शनि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई है। यहां स्थित चबूतरे पर महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत मिल गई है। शनि शिंगणापुर ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता शेटे ने शुक्रवार को कहा कि ट्रस्ट सभी श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने और पूजा की अनुमति देता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मंदिर ट्रस्ट महिलाओं को पूजा करने के अधिकार के खिलाफ अड़ा हुआ था, लेकिन शुक्रवार को पुरुष श्रद्धालुओं के जबरन घुसने के थोड़ी देर बाद ही महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत देकर इस मंदिर का इतिहास बदल दिया। ट्रस्ट ने तृप्ति देसाई को मंदिर में पूजा करने के लिए आमंत्रित किया है।
दरअसल, शुक्रवार को करीब 100 पुरुषों ने जबरन पूजा की थी। वह एक-एक कर चबूतरे पर पहुंचे और उन्होंने शिला को नहलाया। पुरुषों का यह शिला पूजन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के खिलाफ था। इस घटना के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने फैसला लिया कि महिलाओं को भी इस चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत होगी। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने नौ फरवरी 2011 से ही चबूतरे में पूजन पर पाबंदी लगा रखी थी। पिछले काफी समय से महिलाएं यहां पूजा करने की कोशिश करती रही हैं, जिनका विरोध हुआ है। इसको लेकर मामला अदालत में भी पहुंचा। अदालत में राज्य सरकार ने साफ किया था कि मंदिर में महिलाओं के जाने पर किसी भी तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू मंदिरों में महिला और पुरुषों को पूजा का समान अधिकार है।
पिछले साल शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि की मूर्ति पर एक महिला द्वारा तेल चढ़ाने पर यह विवाद शुरू हुआ था। महिला के तेल चढ़ाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसके बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें मंदिर पहुंचने से पहले ही रोक लिया।
तब से अब तक वह कई कोशिश कर चुकी हैं। इसके बाद महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के अधिकार पर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि पूजास्थलों पर जाना उनका मौलिक अधिकार है और इसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है।