बिहार सरकार को SC की नोटिस: आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर आदेश
लखनऊ: बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिला है, जिसमें आनंद मोहन की रिहाई पर IAS जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करने के बाद जवाब माँगा है। यह मामला जी कृष्णैया की हत्या के केस से जुड़ा है, जिसमें आनंद मोहन को उम्रक़ैद की सजा दी गई थी। उमा कृष्णैया की याचिका में वह आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का नोटिस: बिहार सरकार को आनंद मोहन की रिहाई पर जवाब देने का आदेश
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच में इस मामले में सुनवाई की गयी। जिसमें सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में बिहार सरकार से व आनंद मोहन दोनों से जवाब मांगा है। IAS जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन और बिहार सरकार से अभियुक्त की रिहाई पर कोर्ट ने जवाब देने के लिए दो हफ़्तों का वक्त दिया है ।
उमा कृष्णैया की याचिका: आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में दायर
आपको बता दे की सप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठाते हुए जवाब माँगा है जो गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले उम्रक़ैद की सजा काट रहे थे। जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने इस रिहाई के ख़िलाफ़ सप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।उन्होंने अपनी याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है. उमा ने बिहार सरकार के नियमों के बदलाव के नोटिफिकेशन को भी रद्द करने की मांग की है.
जी कृष्णैया की हत्या केस: आनंद मोहन की सजा की चुनौती
कुछ दिन पहले ही नीतीश सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन कर आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया है। बिहार की सहरसा जेल में आनंद मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे थे। लेकिन, 27 अप्रैल को आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया था। बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था, इसके बाद आनंद मोहन सिंह गुरुवार (27 अप्रैल) सुबह सहरसा जेल से रिहा हुए थे।
पूरा मामला
साल 1994 में जी कृष्णैया की हत्या उस वक्त हुई थी जब वो गोपालगंज के डीएम थे। मुजफ्फरपुर मेंशव यात्रा के जुलूस निकलने के दौरान उन पर हमला हुआ। इस दौरान भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। और आरोप आनंद मोहन पर लगे थे। कि उन्होने भीड़ को उकसाया था। जिसके बाद पुलिस आनंद मोहन समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया था। इस मामले में पहले आनंद मोहन को साल 2007 में फांसी की सजा हुई थी। जिसे 2008 में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। जिसके बाद से वो सजा काट रहे थे।
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