11 साल में 70 हजार भारतीयों ने सरेंडर किए पासपोर्ट, 16.21 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
देश में ग्यारह साल के अंतराल में 70 हजार भारतीयों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए। जिन राज्यों के लोगों ने पासपोर्ट सरेंडर किये हैं, उनमें गोवा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली और चंडीगढ़ राज्य शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा गोवा में 40 फीसदी पासपोर्ट सरेंडर हुए हैं। मार्च माह में आई विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2011 से पिछले साल अक्टूबर तक 16.21 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है।
11 साल में 70 हजार पासपोर्ट सरेंडर
बता दें, साल 2011 और 2022 के अंतराल में लगभग 70,000 भारतीयों ने देश भर के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों (आरपीओ) में अपने पासपोर्ट सरेंडर किए हैं। आरटीआई आवेदन के जवाब में विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा यह आंकड़ा साझा किया गया है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि में सरेंडर किए गए 69,303 पासपोर्टों में से 40.45 प्रतिशत पासपोर्ट गोवा के आरपीओ में सरेंडर किए गए थे। यानी कि भारत की नागरिकता छोड़ने वालों में गोवा के नागरिक अधिक हैं।
16.21 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
हालाँकि, साल 2011 से आरपीओ में सरेंडर किए गए 69,303 पासपोर्ट इस अवधि में छोड़ी गई भारतीय नागरिकता का केवल एक अंश हैं। इस साल 24 मार्च को विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद में एक रिपोर्ट साझा की थी। इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2011 से 2022, 31 अक्टूबर के बीच 16.21 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी।
गोवा से 40 फीसदी पासपोर्ट सरेंडर
बता दें, सरेंडर किए गए 69,303 पासपोर्टों में से गोवा में सबसे अधिक संख्या 28,031 (40.45 प्रतिशत) थी। गोवा के बाद पंजाब का स्थान था। पंजाब में 9,557 पासपोर्ट (13.79 प्रतिशत) अमृतसर, जालंधर और चंडीगढ़ में आरपीओ में सरेंडर किए गए थे।
RTI ने दी सरेंडर पासपोर्ट की रिपोर्ट
आरटीआई अधिनियम के तहत प्रदान की गई जानकारी में केवल आरपीओ में सौंपे गए पासपोर्ट शामिल हैं। इस रिपोर्ट में विदेश में भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में छोड़े गए पासपोर्ट शामिल नही हैं। दरअसल, आरटीआई डेटा देश से बाहर जाने वाले भारतीयों की एक तस्वीर पेश करता है। आरटीआई ने दूसरी अपील पर केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बाद यह जानकारी साझा की है।
अधिनियम-1955 में दोहरी नागरिकता अस्वीकार
दरअसल, इन 70 हजार भारतीयों ने भारत की नागरिकता इसलिए छोड़ी क्योंकि इन लोगों ने दूसरे देश की नागरिकता ले रखी थी। भारत देश में लागू कानून के तहत भारत का रहने वाला नागरिक एक साथ दो देशों की नागरिकता नहीं ले सकता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत, भारतीय मूल के व्यक्तियों को दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के पास कभी भारतीय पासपोर्ट रहा है और उसने किसी दूसरे देश का पासपोर्ट प्राप्त किया है। तो ऐसे में उन्हें तुरंत अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ता है।