20 साल से कांवड़ियों की सेवा कर रहा है ये मुस्लिम युवक
एक तरफ देश में धर्म के नाम पर हत्याए हो रही हैं, धर्म के नाम पर नेता लोगों को भड़का रहे हैं सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं। मंदिर-मस्जिद के नाम पर लोगों को लड़ाया जा रहा है। इन्ही सब के बीच एक मुस्लिम इंसान ऐसा भी है जो पिछले 20 सालों से कांवड़ ले जाने वालों की सेवा कर रहा है। सुनकर आप को हैरानी होगी लेकिन हकीकत यही है।
आसिफ पिछले 20 सालों से कांवड़ियों की कर रहे हैं सेवा
आप को बता दें कि मुजफ्फरनगर में आसिफ राही कांवड़ियों की सेवा पिछले 20 साल से कर रहे हैं। आसिफ पैगाम-ए-इंसानियत नाम से एक समाजिक संस्था चला रहे हैं। आसिफ का कहना है कि बार-बार आने वाली हिंदू-मुस्लिम तनाव की खबरें उनके जोश में कोई कमी नहीं लातीं। आसिफ पूरे जोश के साथ शिवभक्तों की सेवा करते हैं। वहीं इस रास्ते से आने वाले कांवड़िए भी बिना किसी भेदभाव के उनके इस पंडाल में ठहरते हैं और खाना खाते हैं और आराम करते हैं।
पैगाम-ए-इंसानियत नाम की संस्था चलाते हैं
45 साल के राही का मुजफ्फरनगर में ट्रांसपॉर्ट का कारोबार है, लेकिन समाज सेवा से उनका खासा लगाव है। इसी लगाव के चलते उन्होंने पैगाम-ए-इंसानियत नाम से सामाजिक संस्था शुरू की। राही पिछले 20 वर्षों से वॉलंटिअर्स के साथ मिलकर कांवड़ियों के लिए शिविर लगाते हैं।
संप्रदायों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश
राही कहते हैं, देश में सांप्रदायिक तनाव की खबरों के बीच इस शिविर को दो संप्रदायों के बीच की खाई को कम करने के पुल के रूप में देखा जा सकता है।’ राही के शिविर में ठहरने वाले कांवड़िए भी राही के नेक भावों का सम्मान करते हैं। दिल्ली के रहने वाले योगेश चौधरी बताते हैं, ‘यह तीसरी बार है जब मैं कांवड़ यात्रा कर रहा हूं। मैं इस नफरत को नहीं समझता। दोनों ही समुदायों के लोगों की रगों में एक-सा खून बहता है।’ पिछले 20 वर्षों में सिर्फ साल 2014 ऐसा रहा, जब उनके शिविर में कांवड़ियों की संख्या कम रही। वह कहते हैं, ‘उस वक्त मुजफ्फरनंगर दंगों का दर्द ताजा था, लेकिन तब भी शिविर में काफी कांवड़िए आए थे।’