World Environment Day: नर्मदा का पानी अब ढो रही है ज़हर
भगवान शिव की पूजा दुनिया के हर एक कोने में की जाती है। मध्यप्रदेश की सबसे पवित्र नदी नर्मदा के बारे में माना जाता है कि इस नदी का जन्म भगवान शिव के स्वेद से हुआ था। मान्यता को इतना ज़ोर दिया गया कि लोग ऐसा मानने लगे है कि एक ही डुबकी में आपके सारे पाप धूल जाएँगे। और आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। नर्मदा का पानी अब ज़हर ढो रहा है। महर्षि व्यास के अनुसार कुल चार युग है। सत्युग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। फ़िलहाल हम कलियुग में जी रहे है। और इसी युग में हम जिनकी पूजा करते है जिन्हें भगवान समान मानते है उन्हें ही प्रदूषित करने पर तुले है।
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मध्यप्रदेश की जीवनरेखा ख़तरे में
मध्यप्रदेश की जीवनरेखा मानने जानी वाली नदी नर्मदा का पानी अब पीने लायक़ नहीं बचा है। पीने को तो छोड़िए अब यह पानी घरेलू इस्तेमाल में भी नहीं आ सकता है। इस पानी में ऐसे बैक्टीरिया पाए गाए है जो मानव स्वास्थ के लिए बेहद हानिकारक है। मुंबई की प्रयोगशाला में किया गया एक विश्लेषण इसकी जानकारी देता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता इस बात पर लंबे समय से गौर कर रहे थे कि नर्मदा का पानी मटमैला और अस्वच्छ होता जा रहा है, कई जगहों पर नर्मदा में मिलने वाले नालों, कारखानों, नदी से जलीय—जीव कम होने आदि अनेक कारणों से पानी की गुणवत्ता खराब हो रही थी, इस अवलोकन के ठोस प्रामाणिक रूप से सामने लाने के लिए यह परीक्षण करवाया गया।
आस पास के लोगों को भी है इसकी भनक
कार्यकर्ताओं के अनुसार नर्मदा के पानी का स्वाद बदलता जा रहा था, पानी में मैलापन भी देखने को मिल रहा था। आस पास रहने वाले लोगों को भी थी इसकी भनक मगर वैज्ञानिक विश्लेषण ने इसकी सच्चाई सबके सामने रख दी। परीक्षण में पता चला है कि यहां पानी नहीं पीने लायक है, न ही घरेलू कार्य के लिए उपयुक्त है। सिंचाई भी, कुछ ही प्रकार की फसलों के लिए हो सकती है। सबसे घातक कैल्श्यिम की मात्रा का पता चला है जोकि 306 यूनिट पाई गई है। इसकी अधिकतम मात्रा 200 यूनिट होनी चाहिए।इस कारण यह कठोर जल बताया गया है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से पथरी की बीमारी, किडनी पर असर होता है। नायट्रेट की मात्रा भी 45 मिलीग्राम प्रति लीटर है, उपाय नहीं किए गए तो यह भी आगे चलकर खराब हो सकती है।
अमोनिया की मात्रा अधिकतम सहनीय मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई है इसका बुरा असर इंसानों पर तथा मछली पर होने का अंदेशा जताया जा रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार पानी में ‘कोलिफार्म बैक्टेरिया’ और ‘इ-कोली बैक्टेरिया’ याने जीवाणु या रोगजीवाणु भी पाए गए हैं।
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इज़्रेल के एक कम्पनी को मिला था कॉंट्रैक्ट
आपको बता दे कि इज़्रेल के “तहर” नाम की एक कम्पनी को नर्मदा ओ साफ़ करने का कॉंट्रैक्ट दिया गया था। 105 करोड़ का कॉंट्रैक्ट भी दिया गया था लेकिन लोगों के अनुसार वहाँ पर सिर्फ़ 40% ही काम हुआ है। बड़ी विडम्बना है की विश्व पर्यावरण दिवस पर हमारी हर एक पहल प्रकृति को सुरक्षित करने की होनी चाहिए लेकिन यहाँ तो भगवान बाई इज़्ज़त नहीं की जा रही है।
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