ढाई करोड़ की आबादी और 500 वेंटिलेटर भी मौजूद नहीं, क्या कोरोना से खाक लड़ेगा बनारस ?
सावधान रहिए, घर में रहिए, सुरक्षित रहिए। क्योंकि बनारस में कोरोना की भयावह तस्वीर सामने आने लगी है। कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा चार हजार के पार पहुंच चुका है जबकि अब तक 75 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
विशेषज्ञों की माने तो बनारस के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। अगस्त के आखिरी और सितंबर महीने के पहले हफ्ते में कोरोना तांडव मचा सकता है। मतलब बनारस में कोरोना का पीक अब आने वाला है। अगर ऐसा हुआ तो बनारस की तस्वीर भी दिल्ली और मुंबई जैसी ही हो सकती है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा सेंटर बीएचयू अब खुद बीमार है।
कोरोना काल में बनारस, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही, आजमगढ़, मऊ और बलिया के साथ ही बिहार और झारखंड की लगभग ढाई करोड़ की आबादी इलाज के लिए बीएचयू पर निर्भर है। बावजूद इसके ढाई करोड़ की आबादी पर 500 वेंटिलेटर मौजूद नहीं है। तो सवाल यही है कि कोरोना से क्या खाक लड़ेगा बनारस ?
…तो कम पड़ जाएंगे अस्पतालों में बेड-
अब सवाल ये है कि बढ़ते हुए खतरे से निपटने के लिए जिला प्रशासन कितना मुस्तैद है ? क्या बनारस में पर्याप्त संख्या में बेड मौजूद है ? क्या गंभीर मरीजों के लिए जरूरी वेंटिलेटर अस्पतालों में है ? जब हमने इन बातों की पड़ताल की तो बेहद हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है।
कोरोना पेशेंट के लिहाज से बनारस में पर्याप्त संख्या में बेड नहीं है। मरीजों की संख्या बढ़ते देख प्रशासन ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बढ़ाने की तैयारी तेज करने का दावा किया है। कोरोना से लड़ने के लिए शहर में लेवल-1, से लेकर लेवल-2 और 3 तक के अस्पतालों चिकित्सीय सुविधा, वेंटिलेटर, आइसोलेशन वॉर्ड की बात कही गई है। लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर नजर आ रहा है।
फिलहाल इतनी संख्या में मौजूद हैं बेड-
फिलहाल कोरोना संक्रमित लोगों की इलाज के लिए 3565 बेड किए गए रिजर्व है। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अभी तक सरकारी कोविड हॉस्पिटल समेत हेरिटेज मेडिकल कॉलेज को मिलाकर अब तक 820 बेड रिजर्व थे। वहीं अब डीएलडब्ल्यू अस्पताल, छावनी अस्पताल सहित निजी एवं केंद्रीय विद्यालयों को कोविड अस्पताल में बदलते हुए आइसोलेशन के करीब 3565 बेड रिजर्व कर लिए गए हैं।
इसके तहत-
-एल-1 हॉस्पिटल में कुल 16 अस्पताल है। इन अस्पतालों में 2550 बेड सुरक्षित है।
-आर्य महिला पीजी कालेज, चेतगंज में 400 बेड
-राज पॉलिटेक्निक कालेज, बाबतपुर-400 बेड
-केंद्रीय विद्यालय-छावनी-200 बेड
-आर्य महिला कन्या इंटर कालेज चेतगंज- 200 बेड
-सेंट जॉन्स स्कूल, लोहता- 200 बेड
-जवाहर नवोदय विद्यालय, फूलपुर-200 बेड
-राम मनोहर लोहिया पीजी कालेज-भैरव तालाब-150 बेड
-अंबिका प्रसाद सिंह इंटर कालेज, भैरव तालाब-150 बेड
-सिल्वर ग्रोव स्कूल, मंडुवाडीह-150
-विद्यापीठ आवासीय टावर-100 बेड
-केंद्रीय चिकित्सालय, डीएलडब्ल्यू-100 बेड
-शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शिवपुर -100 बेड
-आयुर्वेद चिकित्सालय, महाविद्यालय -100 बेड
-सेंट मेरीज हॉस्पिटल, लोहता-100 बेड
-एनईआर रेलवे हॉस्पिटल–50 बेड
-सेना बेस हॉस्पिटल, छावनी-50 बेड
-इसी तरह एल-2 में तीन अस्पताल है। इसमें कुल 735 बेड सुरक्षित है।
-हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस -515 बेड
-डीडीयू हॉस्पिटल-120 बेड
-एपेक्स हॉस्पिटल ककरमत्ता-100 बेड
– वहीं एल-3 में बीएचयू के अस्पताल है। इसमें 200 बेड सुरक्षित है।
अगर पीक पर पहुंचेगा कोरोना तो पड़ेगी इतने बेड और वेंटिलेटर की जरुरत-
अब सवाल ये है कि क्या ये इंतजाम पर्याप्त हैं ? क्योंकि जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, उससे आने वाले वक्त की तस्वीर को आसानी से समझा जा सकता है। जानकार बताते हैं कि जब कोरोना पीक पर पहुंचेगा तो लगभग पंद्रह हजार के आसपास बेड की जरुर पड़ेगी। इसके साथ गंभीर रुप से बीमार मरीजों को बचाने के लिए लगभग 500 वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी।
वाराणसी के अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या बेहद कम है। अगर जुलाई महीने के आंकड़े देखे तो बीएचयू के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में 70 बेड वेंटिलेटर है। वहीं 50 और वेंटिलेटर को मंजूरी भी मिल चुकी है, जो जल्द ही बीएचयू पहुंच जाएंगे।
बीएचयू में बदइंतजामी की इंतेहा !-
बीएचयू प्रशासन के मुताबिक मांगे गए उपकरण के आ जाने के बाद एसएसबी ब्लाक की चौथी, पांचवी व छठवीं मंजिल को कोविड-आइसीयू में बदल दिया जाएगा। बीएचयू में बदइंतजामी इस कदर फैल गया है कि अब नौबत तोड़फोड़ तक की आ गई है।
शुक्रवार की रात कोरोना पीड़ित और उसके परिजनों ने जब अस्पताल में लापरवाही का आरोप लगाया तो डॉक्टर भड़क गए। आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने कोरोना पीड़ित मरीज के साथ मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि ये कोई पहला वाक्या नहीं है, जब बीएचयू प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा है।
इसके पहले भी कई वीडियो सामने आ चुके हैं जिसमें कोरोना पीड़ित बीएचयू अस्पताल की पोल खोल रहे हैं। सवाल यही है कि पूर्वांचल के एम्स का दर्जा रखने वाले बीएचयू का ये हाल है तो ढाई करोड़ की जनसंख्या किसके भरोसे रहेगी।
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