संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी : आ रही है महामुखमरी, महामंदी
डब्ल्यूएचओ ने माना कि ये सबसे बड़ी महामारी
नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र United Nations, आईएमएफ व डब्ल्यूएचओ ने गंभीर चेतावनी दी है। United Nations के मुताबिक कोरोना वायरस से आगे चलकर भुखमरी की मार पड़ेगी और डब्ल्यूएचओ ने माना कि ये सबसे बड़ी महामारी है जिससे अभी और भी कई जानें जा सकती हैं।
उन्होंने सभी राष्ट्रों से एक साथ मिलकर इससे निजात पाने का प्रयास करने का आग्रह किया है।
कोरोना मामले चालीस लाख पार
दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी का प्रकोप झेल रही है और कोरोना केस चालीस लाख के पास पहुंच गए हैं। मौत का आंकड़ा भी दो लाख सत्तर हजार के पार हो गया है। लेकिन दुनिया को चलाने वाले तीन संगठनों ने जो चेतावनी दी है वो इससे भी खतरनाक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन तो लंबे समय से कह ही रहा है कि कोरोना दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा है। वहीं आज United Nations के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने भी कह दिया है दुनिया के गरीब देश भुखमरी बल्कि महाभुखमरी के कगार पर हैं। इसके अलावा दुनिया में नौकरियां जाने का सिलसिला जारी है। अमेरिका में तीन करोड़ तीस लाख नौकरियां जा चुकी हैं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भी कहा है कि ये 1930 में आए सबसे बड़े आर्थिक संकट से भी बड़ा खतरा है।
दुनिया पर कोरोना का ट्रिपल अटैक
दुनिया पर कोरोना का ट्रिपल अटैक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि United Nations ने माना है कि इससे भुखमरी की मार पड़ेगी और WHO ने माना कि ये सबसे बड़ी महामारी है जिससे अभी और भी कई जानें जा सकती हैं। वहीं IMF ने माना है कि कोविड-19 के चलते देशों की इकॉनोमी पर आर्थिक मंदी की भारी मार पड़ेगी।
पाकिस्तान भी भुखमरी के कगार पर
दुनिया के गरीब देशों में कोरोना अभी तीन से छह महीने बाद पीक पर पहुंचेगा। अनुमान है कि उसके बाद महाभुखमरी का दौर शुरू होगा। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डेविड बिस्ले ने कहा है कि अभी हम पर महामारी की दोहरी मार है। भुखमरी का जबरदस्त प्रकोप होने जा रहा है। हम महाभुखमरी के कगार पर हैं।
United Nations ने दिया भयावह अनुमान
United Nations के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में 13 करोड़ पचास लाख लोग भुखमरी की कगार पर हैं। इसमें 82 करोड़ ऐसे लोग है जिनका पेट पूरी तरह भर नहीं पाता। लेकिन अब ये संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कोरोना के चलते पूरी दुनिया में सप्लाई चेन ठप हो गई है। जिसका असर गरीब देशों को उठाना पड़ेगा।
दुनिया में ऐसे 37 देश है जो भुखमरी की कगार पर हैं। जिन नौ देशों को यूएन ने शामिल किया है उनमें पाकिस्तान का नाम भी शामिल है। यूएन ने इसके लिए दुनिया से 5000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने की अपील की है।
6.7 बिलियन डॉलर जुटाने की जरूरत
यूएन के महासचिव अंतोनियो गुटारेज ने कहा है कि हमारी जरूरत 6.7 बिलियन डॉलर इकट्ठा करने की है ताकि हम लाखों लोगों को कोरोना की चपेट में आने से बचा सकें। अगर कोविड -19 गरीब देशों में पहुंचेगा तो हम सब रिस्क पर हैं।
1930 की मंदी से बड़ा आर्थिक खतरा
हालांकि ये पैसा कहां से आएगा जब दुनिया भर की सरकारों का खजाना खाली हो रहा है। खुद IMF मान रहा है कि इस बार का हाल 1930 की मंदी से भी बुरा है। आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालीना जॉर्जिवा ने कहा कि ये दौर ग्रेट डिप्रेशन की भयानक मंदी से बड़ा है क्योंकि इसमें स्वास्थ्य संकट और आर्थिक झटका जुड़ गया है। ऐसे मौकों पर सरकारें खर्च करती हैं। अब वो कह रही है बाहर मत जाओ, खर्च मत करो।
कोरोना लौटकर आ सकता है
अर्थव्यवस्था चौपट होने के डर से अब सरकारें लॉकडाउन की शर्तें हल्की कर रही हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी दे रहा है कि अगर ऐसा किया तो कोरोना लौट कर आ सकता है और लॉकडाउन दोबारा लगाना पड़ सकता है।
दुनिया में कोरोना वायरस के केस चालीस लाख हो चुके हैं लेकिन कई देशों में ये अब तक पीक पर नहीं पहुंचा है। ऐसे में डर ये है कि दुनिया भर में कोरोना अभी कितना नुकसान पहुंचाएगा और बड़ा सवाल ये कि कोरोना के खत्म होने के बाद क्या दुनिया पहले जैसी रह पाएगी?
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