खर्च करना है महज 75 हजार, पर खर्च होते हैं लाखों
यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए कैंडिडेट्स के खर्च की सीमा तय है. जिसके मुताबिक ग्राम प्रधान प्रत्याशी 75 हजार रुपये तो जिला पंचायत सदस्य 1.5 लाख रुपये खर्च कर सकता है. अगर आपने पंचायत चुनाव देखा है तो इस राशि के बारे में जानकर आपको हंसी ही आ रही होगी. हो भी क्यों नहीं क्योंकि इतनी राशि तो पंचायत चुनाव में ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होता है. गांवों के इस चुनाव हर प्रत्याशी के लाखों रुपये खर्च होते हैं एसा कहना है चुनाव लड़ चुके या गांवों के चुनाव के देखने वालों का. चुनावी जंग में शिरकत कर रहे कुछ लोगों की जुबानी हम बताते हैं कि चुनाव में कहां और कितना खर्च होता है.
खर्च है बेहिसाब
सामने घाट के रहने वाले उमेश सिंह (बदला हुआ नाम) ने अपनी पत्नी को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया था. अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए कोई-कसर नहीं छोड़ना चाहते थे. कुछ पुराने खुर्राट चुनावबाजों को साथ लिया और उनके मार्गदर्शन में उतर पड़े चुनावी समर में. उमेश अपना अनुभव बताते हैं कि नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले ही पूरे क्षेत्र में बैनर-पोस्टर लगवाने में 3 लाख रुपये खर्च हो गए. इसके बाद वोट के ठेकेदार जुटने लगे. कोई 25 तो 50 वोट दिलाने का दावा करता. सबने वोट की कीमत भी तय कर दी. किसी ने 500 तो किसी ने 1000 रुपये तक मांग लिए एक-एक वोट के. 7 लाख रुपये तो इसमें चले गए. अब चुनाव के एक रात पहले तक समर्थकों और कार्यकर्ताओं को दारू-मुर्गा खिलाने-पिलाने में 3 लाख रुपये खर्च हो गए. 2 लाख रुपये इलेक्शन कैम्पेन में लगी गाड़ियों में खर्च हो गए. 15 लाख रुपये खर्च करके चुनाव लड़ पाया था. अब भला कोई इलेक्शन कमीशन के तय चुनाव खर्च सीमा का पालन करे भी तो कैसे ?
खर्च का गणित कुछ ऐसा है
सारनाथ के रहने वाले पिछले कई दशक से पंचायत चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामसुधार मिश्र बताते हैं कि अब गांवों के चुनाव पहले जैसे नहीं रह गए हैं. पहले लोग सिर्फ दुआ-सलाम करके चुनाव लड़ जाते थे और जीत जाते थे. जैसे गांवों के विकास के लिए ढेरों रुपये आने लगे हैं वैसे ही पदों के लिए होड़ बढ़ गयी है. वोटर्स इसका बखूबी फायदा उठाते हुए कैंडिडेट्स के खूब आवभगत कराते हैं. उनकी मानें तो ग्राम प्रधान के चुनाव में ही 10 से 15 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं. उनका कहना है कि इलेक्शन कमीशन की ओर से तय धनराशि चुनाव पर्याप्त है अगर इलेक्शन इमानदारी से लड़ा जाए तो मगर अब पद को प्रतिष्ठा को काली कमाई का जरिया मानने वाले उसे हासिल करने वाले जीत का हर हथकंड़ा अपनाते हैं. इसलिए ऑफ द रिकार्ड खूब खर्च करते हैं. कैंडिडेट्स के खर्च के बारे में विस्तार के जानकारी देते हैं कि अगर किसी ग्राम सभा में 3000 वोटर्स हैं और उनमें से 300 कैंडिडेट के सपोर्टर हैं. चुनाव के लगभग एक महीने पहले से उनके द्वारा किए जा रहे कैम्पने का पूरा खर्च कैंडिडेट उठाता है. ऐसे में एक व्यक्ति पर हर दिन 50 रुपये भी खर्च हो तो एक दिन का खर्च 15 हजार रुपये होगा यानि 4.5 लाख रुपये एक महीने में. वहीं अगर 5500 की आबादी है और उसमें 3000 वोटर्स हैं तो उनको मैनेज करने में 5-7 लाख रुपये चले जाते हैं. शौकीनों को दारू-मुर्गा कराने में 2-4 लाख खर्च हो जाते हैं. बैनर-पोस्टर समेत अन्य खर्च को जोड़ लिया जाए तो 10 से 15 लाख रुपये पहुंच जाते हैं. जीतने के बाद पदाधिकारी को अपने खर्च किए रुपये मैनेज भी करने रहते हैं तो उसके रास्ते तलाश लेता है. जरा इस पहलू को भी समझा जाए, एक ग्राम प्रधान को 3500 रुपये मानदेय मिलता है प्रति माह. उसका निर्धारित बजट नहीं होता है. यह जरूर है कि गांवों में विकास कार्यों के लिए इन दिनों खूब रुपये आ रहे हैं. रामसुधार मिश्रा का मानना है कि चुनाव खर्च की धनराशि में बढोत्तरी के साथ ही प्रधानों का मानदेय भी बढ़ाया जाए.
ये इलेक्शन नहीं आसान
-गांव की राजनीति में सबको मैनेज करने के लिए शादी-विवाह से लेकर मरनी-जीनी तक पहुंचना और खर्च करना होता है कैंडिडेट को
-शहर में किसी का इलाज करना है तो कैंडिडेट है ना
-आर्थिक रूप से कमजोर का घर-द्वार मकान का इंतजाम करना ही होगा
-इलेक्शन के एक महीने पहले से घर-घर पहुंचकर सबको दुआ-सलाम करना होता है
-दारू-मुर्गा के शौकीन तो इलेक्शन के दौरान जैसे डीह बन जाते हैं गांव में उनकी खुशी का इंतजाम सबसे पहले
-इलेक्शन के दौरान तीज-त्योहार आ गया तो भोज-भात जरूरी हो जाता है
-वोटिंग के दो दिन पहले हर वोट के बदले चढ़ावा पहुंच जाता है
-वोटिंग के दिन एक-एक वोट को बूथ तक पहुंचाने का इंतजाम भी करना होता है
अधिकतम इतना कर सकते हैं खर्च
इलेक्शन कमीशन ने चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा तय कर दी है. हालांकि इसकी घोषणा इलेक्शन डेट के साथ होगी.
ग्राम पंचायत सदस्य
नामांकन पत्र – 150
जमानत राशि – 500
अधिकतम खर्च – 10, 000
ग्राम प्रधान
नामांकन पत्र – 300
जमानत राशि – 2000
अधिकतम खर्च – 75, 000
बीडीसी
नामांकन पत्र – 300
जमानत राशि – 2000
अधिकतम खर्च – 75, 000
जिला पंचायत
नामांकन पत्र – 500
जमानत राशि – 4000
अधिकतम खर्च – 1.5 लाख
ब्लॉक प्रमुख
2 लाख
जिला पंचायत अध्यक्ष
4 लाख