सेनेटाइजर बनाने वाली सांगानेर जयपुर देश की पहली जेल

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जयपुर: कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया में देश की जेलों ने भी मदद के हाथ आगे बढ़ाए हैं। इस काम में अभी तक सबसे आगे राजस्थान जेल विभाग है, जो अब तक 35 हजार से ज्यादा मास्क बना चुका है और अब इसने सेनेटाइजर बनाने का भी काम शुरू कर दिया है, जिसकी शुरुआत शुक्रवार को सांगानेर जयपुर की खुली जेल से हुई है।

राज्य के जेल महानिरीक्षक/उप-महानिरीक्षक और वरिष्ठ आईपीएस विकास कुमार ने शुक्रवार को फोन पर बताया, “जेलों में कैदियों द्वारा मास्क बनाने या बनवाने में परेशानी नहीं थी। सबसे ज्यादा दिक्कत सेनेटाइजर उत्पादन शुरू करने में आई। क्योंकि सेनेटाइजर उत्पादन के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। इस वक्त कोरोना जैसी महामारी को हराने के लिए आमजन को जितनी ज्यादा जरूरत मास्क की है, उतनी ही जरूरत सेनेटाइजर की भी है।”

आईजी जेल राजस्थान ने आगे बताया, “सेनेटाइजर उत्पादन चूंकि जल्दी से जल्दी शुरू कराना था, लिहाजा राज्य जेल विभाग ने राज्य सरकार से बिना वक्त गंवाए पहले लाइसेंस हासिल किया। इसके बाद इंडियाना एग्रीबायोइन्टेक की मदद से सेनेटाइजर फैक्टरी स्थापित की।”

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विकास कुमार ने कहा, “हमें विश्वास है कि हम अपनी इस सेनेटाइजर फैक्टरी में चार से पांच हजार लीटर सेनेटाइजर प्रतिदिन तैयार कर लेंगे। आगे इसमें बढ़ोत्तरी की संभावना भी है। उत्पादन दिन-रात करेंगे। यहां बना सेनेटाइजर 100 और 500 एमएल की पैकिंग में उपलब्ध कराया जाएगा।”

आईजी जेल के मुताबिक, देश की किसी जेल में पहली सेनेटाइजर फैक्टरी लगने से फिलहाल सांगानेर खुली जेल के 60 से 70 कैदियों को रोजगार मिला है। इस मद में भी समय के साथ बढ़ोत्तरी तय है।

उन्होंने जेल में सेनेटाइजर फैक्टरी लगाने के पीछे तीन प्रमुख वजहें बताई। पहली वजह, वर्तमान विपरीत हालातों में समाज को सेनेटाइजर की उपलब्धता सुनिश्चित करना। दूसरी वजह खुली जेल के कैदियों को रोजगार देना। तीसरी वजह जेल में मौजूद कैदियों में यहां से जाने के बाद कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करने की सोच पैदा करना।

सेनेटाइजर उत्पादन का शुभारंभ जेल के बुजुर्ग कैदियों के हाथों फीता कटवा कर किया गया। इस मौके पर मौजूद कई कैदियों ने भी विचार व्यक्त किए।

एक कैदी ने कहा, “हमारे हाथ कभी अपराध ने गंदे कर दिए थे। यह अच्छा मौका है कि अब हमारे हाथों से बने सेनेटाइजर से हमारे अपने हाथ और समाज के बाकी लोगों के हाथों की गंदगी साफ होगी। यह सिर्फ रोजगार का साधन नहीं, कोरोना जैसी महामारी के दौर में हम कैदियों के हाथों एक पुण्य कार्य भी हो रहा है।”

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