नागालैंड के 6 जिलों के 20 विधायकों और वोटरों ने नहीं डाले वोट

इंतजार करते रह गये मतदानकर्मी 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी नही गया

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लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का चुनाव तो सकुशल सम्पन्न हुआ लेकिन इसी बीच नागालैंड से बड़ी खबर सामने आई. नगालैंड के 6 पूर्वी जिलों के मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी 9 घंटे तक मतदाताओं का इंतजार करते रहे लेकिन चार लाख वोटरों में से एक भी वोट देने नही पहुंचा. ‘फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए एक संगठन ने बंद का आह्वान किया था. इसके कारण 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी मतदान करने नहीं आया.

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मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहाकि राज्य सरकार को ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन की एफएनटी की मांग से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी हैं. नागालैंड के पूर्वी भाग के इन 6 जिलों में मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर हैं. इस राज्य की 60 में से 20 विधानसभा सीटें इन 6 जिलों में आती हैं. इनके विधायकों में से भी किसी ने वोट नहीं डाला.

मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहाकि राज्य सरकार को ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन की मांग से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी हैं. ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स आर्गनाइजेशन पूर्वी क्षेत्र के सात जनजातीय संगठनों की शीर्ष संस्था है. संस्था के बंद के आह्वान से जिला प्रशासन और अन्य आपातकालीन सेवाओं से जुड़े लोगों के अलावा सड़कों पर किसी भी व्यक्ति या वाहन का आवागमन नही दिखा.

पूर्वी नगालैंड के इन जिलों में 4,00,632 हैं मतदाता

नगालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवा लोरिंग ने बताया कि 20 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस क्षेत्र के 738 मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मौजूद रहे. इन 9 घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया. उन क्षेत्रों के 20 विधायकों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. नगालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नगालैंड के 6 जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं. मुख्यमंत्री ने राज्य की राजधानी से करीब 41 किलोमीटर दूर तौफेमा में अपने गांव में वोट डालने के बाद पत्रकारों से कहा कि उन्होंने एफएनटी के लिए ‘ड्राफ्ट वर्किंग पेपर’ स्वीकार कर लिया है. इसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था. गौरतलब है कि ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स आर्गनाइजेशन छह जिलों को मिलाकर अलग राज्य की मांग कर रहा है. ताकि उनके क्षेत्रों का समुचित विकास हो सके. उसका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया.

मुख्यमंत्री ने कहा-हम कर चुके हैं सिफारिश

जबकि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि राज्य सरकार पहले ही स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है. ताकि इस क्षेत्र को पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके. जब एक स्वायत्त निकाय बनाया जाता है तो निर्वाचित सदस्यों के साथ एक उचित प्रणाली होनी चाहिए. इससे राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. विधायकों को बातचीत के लिए बैठना चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि क्या वोट न डालने के लिए पूर्वी नगालैंड के 20 विधायकों के खिलाफ कोई की जाएगी तो उन्होंने कहा कि हम टकराव नहीं चाहते हैं. आपको बता दें कि नगालैंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स आर्गनाइजेशन ने गुरुवार शाम 6 बजे से राज्य के पूर्वी हिस्से में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद घोषित कर दिया. संगठन ने आगाह किया था कि यदि कोई व्यक्ति मतदान करने जाता है और कानून-व्यवस्था की कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो जिम्मेदारी मतदाता की होगी.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

नागालैंड के चीफ इलेक्शन ऑफिसर ने ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया. कहा गया कि पूरे पूर्वी नागालैंड में पूर्ण बंद का आह्वान पूर्वी नागालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के वोट डालने के स्वतंत्र अधिकार में हस्तक्षेप करके चुनावों में अनुचित प्रभाव का उपयोग करने का प्रयास है. कारण बताओ नोटिस में ईएनपीओ अध्यक्ष ने पूछा कि आईपीसी की धारा 171(सी) की उप-धारा (1) के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. नोटिस का जवाब देते हुए ईएनपीओ ने स्पष्ट किया कि उसने पहले ही लोकसभा चुनाव 2024 में भाग लेने से दूर रहने के अपने इरादे के बारे में भारत के चुनाव आयोग को सूचना दे दी थी. संगठन ने कहा कि आईपीसी की धारा 171 (सी) की उप-धारा (1) इस संदर्भ में लागू नहीं होगी क्योंकि चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने से जुड़ा कोई अपराध नहीं किया गया है. कारण बताओ’ नोटिस का जवाब देने के बाद सभी 6 जिलों से बंद हटा दिया गया. गौरतलब है कि ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था.

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