भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली शानदार टाइमिंग के चलते अपनी मनमर्जी वाले शॉट इत्मिनान से खेलतें हैं। यह उनकी एक बड़ी ताकत है। इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में विराट कोहली सबसे ज्यादा रन बन बनाने वाले (231 रन) बल्लेबाज बनें।
इसके बाद उन्होंने एक भी पल नहीं गंवाया ये कहते हुए कि भविष्य के लिए टी20 को लेकर उनकी निजी योजना क्या है। कोहली की दलील थी रोहित शर्मा के साथ वो टी20 वर्ल्ड कप में दूसरे ओपनर की भूमिका निभाना चाहते हैं।
उनका मानना है कि अगर दोनों बल्लेबाज सेट हों तो किसी भी आक्रमण को बखियां उधेड़ सकते हैं। अब कोहली तो कप्तान हैं और अगर उन्होंने ये ठान लिया तो उन्हें मना तो कोई करेगा नहीं। कम से कम कोच रवि शास्त्री तो नहीं ही ये तकल्लुफ उठायेंगे।
साथ ही कोहली ने ये भी कह दिया कि इस सीज़न वो अपनी आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए भी ओपनर बनेंगे। कोहली पहले भी बीच-बीच में इस भूमिका में नज़र आ चुके हैं लेकिन अब उन्होंने इस रोल को पूरी तरह से अपनाने की घोषणा कर दी है।
कोहली के ओपनर बनने से किसको होगा फायदा?
जब भारत के लिए कोहली और रोहित के ओपनर बनने की चर्चा सामने आयी तो हर किसी ने करीब 15 साल पहले बेहद कामयाब फॉर्मूले सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी का वन-डे क्रिकेट में सफल अभियान का उदाहरण दिया।
सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी इसको शानदार प्लान बताया। लेकिन, अच्छे से अच्छे जानकार अब भी यही सोचते हैं कि टी20 फॉर्मेट वन-डे क्रिकेट का छोटा प्रारूप है लेकिन हकीकत इससे बिलकुल जुदा है।
वनडे से अलग है टी-20-
ये तो ठीक 1970-80 के दशक वाली उस थ्योरी की तरह है जहां वन-डे क्रिकेट को टेस्ट क्रिकेट का छोटा रूप मान लिया गया था। वन-डे क्रिकेट में एक ओपनर पहली 20-25 गेंदें खुद को जमने के लिए आराम से दे सकता क्योंकि वो पारी (300 गेंद) का 10 फीसदी हिस्सा भी नहीं होती है।
लेकिन, टी20 में तो हर गेंद से मैच का रुख पलट जाता है और 12 गेंदें तो पारी का 10 फीसदी हिस्सा होती हैं। ऐसे में किसी बल्लेबाज़ को 20-25 तो क्या 10-12 गेंद भी जमने के लिए टीमें नहीं दे सकती है। ऐसा क्रिस गेल जैसे खिलाड़ी के संदर्भ में अपवाद है क्योंकि वो बाद में छक्कों की बरसात करते हुए शुरुआती धीमी चाल का टीम पर असर नहीं पड़ने देते हैं।
कोहली को रोहित की भी सुननी चाहिए-
इस बाबत टीम के उप-कप्तान रोहित शर्मा का कहना था कि अभी टी20 वर्ल्ड कप में काफी वक्त है और अभी से ओपनर के बारे में एक ठोस राय नहीं बनायी जा सकती है। उनका मानना था कि आखिरी टी20 मैच में केएल राहुल की बजाए कोहली का ओपन करना एक मैच के लिए रणनीति में बदलाव के तौर पर ही देखा जाना चाहिए।
रोहित के इस बयान से साफ है कि सबसे ज़्यादा 5 मौके पर कप्तान के तौर पर आईपीएल ट्रॉफी जीतना इत्तेफाक नहीं है। शायद रोहित ये कहना चाहते हों कि राहुल को वक्त दिया जाना चाहिए।
कोहली 2013 से आरसीबी की कप्तानी कर रहे है। यह टीम कभी भी चैंपियन नहीं बनी है तब भी कोहली की कप्तानी को लेकर चर्चा तक नहीं होती है। लेकिन, टीम इंडिया के लिए कोहली की नाकामी इतनी आसानी से कभी भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती है।
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