21 लाख में बिकी रवींद्रनाथ टैगोर की दुर्लभ चिट्ठी, असली कीमत से 7 गुना ज्यादा…
रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती हर साल 7 मई को मनाई जाती है. रवींद्रनाथ टैगोर ने कला के क्षेत्र में जो नाम कमाया. शायद ही भारतीय इतिहास में कोई और शख्सियत उस शिखर पर पहुंच सकता है. रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले ना सिर्फ पहले भारतीय थे. बल्कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एशिया के पहले व्यक्ति थे. दरअसल विश्वकवि रबींद्रनाथ टैगोर का एक दुर्लभ हस्तलिखित पत्र ऑनलाइन बिका. जिसे 21 लाख रुपए से ज्यादा में बेचा गया है. ये उन खास पत्रों में से एक था जो रवींद्रनाथ टैगोर ने खुद अपने हाथों से लिखा था. इसमें उन्होंने उनकी छोटी कहानियों के अंग्रेजी अनुवादों पर आपत्ति जताई थी. बताया जा रहा है इस पत्र को इसकी असली कीमत से 7 गुना ज्यादा कीमत में बेचा गया है. शुरुआत में इस पत्र की कीमत 2 से 3 लाख रुपए तय की गई थी. हालांकि ऑक्शन के दौरान ये कीमत बढ़ते बढ़ते 21 लाख के पार पहुंच गई और अब 21,13212 रुपए में बेची गई है
इंग्लिश अनुवाद में जताई अपत्ति…
जानकारी के मुताबिक ये पत्र 3 जनवरी 1930 में सत्यभूषण सेन को लिखा गया था. इस लेटर में रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. कि उनके पास इस बात के सबूत हैं. कि पाठकों को उनकी शॉर्च स्टोरीज के इंग्लिश अनुवाद पसंद नहीं आए हैं. टैगोर का कहना था. कि उनकी कहानियां इंग्लिश पाठकों को इसलिए पसंद नहीं आईं. क्योंकि उनका राइटिंग स्टाइल अंग्रेजी लेखकों की राइटिंग स्टाइल से काफी अलग थी।
नीलामी में क्या रहा खास…
नीलामी में एमवी धुरंधर, एमएफ हुसैन, अकबर पदमसी, केएच आरा, बिकास भट्टाचार्जी, गणेश पायने, सतीश गुजराल, केजी सुब्रमण्यन और मनु पारेख की कृतियां भी प्रस्तुत की गईं. एफएन सूजा की प्रतिष्ठित हेड इमेजरी – 1956 की पेपर रचना पर मिश्रित मीडिया, राम कुमार द्वारा ‘ऑटम लैंडस्केप’ शीर्षक से 1950 में बनाई गई एक मोनोक्रोम अमूर्त परिदृश्य भी रखी गई थी।
आठ वर्ष की उम्र में लिखी पहली कविता…
2200 से भी ज्यादा गीत लिखे…
रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही परिवार में साहित्यिक माहौल मिला. यही वजह रही कि रवींद्रनाथ ने महज 8 साल की उम्र में कविता लिखना शुरू कर दिया था. जब वह 16 साल के हुए तो छद्म नाम ‘भानुसिंह’ के तहत कविताओं का अपना पहला संग्रह जारी किया था. टैगोर ने अपने पूरे जीवन में 2200 से भी ज्यादा गीत लिखे हैं।
साहित्य की कई विद्याओं में निपुण…
रचनाओं की बात करें तो रवींद्रनाथ टैगोर पूरा खजाना छोड़कर गए हैं। वे एक महान कवि, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार समेत साहित्य की कई विद्याओं में निपुण थे. रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि है. जिनकी रचनाओं को कई देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया. रवींद्रनाथ टैगोर ही भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता हैं. इतना ही नहीं, बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी टैगोर की ही रचना है। इतना ही नहीं बताया जाता है कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है।
साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित…
रवींद्रनाथ टैगोर एक नहीं बल्कि कई तरह की प्रतिभा के धनी थे. वो भारत ही नहीं एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य के लिए 1913 में अपनी रचना गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आज भी रवींद्र संगीत बांगला संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोंर ने साल 1921 में विश्वभारती की स्थापना की थी। इसे 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था।
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