2000 जवान, ड्रोन और खोजी कुत्ते…! मणिपुर में आखिर किसकी युद्ध स्तर पर की जा रही तलाश….
मणिपुर के हालात बीते लम्बे समय से सही नहीं चल रहे हैं, ऐसे में कुछ महीनों तक लाइमलाइट से दूर रहने के बाद इन दिनों यह प्रदेश फिर से सुर्खियां बटोर रहा है. बीते दिनों महिला की हत्या, फिर 11 उग्रवादियों के मारे जाने की खबर ने इसे चर्चा में ला दिया और अब मणिपुर में लापता मैतेई समुदाय के व्यक्ति की तलाश की व्यवस्था ने मणिपुर की ओर सबका ध्यान खिंचा है, जिसमें भारतीय सेना के करीब 2000 जवान, खोजी कुत्ते, और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह व्यक्ति लैशराम कमलबाबू सिंह है, जो असम के कछार जिले के निवासी हैं और इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे. वह 57वें माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य स्टेशन में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (MES) के तहत कार्य पर्यवेक्षक के रूप में काम करते थे.
मणिपुर सीएम ने सेना से की ये अपील
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस मामले में भारतीय सेना से मदद की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि, लैशराम कमलबाबू सिंह सैन्य स्टेशन से लापता हो गए थे और उन्होंने अधिकारियों से इसे लेकर कदम उठाने की मांग की थी. इसके बाद, मणिपुर पुलिस ने इस मामले में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी करते हुए बताया कि, लैशराम कमलबाबू सिंह की खोज के लिए सेना और पुलिस के संयुक्त प्रयासों से एक बड़ा तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में सेना ने 2000 से अधिक सैनिकों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के ट्रैकर कुत्तों का उपयोग किया है. इसके साथ ही, तकनीकी खुफिया जानकारी का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि लापता व्यक्ति का पता लगाया जा सके.
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मैतेई व्यक्ति की गुमशुदगी को लेकर प्रदेश में आक्रोश
इस बीच, लैशराम कमलबाबू सिंह के लापता होने के विरोध में एक संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने प्रदर्शन जारी रखा है. समिति ने सैन्य स्टेशन से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर कांटो सबल में सड़क पर बैरिकेडिंग भी की है. इस प्रदर्शन में लैशराम कमलबाबू सिंह की पत्नी अकोईजम बेलारानी भी शामिल हुईं. प्रदर्शनकारी यह आरोप लगा रहे हैं कि कमलबाबू सिंह को आतंकवादियों ने अगवा कर लिया है.
यह मामला मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच सामने आया है. मई 2023 से राज्य में जातीय संघर्ष जारी है, जब कांगपोकपी जिले के सैन्य शिविर के पास कुकी समुदाय के लोग हिंसा का शिकार हुए थे. इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. सैन्य शिविर इंफाल से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित है और यह पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जहां कुकी लोग रहते हैं. पिछले साल मई से शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद, लीमाखोंग के पास रहने वाले मैतेई लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं. लैशराम कमलबाबू सिंह के लापता होने की घटना ने मणिपुर में और अधिक तनाव उत्पन्न कर दिया है और प्रशासन द्वारा उन्हें जल्द से जल्द खोजने की कोशिशें जारी हैं.