राजा का फर्जी एनकाउंटर : 11 पुलिसवाले दोषी, सभी को आजीवन कारावास

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राजस्थान के बहुचर्चित और भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बीते दिन इस मामले में 11 को दोषी करार दिया गया है जबकि तीन आरोपितों को बरी कर दिया गया था।

बता दें कि जिन 11 आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ है उनमें डीएसपी कान सिंह भाटी डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआइ रवि शेखर।

मंगलवार को इन सभी को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी करार दिया गया।

ये आरोपी हुए बरी-

जिन आरोपियों को बरी किया पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, इंस्‍पेक्‍टर कान सिंह सिरबी। इन तीनों पर जीडी में फेरबदल करने का आरोप साबित नहीं हो पाया, लिहाजा अदालत ने बरी कर दिया।

ये बनाए गए थे आरोपित-

डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।

इन आरोपितों का हो गया निधन-

कांस्टेबल नेकीराम, कुलदीप और सीताराम। चालक महेंद्र सिंह हो चुके हैं आरोप मुक्त।

कौन है राजा मान सिंह-

raja maan singh

बता दें कि भरतपुर रियासत के महाराज किशन सिंह के घर राजा मान सिंह का जन्म पांच दिसंबर, 1921 को हुआ था। इंग्लैंड में वर्ष 1928 से 1942 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दीपा उर्फ कृष्णेंद्र कौर उनकी तीन बेटियों में सबसे बड़ी हैं।

1946-1947 भरतपुर रियासत के मंत्री रहे थे। वर्ष 1947 में उन्होंने रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया। 1952 में विधान सभा का पहला निर्दलीय चुनाव जीता। इसके बाद लगातार वह सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए।

क्या है पूरा मामला-

एनकाउंटर से एक दिन पूर्व राजा मान सिंह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर तथा मंच को अपने जोगा गाड़ी से तोड़ने का आरोप लगा था। इसके लिए राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुक़दमे भी कायम हुए थे।

घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और शिव चरण माथुर मुख्यमंत्री थे। इस मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था।

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