गुजरात में एक महीने में बने 3 नदी पुल, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट पर तेजी से चल रहा काम…

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बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. देश की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी. भारत की जनता को इसका बेसब्री से इंतजार है.बुलेट ट्रेन परियोजना के नाम से मशहूर मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर एमएएचएसआर का काम देख रहे है. अधिकारियों का कहना है.कि कार्य तेजी से चल रहा है. और उन्होंने गुजरात में एक महीने में तीन नदी पुलों का निर्माण किए जाने की जानकारी दी. हाई स्पीड कोरिडोर का निर्माण कर रहे राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (NHSRCL) के अधिकारियों का कहना है कि पिछले छह महीने में 24 पुलों में से चार का निर्माण किया जा चुका है.एमएएचएसआर ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इन चार में से तीन पुलों का निर्माण एक महीने में नवसारी जिले में किया गया है. जो कि हाई स्पीड रूट पर बिलिमोरा और सूरत स्टेशन के बीच स्थित है.

एक महीने में तीन पुलों का निर्माण…

बता दे कि भारतीय रेलवे की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएचएस आरसीएल का कहना है कि बुलेट ट्रेन परियोजना का पहला चरण 2026 में शुरू होने की संभावना है. एक विज्ञप्ति में कहा है कि इन चार में से तीन पुलों का निर्माण एक महीने में नवसारी जिले में किया गया है, जो कि हाई स्पीड रूट पर बिलिमोरा और सूरत स्टेशन के बीच स्थित है. बता दें कि इस कॉरिडोर पर 24 नदी पुल हैं, जिसमें से 20 गुजरात और बाकी बचे हुए 4 पुल महाराष्ट्र में हैं।

गुजरात में सबसे लंबा नदी पुल 1.2 किलोमीटर का..

एनएचएस का कहना है कि पहला पुल पूर्णा नदी पर, दूसरा मिन्धोला नदी पर और तीसरा पुल अंबिका नदी पर बनाया गया है.  गुजरात में सबसे लंबा नदी पुल 1.2 किलोमीटर का है. और इसे नर्मदा नदी पर बनाया जा रहा है. वहीं इस गलियारे का सबसे लंबा नदी पुल महाराष्ट्र में 2.28 किलोमीटर का है. जिसे वैतरणा नदी पर बनाया जा रहा है.

इंजीनियरों ने 26 मीटर की ऊंचाई से किया काम… 

एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि नदियों पर पुलों के निर्माण के लिए कुशल योजना की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि मिन्धोला और पूर्णा नदी पर पुलों के निर्माण के दौरान अरब सागर की लहरों पर करीब से नजर रखी गई थी. उन्होंने बताया कि अंबिका नदी पर पुल के निर्माण के लिए हमारे इंजीनियरों ने 26 मीटर की ऊंचाई से काम किया. एनएचएसआरसीएल का कहना है कि पूर्णा नदी पर बना पुल 360 मीटर लंबा है और इसके निर्माण के दौरान अरब सागर में उच्च और निम्न ज्वार पर लगातार निगरानी की जरूरत थी.

पुल की नींव रखने का काम चुनौतीपूर्ण…

एनएचएसआरसीएल के मुताबिक, पुल की नींव रखने का काम भी काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि नदी में पानी का स्तर उच्च ज्वार के दौरान पांच से छह मीटर तक बढ़ जाता था. अधिकारी ने कहा कि मिन्धोला नदी पर 240 मीटर लंबे पुल के निर्माण के लिए अरब सागर में उच्च और निम्न ज्वार पर लगातार नजर रखी गई. वहीं अंबिका नदी पर 200 मीटर लंबे पुल के लिए नदी तट के तीव्र ढलान ने चुनौती पैदा की थी. गुजरात में आठ हाई स्पीड रेल स्टेशन वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती पर निर्माण कार्य अलग-अलग चरणों में चल रहा है।

बुलेट ट्रेन से सफर होगा आसान…

आपको बता दें कि अहमदाबाद से मुंबई की दूरी 523 किमी. है. जहां पहुंचने में 9 से 10 घंटे लग जाते हैं. ऐसे में बुलेट ट्रेन से अहमदाबाद से मुंबई का सफर आसान हो जायेगा.और महज 2 घंटे 7 मिनट में आप अहमदाबाद से मुंबई पहुंच सकेंगे. दरअसल अहमदाबाद से मुंबई तक एक हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जिस पर यह बुलेट ट्रेन दौड़ेगी।

अहमदाबाद से मुंबई के सफर में 12 स्टेशन…

अहमदाबाद से मुंबई के सफर में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिसमें से 8 स्टेशन गुजरात में और चार स्टेशन महाराष्ट्र में होंगे. आपको बता दें कि 348 किमी हिस्सा गुजरात में और 156 किमी महाराष्ट्र में है. इसके अलावा बाकी चार किलो मीटर का हिस्सा दादरा नगर हवेली में पड़ता है।

क्या है बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट…

आपको बता दें कि सितंबर 2017 में देश की पहली बुलेट ट्रेन का काम गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हुआ था. पीएम मोदी और पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे ने संयुक्त रूप से इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस पूरे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन एनएचएसआरसीएल की है।

2026 तक बुलेट ट्रेन का ट्रायल शुरू.

भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद गुजरात में भारत देश की पहली बुलेट ट्रेन चलाने की शुरुआत की है.  माना जाता है कि 2025 के अंत तक भारत में बुलेट ट्रेन चल जाएगी.  भारत में बुलेट ट्रेन के लिए मुंबई- गुजरात के बीच स्पेशल रेल ट्रैक बनाए जा रहे हैं. इन रेल पटरियाँ का काम बहुत तेजी से चल रहा है.  बुलेट ट्रेन के आने पर हमारे देश की इकोनॉमी पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा. और हमारे देश को  बहुत लाभ पहुंचेगा. GDP रेट भी बढ़ेगा।

किसने किया था आविष्कार…

बुलेट ट्रेन का आविष्कार जापान देश ने किया था. जापान के एक जाने माने इंजीनियर एवं साइंटिस्ट Hideo Shima (1901 – 1998) ने Bullet Train का आविष्कार किया था.  इस ट्रेन का आविष्कार साल 1964 में किया गया था. उनको बचपन से ही ट्रेन और प्लेन के बारे में दिलचस्पी थी. वह चाहते थे की वह कोई ऐसी ट्रेन बनाएँ जो बुलेट की रफ्तार से दौड़ें।

ख़ास होती हैं पटरियां

बुलेट ट्रेन के लिए खास तरह की पटरियां बिछाई जाती हैं। इन पटरियों पर आम रेलगाडियां नहीं चलती. इन पटरियों पर न तो किसी व्यक्ति को आने -जाने की अनुमति होती है न ही कोई रेलवे क्रासिं. ये ट्रेन ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम से चलती है. इसका मतलब है कि यदि ड्राइवर कोई गलती कर रहा हो तो कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी ट्रेन की कमान अपने हाथों में ले सकते हैं. दरअसल इन ट्रेनों में दो तरह का नियंत्रण होता है. पहला नियंत्रण कंट्रोल रूम के पास होता है और दूसरा ड्राइवर के हाथों में जिसे लंबी ट्रेनिंग के बाद ट्रेन चलाने का मौका दिया जाता है. इस ट्रेन का ड्राइवर एक दिन में 7 घंटे 10 मिनट ही ट्रेन चला सकता है. वह भी एक बार में तीन घंटे बीस मिनट से ज्यादा नहीं।

बुलेट ट्रेन मिलने वाला लाभ…

  • बुलेट ट्रेन किसी भी मौसम में एक रफ्तार से चल सकती है।
  • हवाई विमान की तुलना में बुलेट ट्रेन की यात्रा सस्ती होती है।
  • साधारण ट्रेन के मुकाबले बुलेट ट्रेन में ज्यादा डिब्बे होते हैं. जिसके कारण अधिक यात्रि एक साथ यात्रा कर पाते हैं।
  • बुलेट ट्रेन के माध्यम से ज्यादा वजन की चीजों को एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जाया जा सकता है।
  • बुलेट ट्रेन से साधारण ट्रेन के मुकाबले एक्सीडेंट के अवसर कम होते हैं।
  • बुलेट ट्रेन की रफ्तार 200 से 250 किलोमीटर प्रति घंटा की होती है. जिससे की आम लोगों के समय की बहुत बचत होती है।

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