वाराणसी: पहली बार होगा ‘काशी-तमिल संगमम’ का आयोजन, धरोहरों के करेंगे दर्शन
महादेव की नगरी काशी में पहली बार ‘काशी-तमिल संगमम’ का आयोजन किया जा रहा है. गुरुवार से शुरू हो रहे इस आयोजन को भारत सरकार द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को बनाए रखने के लिए किया जा रहा है. वाराणसी में प्रारंभ काशी-तमिल संगमम का कार्यक्रम करीब महीने भर चलेगा. इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के अलग-अलग जगहों से 12 समूह में लोग शामिल होंगे.
तमिलनाडु से आये 12 समूहों के प्रत्येक समूह में 200 प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. 2-2 दिन के अंतराल पर उन्हें काशी लाया जाएगा. यहां वो बाबा विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन, गंगा स्नान और आरती, सारनाथ, बीएचयू सहित विभिन्न जगहों का भ्रमण कर यहां की संस्कृति और कला को समझेंगे. साथ ही, तमिलनाडु से आई टोली के लोग सांस्कृतिक प्रस्तुति भी देंगे. इस दौरान दक्षिण भारत के व्यंजन की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.
इसके साथ ही, वहां के हैंडी क्रॉफ्ट प्रोडक्ट की प्रदर्शनी भी यहां लगाई जाएगी. इसके अलावा रविदास घाट पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे और वहां के फेमस फूड का जायजा भी यहां चखने को मिलेगा. इन सब से इतर काशी और तमिलनाडु के विद्वान सेमिनार के जरिए दोनों राज्यों के संस्कृति और सभ्यता पर चर्चा कर सभी पहलुओं के बारे में सीखने का एक अनूठा अनुभव होगा. बीएचयू और बड़ा लालपुर स्थित टीएफसी सेंटर में ये आयोजन होंगे.
अयोध्या और प्रयागराज की धरोहरों के दर्शन…
तमिलनाडु के इन समूहों को वाराणसी के बाद प्रयागराज और अयोध्या भी ले जाया जायेगा. जहां पर वो अयोध्या और प्रयागराज की विभिन्न धरोहरों के दर्शन करेंगे. इस आयोजन में यूपी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक, औद्योगिक, खानपान, शिक्षा, मेडिकल, कृषि सहित अन्य सभी क्षेत्रों की संस्कृति व सभ्यता का आदान-प्रदान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
बता दें काशी-तमिल संगमम के लिए भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय नोडल विभाग है और बीएचयू को स्थानीय तैयारियों के लिए समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है. एक महीने चलने वाले आयोजन में शिक्षा संबंधित कार्यक्रम बीएचयू, सांस्कृतिक आयोजन रविदास घाट पर होगा. जबकि धार्मिक परंपरा, सांस्कृतिक जिसमें संगीत कला, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के उत्पादों का स्टॉल रविदास पार्क में लगाई जाएगी. इस दौरान काशी और तमिलनाडु के धार्मिक और सांस्कृति संबंधों को और मजबूत करने के लिए दोनों स्थानों के खानपान आदि के कार्यक्रम आयोजित होंगे. इस आयोजन में शामिल होने वालों को काशी विश्वनाथ धाम का भी दर्शन कराया जाएगा.
भारतीय संस्कृति और विरासत विद्वानों के बीच आदान-प्रदान…
काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति और विरासत विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान के सत्र आयोजित किए जाएंगे. इसमें दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन 2 परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है.
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