क्यों IMF ने पकिस्तान को नहीं दिया कर्ज? भारत की भूमिका अहम?
पकिस्तान दो वक्त की रोटी के लिए इस समय पूरी दुनिया के सामने कटोरा लेके घूम रहा है। लेकिन दुनिया उसकी हरकतों की वजह से उसपर दया खाने को तैयार नहीं। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बार फिर पकिस्तान की मदद करने से माना कर दिया है। बीतें हफ्तों में हुई बातचीत एक बार फिर विफल रही, दरअसल पकिस्तान ने आईएमएफ की शर्तो को मानने से इंकार कर दिया है। रिपोर्ट्स की माने तो आईएमएफ पकिस्तान को तभी रोटी खाने को पैसा देगा जब वह अपने रक्षा बजट में से 10-20 फीसदी की कटौती करेगा। खैर, हमारा आज का मुद्दा यह नहीं है, बल्कि आज हम यह समझेंगे कि आखिर IMF के पास कौन सा खजाना है जिससे वह दुनिया भर में देशों को हजारो करोड़ बांटता है. आखिर यह पैसा उसके पास आता कहां से है? एक रिपोर्ट कि माने तो आईएमएफ के पास दुनिया को कर्ज देने के लिए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर यानी तकरीबन 80 ट्रिलियन रुपये के बराबर है।
दरअसल, IMF यानी इंटरनेशनल मॉनिट्री फंड. इस अंतरराष्ट्रीय संगठन का मकसद वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास, वैश्विक व्यापार को बढ़ावा और दुनिया से गरीबी को खत्म करना है। मूल रूप से इसकी स्थापना 1945 में ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट के तहत हुई. इसका एक मुख्य काम आर्थिक संकट में फंसे देशों को कर्ज उपलब्ध करवाना है। हालांकि, वह यह कर्ज अपनी शर्तों पर देता है। इसका मुख्यालय अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में है. इसके 190 देश सदस्य हैं। सदस्य देश अपने कोटे के हिसाब इस संस्था के फैसलों को लेकर वोट करते हैं। यानी यहां भारतीय लोकतंत्र की तरह हर वोट की कीमत एक समान नहीं है।
80 ट्रिलियन कर्ज देने की क्षमता…
सदस्यों के वोट की कीमत उनके कोटे से तय होती है। यहां पर एक वोट की कीमत 1,00,000 SDR है। डॉलर या रुपये की तरह SDR आईएमएफ का अपना कृत्रिम मुद्रा है। इसे स्पेशल ड्रॉविंग राइट्स कहा जाता है। इसे 1969 में बनाया गया था। इससे सदस्य देशों के ऑफिशियल रिजर्व में सहयोग दिया जाता है। IMF वेबसाइट के अनुसार देखा जाए तो इस वक्त उसके पास 713 अरब एसडीआर के बराबर कर्ज देने की क्षमता है। यह राशि अमेरिकी डॉलर में एक ट्रिलियन यानी भारतीय रुपये में 80 ट्रिलियन है।
जैसी ताकत वैसी वोट की कीमत…
जैसा की हमने आपको बताया कि आईएमएफ में सभी वोट की कीमत एक बराबर नहीं होती, जिस देश की जितनी ताकत होती है। उसके वोटिंग की कीमत उतनी हिओ होती है। IMF सदस्य देशों से कोटा और सब्सक्रिप्शन के जरिए अपने पास पैसे इक्ट्ठा करता है। इस तरह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के कारण इसमें अमेरिका सबसे ज्यादा पैसे देता है। सबसे ज्यादा पैसे देने की वजह से उसका कद भी बड़ा है. उसके वोट की कीमत भी सबसे ज्यादा है।
इसमें कहा है भारत का कद…
इस समय में भारत का कोटा आईएमएफ में 13,114.4 मिलियन एसडीआर है जो कुल कोटे का 2.75 फीसदी है और भारत के पास 2.63 फीसदी वोटिंग का राइट है। वहीं बात की जाए तो पकिस्तान का कोटा 2031 मिलियन एसडीआर है। जिससे उसकी हियस्सेदारी और वोटिंग राइट 0.43 फीसदी है। यानी भारत की तुलना में आईएमएफ में उसकी हैसियत छह गुना कम है। अमेरिका का कोटा 82,994 मिलियन एसडीआर है।कोटे में हिस्सेदारी 17.43 फीसदी और वोटिंग राइट 16.50 फीसदी है।
पाकिस्तान ने मांगा है 6.5 अरब डॉलर की खैरात…
पकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। अभी उसकी विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर के आसपास है, जबकि आने वाले समय में उसको कर्ज के मूलधन और ब्याज के रूप में करीब 9 अरब डॉलर की राशि चुकानी है। इस कारण उसने आईएमएफ से 6.5 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है। इसी कारण माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से बेलआउट नहीं मिला तो वह दिवालिया हो जाएगा। इसके साथ ही पाकिस्तान में महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है। एक साल के भीतर वहां चीजें 27 फीसदी तक महंगी हो गई है। उसके करीबी दोस्त माने जाने वाले सऊदी अरब और चीन ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
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