कांग्रेस को हजम नहीं हो रहा ‘पीके’ का फार्मूला

0

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर (पीके) राज्य में हाशिये पर खड़ी कांग्रेस को जिंदा करने के लिए कांग्रेसियों को तरह-तरह के फार्मूले बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं को उनके फार्मूले हजम नहीं हो पा रहे हैं।

पीके ने यहां के नेताओं को हिदायत दी थी कि 30 मार्च तक प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 20 पूर्णकालिक कार्यकताओं का चुनाव कर लिया जाए, लेकिन उनका यह फार्मूला परवान नहीं चढ़ पाया है। दूसरी ओर, जिलाध्यक्षों ने उल्टे इसको लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो पश्चिमी उप्र के लगभग आधा दर्जन जिला व महानगर अध्यक्षों ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रत्येक विधानसभा ऐसे 20 कार्यकर्ताओं की खोज करना आसान नहीं है, जो चुनाव लड़ने की इच्छा न जताए और पार्टी को पूरा समय दे।

पार्टी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने बातचीत के दौरान बताया कि “प्रशांत किशोर का फार्मूला कांग्रेस के नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है। प्रत्येक जिले में 80 से 100 कार्यकर्ताओं की तलाश आसान नहीं है। सत्यापन के लिए जिलावार बैठकें करानी पड़ेंगी, जिसमें पीके से जुड़े लोग ही सीधे तौर पर शामिल रहेंगे।”

उन्होंने बताया कि मुख्य संगठन से 20 कार्यकर्ताओं के नाम मांगे गए हैं। मोर्चो से भी दो-दो नाम मांगे गए हैं। युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की ओर से इस तरह के कार्यकर्ताओं की मांग की गई है। अब प्रत्येक सीट पर 32 पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करनी होगी, जो आसान नहीं है। इन पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव तक पार्टी के लिए काम करना पड़ेगा।

नई टीम तैयार करने से पूर्व गठित बूथ व ब्लॉक कमेटियों से टकराव बढ़ने की आशंका के बीच एक विधायक ने बताया कि चुनाव के दौरान दोनों के बीच तालमेल बैठाना आसान नहीं होगा। इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी।

हालांकि कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इस बात को स्वीकार नहीं कर रहा है कि टकराव जैसी कोई स्थिति है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने बताया कि प्रशांत किशोर ने 10 मार्च को हुई बैठक में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों से पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की सूची मांगी थी जो संभवत: आ गई है। कार्यकर्ता पूरी लगन से जुटे हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल से कांग्रेस की संपर्क यात्राएं भी शुरू हो गई हैं जो 15 अप्रैल तक चलेंगी। पार्टी ने मनरेगा व खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर जिलों में संवाद तेज करने की रणनीति पार्टी ने बनाई है। इन दोनों योजनाओं का श्रेय लेने में जुटी मोदी सरकार को चुनावी लाभ न लेने देने के लिए वरिष्ठ नेताओं की बैठकें भी आयोजित की जाएंगी।

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More