बयान पर सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पीएम मोदी को घेरने का प्रयास किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके जवाब में कहा, ‘भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में धर्म, जाति, उम्र या भू-भाग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूल्यों के आधार पर बने संविधान के आधार पर चलती है तो पक्षपात का कोई सवाल ही नहीं उठता है।’
RSF की रिपोर्ट में भारत की खराब रैंक
जानकारी के मुताबिक, पिछले साल जून के महीने में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2021 की रिपोर्ट जारी हुई थी। इस रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि धार्मिक असहिष्णुता की वजह से भारत में लोगों और पूजा स्थलों पर हमलों में वृद्धि देखी गई। जबकि वैश्विक मीडिया वॉचडॉग रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की रिपोर्ट इस साल मई के महीने में मीडिया स्वतंत्रता पर जारी की गई। नवीनतम रिपोर्ट मुताबिक, 2023 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैंकिंग 180 देशों में से 161वें स्थान पर खिसक गई। साल 2022 में भारत इस सूची में 150वें स्थान पर था।
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