प्रभु : “भारतीय रेल में साइबर सुरक्षा एक शीर्ष प्राथमिकता”
भारतीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु(Suresh Prabhu) ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रेल सुरक्षा जांच सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट आयोजित करती है और साइबर सुरक्षा एक शीर्ष प्राथमिकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा उपायों को सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में स्वीकार्य मानकों के अनुसार लागू किया जाना चाहिए।
रेल मंत्री ने भारतीय रेल में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गोलमेज सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “साइबर हमले से सुरक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिक्रियाओं का सृजन किया जाएगा।
कार्य के बढ़ते डिजीटल मोड में ऐसे अनेक अनुप्रयोग हैं, जिन पर मोबाइल फोन जैसे व्यक्तिगत उपकरणों के माध्यम से पहुंच स्थापित की जा सकती है। ऐसे अनुप्रयोगों की सुरक्षा को मजबूत बनाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “भारतीय रेलवे की डिजिटल संपत्तियों की महत्वपूर्ण रक्षा के लिए तैयारी पूरी तत्परता से होनी चाहिए। इसके लिए अनुप्रयोगों का डिजाइन इतना मजबूत होना चाहिए कि इसकी योग्यता उन्नत हमलों का बड़ी निपुणता से सामना कर सके।
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इस तैयारी से सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग रेलवे में हमला करने वालों को तेजी से पकड़ने के लिए गोपनीय रूप से उपयोग किए जा सकते हैं और इससे अतिक्रमण को तबाही में बदलने से रोका जा सकता है।”
प्रभु ने कहा, “भारतीय रेलवे में कम्प्यूटरीकरण लगभग तीन दशक पहले शुरू हुआ था और टिकीटिंग, माल भाड़ा परिचालन, ट्रेन परिचालन और परिसंपत्ति प्रबंधन अब अधिकांश रूप से सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों पर निर्भर है।
रेलवे में साइबर सुरक्षा को अब एक केंद्रित क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है। सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों की ऑडिटिंग मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (एसटीक्यूसी) द्वारा की जाती है और भारतीय रेलवे ने सीईआरटी-इन के साथ तालमेल के साथ मिलकर कुछ कदम उठाए हैं।”
उन्होंने कहा कि भारतीय रेल ने अभी हाल ही में रेल क्लाउड सर्वर, रेल सारथी एप की शुरुआत की है और ईआरपी विकसित करने का काम भी चल रहा है।
गोलमेज सम्मेलन में विचार-विमर्श के दौरान साइबर खतरों, सुरक्षा घटनाओं और उन्नत समाधानों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
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