लखनऊ में आज निकलेगा 186 साल पुराना शाही जरीह का जुलूस, अवध के बादशाह ने किया था आगाज…
जुलूस में हाथी और ऊंट पर शाही निशान लिए लोग, चांदी के शाही चिह्न, इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक
लखनऊः देश में मोहर्रम का पर्व आज से शुरू हो गया है. इसी क्रम में लखनऊ में 186 साल पुराना शाही जरीह का जुलूस सोमवार की शाम को निकाला जाएगा. खास बात यह है कि जुलूस में मोम से बनी 20 फुट की शाही जरीह और 15 फुट की दो अबरक होंगी. यह जुलूस आज शाम बड़ा इमामबाड़ा से शाम छह बजे निकलेगा और देर रात छोटा इमामबाड़ा पहुंचकर संपन्न होगा. इससे पहले मौलाना मो. अली हैदर मजलिस को खिताब करेंगे. जुलूस में शामिल होगा शहनाई, रौशन चौकी, ताज, सूरज और नौबत
जुलूस में हाथी और ऊंट पर शाही निशान लिए लोग, चांदी के शाही चिह्न, इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह, हज़रत अब्बास की निशानी अलम, छह माह के शहीद अली असगर की याद दिलाता झूला, शहनाई, रौशन चौकी, ताज, सूरज, नौबत, नक्कारे, सबील, काली झंडियां, प्यादे समेत कई तबर्रुकात शामिल होंगे. अकीदतमंद इनकी जियारत कर दुआएं मांगेंगे.
1838 में पहली बार निकला था जुलूस
कहा जा रहा है कि साल 1838 में अवध के पहले बादशाह मो. अली शाह बहादुर ने शाही जुलूस का आगाज किया था. तब से लेकर आज तक यह प्रथा जारी है. तब से हर साल इसी अंदाज में पहली से जुलूस निकाला जाता रहा है. इसका खर्च हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट के खजाने से होता है.
बंटेगा तर्बरुक ( वह चीज़ जिसमें बरकत होने का विश्वास हो) …
बड़ा इमामबाड़ा के प्रभारी हबीबुल हसन ने बताया कि हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट के तहत आने वाले धार्मिक स्थलों पर नौ दिन तक तर्बरुक ( वह चीज़ जिसमें बरकत होने का विश्वास हो) बांटा जाएगा. यहां मजलिस के बाद अकीदतमंदों को तर्बरुक के तौर पर शिरमाल दिया जाएगा. छोटा इमामबाड़ा और हजरतगंज स्थित शाहनजफ के इमामबाड़ा में हर रोज खमीरी रोटी, आलू का सालन और दाल बांटी जाएगी.
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इस्लामिक नए साल की शुरुआत
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम के दिन से इस्लामिक के नए साल की शुरुआत होती है जिसे हिजरी कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है. मुहर्रम को बकरीद के करीब 20 दिनों के बाद मनाया जाता है. भारत में मुहर्रम की तारीख चांद निकलने पर तय की जाती है. इस तरह रविवार शाम को मुहर्रम के महीने का चांद देखा गया जिसके चलते आज शाम लखनऊ में 186 साल पुराना शाही जरीह का जुलूस निकाला जाएगा.