दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन 15वें दिन जारी, आंदोलन तेज करने का ऐलान

0

नये कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन गुरुवार को 15वें दिन जारी है और किसान नेता आंदोलन को आगे और तेज करने का ऐलान कर चुके हैं।

वहीं, नये कानूनों में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत का मार्ग टूट गया है और इस दिशा में फिलहाल कोई नई पहल नहीं हुई है। दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेताओं ने कहा कि उनका यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी।

किसानों ने कहा- जारी रहेगा आंदोलन

भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) से जुड़े किसान नेता गुरविंदर सिंह कूम कलान ने कहा, सरकार जब तक नये कानूूनों को वापस नहीं लेगी हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा। हमारे नेताओं ने दिल्ली की तरफ आने वाले सभी प्रमुख पथों व राजमार्गों को बंद करने का एलान किया है और 14 दिसंबर को पूरे देश में प्रदर्शन होगा।

किसान नेताओं ने जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे को शनिवार तक बंद करने का एलान किया है।

हठधर्मिता पर अड़ी है सरकार-

हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार की ओर से बुधवार को जो प्रस्ताव दिए गए उसमें कुछ नई बात नहीं थी और उससे जाहिर होता है कि सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है इसलिए उन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से नकार दिया गया।

उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार से बातचीत का मार्ग बंद हो गया है और अब इसके आगे अगर कोई नया प्रस्ताव आएगा तो बातचीत शुरू होगी।

आंदोलन तेज करेंगे किसान-

सरकार द्वारा दिए गए प्रस्तावों को नकराने के बाद बुधवार को किसान नेताओं ने आगे आंदोलन तेज करने का फैसला लिया। उन्होंने 12 दिसंबर को देशभर में सड़कों पर लगे टॉल को फ्री करवाने का आह्वान किया है।

इसके अलावा 14 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालयों पर धरना देने की अपील की गई है। किसान नेताओं ने लोगों से जियो की सीम पोर्ट करवाने या उसे बंद करवाने की भी अपील की है।

ये है किसानों की मांग-

किसान संगठनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी भी चाहते हैं।

इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।

अब तक हो चुकी है पांच दौर की वार्ताएं-

इस संबंध में उनकी केंद्र सरकार के साथ पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं और छठी दौर की वार्ता नौ दिसंबर को ही होने वाली थी, लेकिन इससे पहले आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात में हुई बातचीत के बाद प्रस्तावित वार्ता टल गई।

गृहमंत्री के साथ बातचीत के बाद किसान नेताओं को सरकार की ओर से उनकी तमाम मांगों के संबंध में प्रस्तावों का एक मसौदा सरकार की ओर से बुधवार को भेजा गया जिसे उन्होंने सर्वसम्मति से नकार दिया।

यह भी पढ़ें: किसानों को लेकर ​आमने-सामने आए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

यह भी पढ़ें: किसान विरोध प्रदर्शन : दिल्ली बॉर्डर पर नारेबाजी जारी

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More