दिव्यांग प्राची ने IIM अहमदाबाद में दाखिला लेकर पेश की मिसाल

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जो इंसान कुछ करने का हौसला और जज्बा रखता है वो कभी अपनी मजबूरियों को नहीं गिनाता है। क्योंकि मजबूरियों को सिर्फ वही लोग गिनाते हैं जो कुछ करना नहीं चाहते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है प्राची सुखवानी की जिन्होंने अपनी हिम्मत और टैलेंट के दम पर उस मुकाम पर पहुंच गई हैं जहां पहुंचना हर किसी छात्र का सपना होता है।

आप को बता दें कि प्राची जब 3 साल की थी तभी से जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह  से उनके आंखों की रोशनी धीरे –धीरे कम होने लगी थी, लेकिन उन्होंने कभी इस बाधा को अपने सपनों को बीच नहीं आने दिया। आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद भी अपनी ताबड़तोड़ मेहनत के जरिए आखिरकार दुनियाभर में प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद(IIM) में दाखिला लेने में उसे सफलता मिली।

प्राची जैसी साधारण लड़की अब उन करोड़ों लोगो के लिए मिसाल है, जिन्हें लगता है कि वह आम लोगों से अलग हैं। साथ ही प्राची ने समाज को करारा जवाब देते हुए साबित किया कि उसके जैसे कई लोग भले ही आम लोगों की तरह ना हों लेकिन वह वो सब कर सकते हैं जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।

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हौसले की मिसाल प्राची का एक और सपना है कि वह दृष्टीहीन लोगों के लिए एक एनजीओ खोलें और उन लोगों के लिए कुछ ऐसा कर सकें जिससे उन लोगों को अपने सपने पूरे करने में मदद कर सकें।

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