क्या काशी विश्वनाथ मंदिर से होगी विशाल सिंह की ‘छुट्टी’ ?

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काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह का एक फेसबुक पोस्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद लोग तरह-तरह के कयास लगाए रहे हैं। पहले आपको बताते हैं कि आखिर इस पोस्ट में लिखा क्या गया है ? सोमवार की सुबह काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट डाली, जो कुछ इस तरह से है
” काशीवासियों को शत शत नमन। बहुत अच्छा रहा अब तक का कार्यकाल, आगे जाने महाकाल। ना मेरा कुछ था, ना मेरा कुछ है और ना मेरा कुछ होगा। हर हर महादेव।”

क्या है इस पोस्ट के मायने ?-

फेसबुक पर इस पोस्ट के बाद चर्चाओं को पंख लग गए। चर्चाएं इस बात को लेकर हक रह थी कि क्या विशाल सिंह का ट्रांसफर होने वाला है। यकीनी तौर पर कोई भी शख्स आगे इस पोस्ट को पढ़ेगा तो उसे भी एक बारगी ऐसा ही लगेगा। अब सवाल ये उठता है कि विशाल सिंह ने आखिर क्यों इस तरह का पोस्ट डाला। खैर उनके इस पोस्ट के बाद, फेसबुक पर कमेंट्स और शेयर करने वालों की बाढ़ आ गई। हजारों की संख्या में लोग उनके इस पोस्ट को लाइक कर चुके हैं जबकि इस पोस्ट पर लगभग 400 लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कहीं सप्तऋषि आरती विवाद से तो नहीं जुड़ा है पोस्ट-

महंत

ऐसा माना जा रहा है कि सप्तऋषि आरती विवाद के बाद पूर्व महंत परिवार के साथ मंदिर प्रशासन की काफी भद्द पिटी है। सोशल मीडिया पर आरती की तस्वीरों को शेयर करते हुए लोगों ने मोदी और योगी सरकार पर तरह-तरह के कटाक्ष किये। सूत्र बताते हैं कि इस मामले की गूंज पीएमओ और सीएम कार्यालय तक सुनी गईं। खबरें तो ये भी हैं कि बीजेपी का आलाकमान इस बात से नाराज है कि आखिर वो कौन से कारण थे, जिससे बात इतनी बिगड़ गई। समय रहते अर्चकों को सड़क पर आरती करने से क्यों नहीं रोका गया ? फिलहाल विशाल सिंह के तबादले को लेकर किसी तरह की पुष्ट खबर नहीं है, फिर भी अगर खुद उन्होंने इस तरह का पोस्ट किया है तो इसे समझना जरूरी है।

विशाल सिंह का इमोशनल कार्ड तो नहीं ?-

मंदिर का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होने के साथ विशाल सिंह के कंधों पर कॉरिडोर के निर्माण का भी जिम्मा है। यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। पिछले 2 सालों से विशाल सिंह इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। उनकी अगुवाई में ही मंदिर परिसर से सटे मकानों के अधिग्रहण किया गया। मकानों का अधिग्रहण बेहद चैलेंजिंग काम था, बावजूद इसके विशाल सिंह ने इसे न सिर्फ पूरा किया बल्कि कॉरिडोर के निर्माण को रफ्तार दी। इस बीच सप्तऋषि विवाद के बाद विशाल सिंह अब कुछ लोगों के निशाने पर हैं। लोग उन्हें अहंकारी और भ्रष्टाचारी बता रहे हैं। सप्तऋषि आरती विवाद के लिए उनके अड़ियल रुख को जिम्मेदार बता रहे हैं। सवाल ये है कि इस पोस्ट के जरिये विशाल सिंह ने क्या इमोशनल कार्ड खेल दिया है ?

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