नीलेश मिसरा : आवाज के जादूगर की ऐसी है कहानी…
जाने-माने जर्नलिस्ट, लेखक और कहानीकार नीलेश मिसरा का नाम कोई अनजाना नहीं है। रेडियो सुनने वालों के लिए आवाज ही नीलेश की पहचान है।
नीलेश मिसरा की कहानियां आम लोगों से कहीं न कहीं जुड़ी होती हैं। रेडियो पर किस्सागोई का उनका अंदाज तो एकदम ही जुदा होता है। ‘यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिसरा’ से वह कई दिलों पर छा गए।
‘गांव कनेक्शन’ के सह-संस्थापक हैं नीलेश-
नीलेश भारतीय क्षेत्रीय समाचार पत्र ‘गांव कनेक्शन’ के सह-संस्थापक भी है। इन्होंने एक कंटेंट क्रिएशन कंपनी की भी स्थापना की है जो कंटेंट प्रोजेक्ट के नाम लिए जानी जाती है।
अपनी कहानियों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले नीलेश इन दिनों अपने एक इंंटरव्यू शो के जरिए देश के प्रसिद्ध हस्तियों के साथ ‘द स्लो इंटरव्यू’ करते हैं। 2011 में नीलेश ने रेडियो पर कहानियां सुनानी शुरू किया तो वो सिलसिला आज तक चल रहा है।
फिल्मों में लिखे गीत-
रोग, लम्हें, जिस्म, गैंगस्टर, एजेंट विनोद, एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान जैसे तमाम फिल्मों में नीलेश ने गीत लिखे है। नीलेश को रामनाथ गोयनका अवॉर्ड से लेकर कर्पूर चंद कुलिश अवॉर्ड तक मिल चुका है।
नीलेश मिसरा को किसी एक क्षेत्र के महारथी के रूप में आप नहीं समेट सकते। एक गीतकार, एक संगीतकार, एक गायक, एक पत्रकार, एक अखबार का मालिक, एक लेखक, एक संपादक, एक कहानीकार, एक कहानी सुनाने वाला, एक टीवी प्रेजेंटर और एक पटकथा लेखक।
नीलेश मिसरा को इन सभी क्षेत्रों में महारथ हासिल है। आज के दौर में नीलेश इस कदर छाए हुए हैं कि रेडियो पर कहानी और इनका नाम एक दूसरे के पर्याय हो गए हैं।
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