DSP जियाउल हक हत्याकांड में 10 दोषी करार, राजा भैया को मिल चुकी है क्लीनचिट

2 मार्च 2013 को जियाउल हक की गोली मारकर हत्या

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है. लखनऊ की CBI स्पेशल कोर्ट ने चर्चित DSP जियाउल हक हत्याकांड में 10 आरोपियों को दोषी करार दिया है. बता दें कि 2 मार्च 2013 को कुंडा के सीओ जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस का आरोप रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था.

राजा भैया और गुलशन को मिली थी क्लीन चिट

गौरतलब है कि, सीबीआई की जांच में राजा भैया और गुलशन यादव को क्लीन चिट दे दी गई थी. सीओ जियाउल हक की हत्या में शामिल फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को दोषी ठहराया गया है.

2012 में तैनात हुए CO कुंडा

बता दें कि देवरिया जिले के नूनखार गाँव के टोला जुआफर के रहने वाले जियाउल हक 2012 में बतौर CO कुंडा तैनात हुए थे. उनकी तैनाती के बाद से ही कई तरह के दबाव आते रहते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुंडा में तैनाती के दौरान राजा भैया की तरफ के कई तरह के दबाव आते रहते थे. हालाँकि राजा भइया इन आरोपों मीडिया से बातचीत में खारिज कर देते हैं.

प्रधान हत्या पर हुआ था बवाल

कहा जाता है कि प्रतापगढ़ के कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को प्रधान की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या उस समय हुई थी जब नन्हे यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूर से बात कर रहे थे. इस घटना को दो बदमाशों ने अंजाम दिया था.

DSP जियाउल हक को ग्रामीणों ने घेर लिया था

Journalist Cafe के बातचीत करते हुए कुंडा के रहने वाले राम प्रताप ने बताया कि जब यह घटना हुई थी तब DSP जियाउल हक मौके पर पहुंचे थे. उस समय गांव में फायरिंग हो रही थी. तभी फायरिंग से डरकर उनके गनर इमरान और विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए और ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया था इस दौरान नन्हे प्रधान के भाई सुरेश की मौत हो गई थी.

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ग्रामीणों ने की थी निर्मम हत्या

कहा जा रहा है कि इस मामले में DSP जियाउल हक की निर्मम हत्या ग्रामीणों के द्वारा की गई थी. रात में पुलिस बल पहुंचने के बाद CO की तलाश शुरू हुई तब जियाउल हक का शव प्रधान के पीछे खरंजे में मिला था.

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अखिलेश ने सौंपी थी CBI को जांच

बता दें कि इस घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी. इस मामले में जियाउल हक की पत्नी की तरफ से दर्ज कराइ गई FIR पर सीबीआई ने अपनी क्लोज़र रिपोर्ट 2013 में दाखिल कर दी थी.

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