उप्र : योगी सरकार के फैसले से फूल कारोबारियों में उदासी
सरकारी कार्यक्रमों में फूलों से बनें गुलदस्ते व बुके की अच्छी खपत होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्मयंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा फिलूजखर्ची में कटौती के उद्देश्य (aim) से लिए गए फैसले के बाद अब राजधानी लखनऊ में गुलदस्ते के कारोबार से जुड़े लोगों में उदासी छा गई है।
कारोबारियों का मानना है कि योगी के आदेश के बाद गुलदस्ते के कारोबार में 25 फीसदी तक गिरावट आने की संभावना है। दरअसल, राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार के शासकीय कार्यक्रमों व समारोहों में बड़े पुष्पगुच्छ (बुके) के स्थान पर प्रेरणादायी पुस्तकें या एकल पुष्प भेंट किए जाने का निर्णय लिया है।
सरकारी कार्यक्रमों में भी गुलदस्तों की अच्छी मांग
इस निर्णय को लेकर गुलदस्ता व बुके कारोबारियों के बीच काफी हलचल देखने को मिल रही है। लखनऊ के चौक इलाके में गुलदस्ते का कारोबार करने वाले जामिल खां ने मीडिया से कहा कि वैसे तो फूलों के गुलदस्ते सबसे अधिक प्राइवेट पार्टियों में ही जाते हैं, लेकिन सरकारी कार्यक्रमों में भी इनकी खासी मांग रहती है।
वह कहते हैं, “हर महीने बिकने वाले गुलदस्तों का करीब 25 फीसदी तक का कारोबार सरकारी विभागों में होता है। सरकारी कार्यक्रमों में बुके भेजना बंद होने से इसके कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा। सरकारी कामकाज में जाने वाले गुलदस्तों की मांग प्रतिदिन रहती है।
कई विभाग तो रोजाना के ग्राहक हैं। आदेश के बाद अब ये आर्डर बंद हो जाएंगे, जिससे काफी असर पड़ेगा।”
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शासकीय कार्यक्रमों में अतिथियों को बड़े पुष्पगुच्छ कियें जातें हैं भेंट
सरकार के इस फैसले को लेकर प्रमुख सचिव (सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि प्राय: देखने में आता है कि शासकीय कार्यक्रमों व समारोहों में सम्मानित अतिथियों को बड़े पुष्पगुच्छ (बुके) भेंट किए जाते हैं, जिसमें अधिक संख्या में फूलों का उपयोग किया जाता है।
उन्होंने बताया कि शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब किसी भी प्रकार के शासकीय कार्यक्रमों व समारोहों में बड़े पुष्पगुच्छ (बुके) के स्थान पर प्रेरणादायी पुस्तकें या एक फूल भेंट किए जाएंगे। इससे फिजूलखर्ची रोकी जा सकेगी।
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सरकार के फरमान से पुस्तक कारोबारी उत्साहित
गुलदस्ते और बुके के कारोबारी जहां निराश हैं, वहीं दूसरी जगह प्रेरणादायी पुस्तकें भेंट किए जाने के सरकार के फरमान से पुस्तक के कारोबारी उत्साहित हैं।
हजरतगंज में स्थित यूनिवर्सल बुक डिपो के संचालक ने बताया कि किताबों का क्रेज तो कभी खत्म नहीं होगा। युवा भी लव स्टोरी से लेकर विवेकानंद, ओशो के जीवन से जुड़ी पुस्तकों के साथ ही साहित्यिक पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं। एक दिन में करीब 200 पुस्तकों की बिक्री होती है। सरकार के फैसले से पहले की तुलना में किताब ज्यादा बिकेंगे।
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